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गांव में पिता को ताने दिए-बेटी पर खर्चा मत करो:पायलट बनने के लिए 80 लाख लगाए, बाड़मेर में बेटी अब भरेगी उड़ान..!!

बाड़मेर

पिता ने जब मुझे पायलट बनाने की ठानी तो समाज के लोगों ने उन्हें खूब ताने दिए। कहा- बेटी पर इतना खर्चा करोगे, शादी के लिए नहीं बचाओगे क्या? इतना रुपया शादी में लगाना क्यों फिजूलखर्च कर रहे हो। लेकिन, पापा ने किसी की नहीं सुनी। इसके उलट खुद नेट पर सर्च कर अखबारों में पढ़ कर मुझे पायलट की ट्रेनिंग के लिए उत्साहित किया।

जब पापा को इतने उत्साह से मेरे भविष्य के बारे में सोचते हुए देखती तो धीरे-धीरे मेरा भी उत्साह जागा और पापा के सपने को मैंने अपना जुनून बना लिया। आज वही समाज जो कभी ताने देता था, मेरी उपलब्धि के लिए पिता को बधाई दे रहे हैं। हालांकि, 4 सालों के इस सफर में मुश्किलें बहुत आई। कोरोना आया, एकेडमी बंद हुई। पापा ने फिर भी सपोर्ट किया और इसी के कारण आज इस मुकाम पर पहुंची हूं। ट्रेनिंग में पापा ने 80 लाख रुपए खर्च किए लेकिन, मुझे कभी हताश होने नहीं दिया। बाड़मेर की पहली महिला एयर पायलट (जूनियर फर्स्ट ऑफिसर) गरिमा चौधरी ने उनके सफर को दैनिक भास्कर के साथ शेयर किया।

पिता की तीन बेटियां एक एमबीबीएस और दूसरी पायलट और तीसरी 11वीं क्लास में। पिता बोलते है कि मेरी बेटियां बेटों से कम नहीं है।

पिता ने दी सलाह पायलट में अच्छा स्कोप

गरिमा चौधरी (24) ने बताया- उनका इंडिगो एयरलाइंस में जूनियर फर्स्ट ऑफिसर (पायलट) की पोस्ट पर सिलेक्शन हुआ है। गरिमा का कहना है कि मेरे पिता खींयाराम की ट्रैक्टर एजेंसी है। उनका सपना था कि मैं एयर पायलट बनूं। मेरे 10 में अच्छे नंबर आए थे। 11-12 में पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ्स ) लिया था। नीट मेरी बड़ी सिस्टर कर रही थी तब मुझे बायो नहीं दिलवाई। आईआईटी में मुझे खास इंटरेस्ट नहीं था। ऐसे में पिता ने पूरे एयर फ्लाइंग में पायलट कैसे बनते हैं यह सर्च किया। क्या प्रोसेसर कैसे बनते है। उन्होंने ही मुझे बताया। इसमें अच्छा स्कोप है। इसलिए यह जॉइन करने की सलाह दी।

मेरा नहीं पिता का सपना था पायलट बनूं

गरिमा कहती हैं कि लोगों ने ताने मारने में कोई कमी नहीं रखी है। सोसाइटी इस तरह की हो गई कि लड़कियां कुछ करना चाहें तो उन्हें आगे बढ़ने से पहले ताने सुनने को मिलते हैं। लड़की अगर हार्ड वर्क करके अपने आपको प्रूव कर ले तो वहीं ताने तालियों में बजने लगते है। लोग बोलते बेटियां उम्र हो गई है क्यूं इतने सारे रुपए खर्च कर रहे हो। शादी करनी है शादी के लिए बचा दो। मेरे पिता को लगता था कि शादी में मोटा खर्च करने का क्या मतलब है जब मेरी लड़कियां ही इंडिपेंडन नहीं रहेंगी। पायलट बनने का सपना मेरा नहीं था मेरे पिता का था। इन्होंने मेरा खूब सपोर्ट किया।

2019 में फ्लाइंग क्लब में लिया एडमिशन

गरिमा बताती है कि अप्रैल 2019 में फ्लाइंग क्लब भुवनेश्वर में जॉइन किया था। इससे जॉइन करने के लिए पहले मेडिकल होता है। उसमें फिट होने पर मेरा क्लब जॉइन हुआ। इसमें 6 पेपर क्लियर कर लिए थे। 200 घंटे 18 माह में फ्लाइंग करनी होती है तभी कॉमर्शियल लाइसेंस इश्यू होता है। जो सारा मशीनों से होता है।

गरिमा चौधरी अब जल्द इंडिगों एयरलाइंस प्लेन की भरेगी उड़ान।

कोविड में सब ठहर गया

गरिमा बताती हैं कि दिसंबर 2020 में कोविड आ गया। इसके बाद सब कुछ बंद हो गया। फ्लाइट क्लब में 200 घंटे पूरे करने होते हैं। कोरोना के चलते मेरे 22 घंटे ही हुए थे। इसके बाद कोविड में घर पर आ गई। सारे फ्लाइंग क्लब बंद हो गए थे। करीब 2 साल 2022 साल तक घर पर ही रही। उस समय लगा कि मैं मेरे पापा के सपने को पूरा नहीं कर पाऊंगी। लेकिन 2022 में माता-पिता और परिवार के सपोर्ट से फिर से फ्लांइग क्लब ट्रांसफर लेकर पुणे में शिफ्ट हो गई।

गरिमा का कहना है कि मार्च-अप्रैल 2022 में धीरे-धीरे फिर से इंडिया खुलने लग गया था। तब मैंने भुवनेश्वर से ट्रांसफर लेकर पुणे शिफ्ट हो गई। 22 घंटे भुवनेश्वर वाले बाकी बचे 178 घंटे फ्लाइंग क्लब पुणे में पूरे किए। फरवरी 2023 में रेड बर्ड फ्लाइंग ट्रेनिंग एकेडमी बरामती पुणे ने कॉमर्शियल लाइसेंस दिया था। लाइसेंस भेजने में करीब दो माह का समय लग गया।

गरीमा बताती है कि पायलट बनने का सपना मेरा नहीं, मेरे पिता का है। जो मैंने पूरा कर लिया।

ट्रेनिंग के लिए दो माह साउथ अमेरिका

गरिमा का कहना है कि मई 2023 में साउथ अमेरिका चली गई। वहां पर एयर बस 320 (एयर क्राफ्ट का मॉडल नंबर) की रेटिंग करने के लिए पहुंची। 60 दिन की ट्रेनिंग थी। जुलाई 2023 में ट्रेनिंग करने के बाद वापस इंडिया आ गई थी। इस ट्रेनिंग में बड़े वाले कॉमर्शियल पैसेंजर एयरक्राफ्ट का कैसे उड़ाते हैं। यह सब वहां पर सिखा था। वहां एक वीक 8-8 घंटे की ग्राउंड क्लासेज होती थी। फिर चार-चार घंटे की ट्रेनिंग होती थी। दो माह में 72 घंटे एक मशीन टाइम की होती है। एक मशीन टाइप सिम्युलेटर होता है। उसमें सारा प्रोसेसर सीखा था। कैसे उड़ाते हैं और कैसे लैंड करते हैं।
विस्तारा ने स्टैंड बाय पर रखा

गरिमा का कहना है कि अमेरिका के आने के बाद अलग-अलग एयरलाइंस में वैंकेसी आई थी। मैंने अलग-अलग एग्जाम दिए। किसी एयरलाइंस में 3 तो किसी में 4 राउंड होते हैं। इंडिया में आते ही एयर इंडिया की वैकेंसी आई थी। सितंबर 2023 में इसमें तीन राउंड होते हैं। इसमें पहले राउंड के राइटिंग एग्जाम में रह गई। इसके बाद वैकेंसी का इंतजार करना पड़ा। जनवरी 2024 में विस्तारा एयरलाइंस की वैंकेसी आई। विस्तारा मेंं मेरा पहला राउंड कंम्पलीट हो गया है। लेकिन दूसरे राउंड के लिए अभी तक बुलाया नहीं है। इस एयरलाइंस में अभी भी स्टेड बाय हूं।

दूसरी बार में हुआ सिलेक्शन

गरिमा का कहना है कि इंडिगो एयरलाइंस की वैकेंसी अप्रैल 2024 में आ गई। इसमें चार राउंड होते है। उस समय मेरा तीसरा राउंड क्लियर नहीं हुआ। इसके बाद मई 2024 में इंडिगो फिर से वैकेंसी निकाली। उसमें सारे राउंड क्लियर हो गए है। 17 मई को रात को रिजल्ट आया।

बड़ी गीता चौधरी और पायलट गरीमा चौधरी। गीता चौधरी कहती है कि गांव वालों से खूब ताने मिले लेकिन अब वो ताने तालियां में तब्दिल हो गए।

एयर पायलट बनने में खर्च हुए 80 लाख रुपए

गरिमा कहती है कि पायलट कैसे बनते है और इसका प्रोसेसर क्या है। इसको समझने में बहुत दिक्कत आई लेकिन गूगल पर सर्च करके पूरा समझा और फ्लाइंग क्लब को जॉइन किया। मेरे पिता ने इंवेस्टमेंट बहुत ज्यादा लगा है। जितना हार्ड वर्क करना था उतना इन्वेस्टमेंट भी लगी है। पायलट बनने में अब तक 70-80 लाख रुपए खर्च हो चुके हैं।

इंडिगो एयरलाइंस करवाएगी ट्रेनिंग

गरिमा का कहना है कि इंडिगो एयरलाइंस खुद ट्रेनिंग करवाएगी। इस कंपनी के खुद के रूल्स और रेगुलेशन है। आगे मुझे जुलाई माह में चैन्नई में इंडिगो खुद ट्रेनिंग देगा। 20 दिन की ट्रेनिंग फिर वहां पर दो माह तक मेडिकल सहित अलग-अलग फॉरमेलिटी होगी। इसके बाद दो माह की ट्रेनिंग होगी जिसमें फायर ड्रिल, स्मोक, ड्रिल, स्विमिंग ड्रिल सहित सिखाते हैं। फिर कंपनी हमें रिलीज करती है। फिर पहली बार पायलट फर्स्ट ऑफिसर में प्लेन को उड़ाएगी। गरिमा का कहना है कि एयरलाइंस खुद ट्रेनिंग करवाती है। फिर इसके बाद कैप्टन के साथ जूनियर फर्स्ट ऑफिसर साथ में होते है। कैप्टन की मदद करते है। करीब 3-4 साल में एक्सपीरिएंस होने के बाद कैप्टन बनते हैं। अब इंडिगो एयरलाइंस में हमें जहाज उड़ाने का मौका देगी।

गरिमा का कहना है कि फिलहाल फर्स्ट ऑफिसर के तहत प्लेन में रहूंगी। दो-तीन साल में जब मुझे 5-6 हजार घंटों का एक्पीरियंस हो जाएगा। इसके बाद मेरे इंटरव्यू रिटर्न में होने के बाद मैं कैप्टन बन जाऊंगी। फिर कैप्टन प्लेन को फ्लाइ करूंगी और फिर मेरे साथ कोई दूसरा नया या कम एक्सपीरिएंस वाला ऑफिसर होगा।

पिता प्रधान रह चुके, पिता ने बेटे-बेटी में नहीं समझा फर्क

गरिमा का जन्म ननिहाल जैसलमेर में 26 अगस्त 1999 में हुआ था। गरिमा और सहित कुल तीन बहनें है। भाई नहीं है। गरिमा (24) दूसरे नंबर की है। पहले नंबर की गीता चौधरी (26) तीसरे नंबर लक्षिता चौधरी (17) है। गीता चौधरी ने रसिया से एमबीबीएस किया है। वहीं लक्षिता चौधरी 11 वीं क्लास में पढ़ रही है। पिता खीयाराम चौधरी शिव पंचायत समिति में 2000-2005 तक प्रधान रह चुके है। दादा बनाराम सारण (70) सरपंच रह चुके है। माता व दादी गवरी देवी (65) गृहणी है। फिलहाल मल्टी बिजनेस सेटअप किया हुआ है। गरिमा का कहना है कि पिता ने बेटे और बेटी में कोई फर्क नहीं समझा।

बाड़मेर शहर में की पढ़ाई

गरिमा की नर्सरी से 10 तक बाड़मेर शहर की प्राइवेट स्कूल टी.टी. पब्लिक स्कूल में हुई है। इसके बाद 11 से 12 तक केंद्रीय स्कूल जालीपा कैंट स्कूल में की थी। गरिमा का ननिहाल जैसलमेर में है। वहीं गांव शिव इलाके के काश्मीर गांव है। लेकिन गरिमा ज्यादातर शहर में रहती थी। छुटि्टयों में गांव में आना-जाना होता था।

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