उत्तरप्रदेश

सुरक्षा एजेंसियों के तगड़े दिमाग से हार गया अमृतपाल

खालिस्तान की मांग मोदी सरकार के लिए एक बहुत बड़ी चुनौती बनी हुई थी । 26 जनवरी को लाल किले पर खालिस्तानियों का उत्पात और किसान आंदोलन को हथियार बनाने के बाद मोदी द्वरा किसान बिल वापस लेने के फैसले से ही ये साफ हो गया था कि अब खालिस्तान की मांग देश की एकता के लिए एक बड़ी चुनौती बन चुकी है । और इस चुनौती को निपटाने का जिम्मा बतौर गृहमंत्री अमित शाह के कंधों पर था ।

-पिछले साल ही अमित शाह ने गृहमंत्रालय की तरफ से भगवंत मान को अमृतपाल को लेकर खुफिया रिपोर्ट साझा कर दी थी लेकिन केजरीवाल भगवंत मान एंड कंपनी ने लगातार इस समस्या को इग्नोर किया और खालिस्तान के मुद्दे पर वोट बटोरने की पॉलिसी को जारी रखा । अमृतपाल को लगा कि अब सरकार उसकी है और वो जो चाहे कर सकता है इसी के बाद 23 फरवरी को अमृतसर के अजनाला थाने पर हजारों की भीड़ के साथ अमृतपाल ने हमला कर दिया और अपने साथी लवप्रीत को छुड़ा लिया था । ये तस्वीरें जब वायल हुई तो पूरा देश कांप उठा था । भोले भाले सरदार पुलिसकर्मियों पर अमृतपाल के गुंडों ने जिस तरह हमला किया था वो दिल को दहला देने वाला मंजर था ।

-और इसके बाद ही ये तय हो गया कि अब अमित शाह अमृतपाल को उसकी असली जगह पहुंचाकर ही मानेंगे । अमित शाह के दिमाग में ना जाने कितनी स्वर्ण भस्म भरी हुई है । इस बड़े रणनीतिकार ने 2 मार्च को भगवंत मान को दिल्ली में अपने हेडक्वार्टर पर बुलाया । अमित शाह ने भगवंत मान को साफ साफ ये कहा कि अभी तक हम आपको सिर्फ इसलिए कुछ नहीं कह रहे थे क्योंकि आपने ही ये कहा था कि कानून व्यवस्था राज्य सरकार का मामला है लेकिन अब अमृतपाल जिस तरह के बयान दे रहा है ये देश की एकता और अखंडता के लिए खतरा है और बतौर गृहमंत्री इसका जहर निकालना मेरी जिम्मेदारी है । हालांकी नशेड़ी भगवंत मान ने अपने तरीके से मामले को सुलटाने की कोशिश की लेकिन अखरोट की तरह कठोर और सख्त प्रशासक अमित शाह ने जब अपना हंटर चलाया तो भगवंत मान की पतलून गीली हो गई और वो फौरन लाइन पर आ गया ।

-आखिर में ये फैसला हुआ कि अमृतपाल को पकड़ने का काम पंजाब की पुलिस करेगी और शांति व्यवस्था काबू में रखने का जिम्मा अधसैनिक बलों को सौंपा गया जिनको अमित शाह ने फौरन दिल्ली से पंजाब के लिए रवाना कर दिया गया । अमृत्सर में जी 20 की समिट खत्म करने के बाद ऑपरेशन चलाने का फैसला लिया गया । लेकिन 19 मार्च को ही अमृतपाल पंजाब में वहीर निकालने जा रहा था । ये सिख धर्म की एक धार्मिक यात्रा होती है । लेकिन 19 मार्च से पहले ही पंजाब पुलिस अमृतपाल को धरने के लिए जालंधर के नकोदर कस्बे में उसके गांव जल्लूखेड़ा पहुंच गई । डरपोक अमृतपाल सबकुछ छोड़कर भागा और बहुत तेजी से भागा । कई विडियो भी सोशल मीडिया पर वायरल हुए ।

-एक्शन के दौरान सबसे पहले अमृतपाल के 78 साथियों और वारिस पंजाब दे संगठन के तमाम कार्यकर्ताओं को गिरफ्तार कर लिया गया । उनके हथियार जब्त कर लिए गए । अमृतपाल ने अपने समर्थकों को बुलाने के लिए इंटरनेट का सहारा लेने की कोशिश की लेकिन शातिर दिमाग अमित शाह ने पहले ही इंटरनेट को ब्लॉक कर दिया था । और इस तरह बेबस अमृतपाल बस भागता ही रहा ।

-सबसे पहले आज तक पर ये खबर आई थी कि अमृतपाल को हिरासत में ले लिया गया है । लेकिन ऐसा लगता है कि पुलिस के साथ मुठभेड़ में अमृतपाल मारा गया । या फिर अमृतपाल पाकिस्तान भाग गया । या बांग्लादेश भाग चुका है, या नेपाल के रास्ते किसी और देश में भाग चुका है क्या हुआ ? ये कहना आसान नहीं है । क्योंकि ऐसे संवेदनशील मामलों से पंजाब सुलग सकता है । बहरहाल अभी की स्थिति ये है कि अमृतपाल भगोड़ा है और उसकी वो सारी वीरतापूर्ण छवि जो उसने बना रखी थी कि आखिरकार फेल साबित हो गई ।अब वो पंजाब की नजरों में भगोड़ा है । असली सरदार कभी जंग का मैदान नहीं छोड़ता । लेकिन अमृतपाल का भाग खड़े होना ही ये साबित करता है कि वो पाकिस्तान का एजेंट था ।

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