गोंडा : रामलीला के चौथे दिवस में बाल कलाकारों द्वारा धनुष यज्ञ,रावण बाणासुर संवाद,लक्ष्मण परशुराम संवाद का मंचन किया गया




अयोध्या से आए हुए कलाकारों द्वारा रामलीला के चौथे दिवस में बाल कलाकारों द्वारा धनुष यज्ञ,रावण बाणासुर संवाद,लक्ष्मण परशुराम संवाद का मंचन किया गया।
परसपुर /गोण्डा- राजा रियासत राज मंदिर राजा टोला में आयोजित पांच दिवसीय रामलीला के चौथे दिन प्रभु श्रीराम चंद्र द्वारा धनुष तोड़कर सभी राजाओं का मद चूर करने और माता जानकी द्वारा वरमाला पहनाए जाने का मार्मिक प्रसंग का मंचन किया गया। जिसे देखकर श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो गए। राजा जनक ने सीता विवाह की शर्त रखी थी कि जो कोई शिव धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाएगा उसी के साथ सीता का विवाह होगा। आयोजित स्वयंवर में कई देशों के नरेश व राजकुमार आए। यहां तक कि राजा रावण भी धनुष यज्ञ में अपना दांव आजमाने आया और भगवान भक्त बाणासुर पहुंचे। रावण-बाणासुर संवाद के शंखनाद से देश के राजा थर्रा उठे। रावण के जाने के बाद देश देश के राजाओं ने धनुष उठाने का प्रयास किया।


अयोध्या से आए कुछ कलाकारों द्वारा धनुष तोड़ने के हास्य को देखकर लोट-पोट हुए। राजा जनक ने अपने संताप स्वर में कहा, मैं अगर जानता की यह धरती वीरों से खाली पड़ी है तो मैं इतना बड़ा प्रण नहीं करता। जिसे सुनकर लक्ष्मण क्रोधित होकर बोले की विद्वान मंडली में मेरा बोलना अनुचित है लेकिन अनुचित वाणी सुनकर मौन रहना भी पाप है। जनक के संताप को दूर करने के लिए गुरु की आज्ञा पाकर श्रीराम ने जैसे धनुष पर प्रत्यंचा चढ़ाई और धनुष टूट गया। माता सीता ने राम को वरमाला पहनाई। धनुष टूटने की आवाज सुनकर परशुराम राजा जनक के दरबार पहुंचे और लक्ष्मण-परशुराम संवाद का मंचन हुआ।