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भारत की अखंडता अक्षुण्ण रखने में पूर्वोत्तर का बड़ा योगदान: मुख्यमंत्री

रंग, रूप, भाषा का भेद भुलाकर प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में एकजुट है देश: मुख्यमंत्री

पूर्वोत्तर को शेष भारत से अलग रखने के हुए कुत्सित प्रयास

पूर्वोत्तर राज्यों से आए विद्यार्थियों के समूह ने की मुख्यमंत्री से भेंट

लखनऊ, 15 फरवरी: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भारत की एकता और अखण्डता अक्षुण्ण रखने में पूर्वोत्तर राज्यों की राष्ट्रवादी भावना की सराहना की है। पूर्वोत्तर राज्यों से आए विद्यार्थियों के प्रतिनिधिमंडल से संवाद करते हुए उन्होंने कहा कि पराधीनता काल से लेकर आजादी के बाद भी पुर्वोत्तर राज्यों को शेष भारत से अलग-थलग रखने के अनेक प्रयास हुए। वर्षों तक वहां के लोगों को मूलभूत संसाधनों तक से वंचित रखा गया। लेकिन आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में रंग, रूप, वेश, भाषा का भेद त्याग कर पूरा देश एकजुट होकर ‘राष्ट्र प्रथम’ की भावना के साथ ‘विकसित भारत’ के लिए अपना योगदान कर रहा है। पूर्वोत्तर के युवा आज जेईई, नीट और सिविल सेवा परीक्षा में सफलता प्राप्त कर अपने सपनों को पूरा कर रहे हैं।

अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद की वार्षिक ‘अंतर राज्य छात्र जीवन दर्शन (सील) कार्यक्रम के तहत आयोजित राष्ट्रीय एकात्मता यात्रा-2023 के दौरान बुधवार को 27 विद्यार्थियों के समूह ने मुख्यमंत्री से भेंट की। राजधानी लखनऊ आगमन पर विद्यार्थियों का स्वागत करते हुए मुख्यमंत्री ने उत्तर प्रदेश और पूर्वोत्तर के राज्यों के प्राचीन सांस्कृतिक व आध्यात्मिक संबंधों पर भी चर्चा की तो उनसे यात्रा के अनुभव के साथ- साथ पूर्वोत्तर के बारे में भी जानने का प्रयास किया।

मुख्यमंत्री ने कहा कि 25 करोड़ की आबादी वाला उत्तर प्रदेश देश का सबसे बड़ा राज्य है। लखनऊ इसकी राजधानी है। यहां भ्रमण के दौरान विधान भवन जरूर देखें। यहां पब्लिक ट्रांसपोर्ट का आधुनिक माध्यम मेट्रो है, सभी उसका अनुभव प्राप्त करें। आजादी की लड़ाई ने असम, त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश की वीरगाथा का स्मरण करते हुए मुख्यमंत्री ने विद्यार्थी समूह को लखनऊ के निकट काकोरी भ्रमण का सुझाव भी दिया। सील प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि जिस ‘एक भारत- श्रेष्ठ भारत’ के लिए काम करने की बात करते हैं वह कार्य अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद बहुत पहले यानि वर्ष 1966 से सील यात्रा के माध्यम से कर रहा है। उन्होंने कहा कि विविधता में एकता का जीवन्त अनुभव लेने का नाम है सील यात्रा। पूर्वोतर और भारत के शेष राज्यों के बीच मन की दूरी को समाप्त कर हृदय को हृदय से जोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने का काम इस सील यात्रा ने किया है। किसी होटल, गेस्ट हाउस आदि में रुकने की व्यवस्था से दूर इन विद्यार्थियों को विभिन्न परिवारों के बीच रहते हुए, अपने परिवार से दूर अपने एक नए परिवार का अनुभव प्राप्त होता है। यही आतिथ्य पूर्वोत्तर को शेष भारत के साथ आत्मीय जुड़ाव का कारण बनता है। पूर्वोत्तर को भारत की मुख्य धारा में लाने का सबसे सार्थक व उत्तम प्रयास अभाविप ने किया है। उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया के राष्ट्रों में भारतीय संस्कृति के प्रसार में पूर्वोत्तर के लोगों की बड़ी भूमिका रही है।

अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. राजशरण शाही ने कहा कि 166 प्रकार की जनजाति, अलग-अलग बोली, वेश भूषा और खान-पान, रहन-सहन जैसे विविधता से परिपूर्ण पूर्वोतर को शेष भारत से परिचय कराने की यात्रा का नाम है सील। इस यात्रा के माध्यम से भारत के पारंपरिक व सांस्कृतिक मूल्यों को जानने के साथ ही पूर्वोतर के सुंदर पर्यटन क्षेत्र, जैव विविधता, विविध लोक संस्कृति की विशेषता के बारे में समग्र भारत में प्रसार पूर्वोत्तर के विद्यार्थियों द्वारा किया जाता है। भारत के आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में इसबार पूर्वोतर के 482 छात्र-छात्रा भारत के 21 राज्यों में 64 स्थान पर जा रहे हैं । वर्ष 2004 में अभाविप द्वारा पूर्वोतर के युवाओं हेतु रोजगार सृजन के लिए युवा विकास केंद्र की स्थापना की गई। इसके माध्यम से अब तक पूर्वोत्तर के हजारों युवाओं को रोजगार का प्रशिक्षण दिया जा चुका है।

अभाविप के राष्ट्रीय संगठन मंत्री आशीष चौहान ने कहा कि विद्यार्थी परिषद ही एकमात्र ऐसा छात्र संगठन है जो अपने स्थापना काल से ही देश-समाज की प्रत्येक समस्या के समाधान हेतु सदैव अग्रणी भूमिका में खड़ा रहा है। भारत की तत्कालीन समस्या को जड़ से समाप्त करने हेतु अभाविप ने जो छोटे स्तर से प्रयास किया था, वह अब पूर्वोत्तर में विराट परिवर्तन ला चुका है। वहां के विद्यार्थी अब अपने मूल पहचान को समझकर, राष्ट्रवादी विचारधारा से जुड़ कर नए भारत के निर्माण में अपनी सक्रिय भूमिका का निर्वहन कर रहे हैं। अब तक 1500 से ज्यादा पूर्वोतर के विद्यार्थी और भारत के 500 से अधिक अन्य राज्यों के छात्र-छात्रा इस यात्रा में भाग लेकर राष्ट्रीय एकात्मता का अनुभव ले चुके हैं। इस कड़ी में 4000 से ज्यादा आतिथ्य परिवार में छात्र-छात्रा निवास कर चुके हैं। वर्ष 2105 में पूर्वोतर युवा संसद, दिल्ली में आयोजित किया गया था, जिसमें पूर्वोतर के 53 अलग-अलग युवा, छात्र संगठन के 150 से ज्यादा सदस्यों ने पूर्वोतर के विकास के बारे में एक साथ मिलकर काम करने का संकल्प लिया था।

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