श्रीलंका में हालात बेकाबू:राष्ट्रपति ने एक महीने बाद एक बार फिर आधी रात से इमरजेंसी लगाई, विरोध प्रदर्शन नहीं कर सकेंगे लोग
श्रीलंका में खराब आर्थिक हालात और आम लोगों के सरकार विरोधी प्रदर्शनों को देखते हुए राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने एक महीने बाद फिर इमरजेंसी लगा दी है। अब आम लोग सरकार के खिलाफ सड़कों पर भी नहीं उतर सकेंगे। इमरजेंसी आज आधी रात से ही लागू कर दी गई है।
संसद में तनावपूर्ण स्थिति को देखते हुए स्पीकर महींदा यापा अभयवर्धना ने शुक्रवार को ही संसद 17 मई तक के लिए स्थगित कर दी थी। विपक्ष ने पुलिस की कार्रवाई का कड़ा विरोध किया था।
श्रीलंका में बिगड़ते आर्थिक हालात के बीच राष्ट्रपति गोटबाया राजपक्षे ने 1 अप्रैल को भी इमरजेंसी लगा दी थी। हालांकि भारी विरोध प्रदर्शन के बीच पांच दिन बाद यानी 6 अप्रैल को इमरजेंसी हटा दी थी।
3.8 लाख करोड़ का विदेशी कर्ज
इससे पहले करीब दिवालिया हो चुके श्रीलंका ने 51 अरब डॉलर (3.8 लाख करोड़ भारतीय रुपए) का विदेशी कर्ज चुकाने से हाथ खड़े कर दिए थे। खाने-पीने का सामान और फ्यूल डिमांड पूरी करने के लिए श्रीलंका ने ये कदम उठाया है। फॉरेन एक्सचेंज रिजर्व खाली हो चुका है और उसके पास काफी कम डॉलर बचे हैं। अगर वो कर्ज चुकाने का फैसला लेता तो फूड प्रोडक्ट्स और फ्यूल इंपोर्ट करने के लिए उसके पास डॉलर नहीं बचते। इससे हालात और बेकाबू हो जाते।
सरकार के खिलाफ विरोध-प्रदर्शन जारी
इसके पहले श्रीलंका में लगातार आर्थिक संकट की वजह से लोगों का गुस्सा बढ़ता जा रहा है। आए दिन सरकार के खिलाफ मार्च निकाले जा रहे हैं। बीते दिन भी प्रदर्शनकारियों से संसद को घेरने की कोशिश की। इसके बाद पुलिन ने इन्हें रोकने के लिए आंसू गैस के गोले दागे। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसके पहले गुरुवार को प्रदर्शनकारियों के एक ग्रुप ने संसद के पास मौजूद पोल्डुवा जंक्शन पर बैरिकेडिंग को हटाने की कोशिश की। जिसके बाद इनके खिलाफ एक्शन लिया गया।
श्रीलंका में पेट्रोल भरवाने की भी लिमिट तय
आर्थिक संकट की वजह से श्रीलंका में पेट्रोल और डीजल की भी किल्लत हो रही है। सीलोन पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन (CPC) ने एक नोटिफिकेशन जारी कर पेट्रोल भरवाने की लिमिट तय कर दी है। अब मोटरसाइकिल में 2,000 रुपए, तिपहिया वाहन में 3000 रुपए, कार, वैन और जीप में 8000 रुपए तक का ही पेट्रोल भरवा सकते हैं। हालांकि, बसों, लॉरियों और कमर्शियल वाहनों को छूट दी गई है।
आजादी के बाद सबसे बड़ा आर्थिक संकट
श्रीलंका 1948 में अपनी आजादी के बाद से सबसे बुरे आर्थिक संकट से गुजर रहा है। श्रीलंका में लोगों को रोजमर्रा से जुड़ी चीजें भी नहीं मिल पा रही हैं या कई गुना महंगी मिल रही हैं। श्रीलंका का विदेशी मुद्रा भंडार लगभग खत्म हो चुका है, जिससे वह जरूरी चीजों का आयात नहीं कर पा रहा है। महंगाई आसमान पर पहुंच गई है।
भारत ने अब तक 23 हजार करोड़ रुपए की मदद दी
इस संकट की घड़ी में भारत लगातार श्रीलंका की मदद कर रहा है। क्रेडिट लाइनों और क्रेडिट स्वैप के तहत भारत जनवरी से अब तक करीब 23 हजार करोड़ रुपए की मदद कर चुका है। श्रीलंका आर्थिक संकट की वजह से खाद्य पदार्थ और ईंधन के आयात के लिए भी भुगतान नहीं कर पा रहा है।
तमिलनाडु सरकार ने मदद के लिए प्रस्ताव पास किया
तमिलनाडु सरकार ने भी श्रीलंका की मदद के लिए एक प्रस्ताव पास किया है। इसके तहत राज्य सरकार श्रीलंका को खाना और जीवन रक्षक दवाएं भेजना चाहती है। प्रदेश भाजपा ने एक पत्र लिखकर सरकार की इस पहल का स्वागत किया है, साथ ही सवाल भी उठाए हैं। पत्र में कहा गया है कि तमिलनाडु सरकार की कुछ हालिया कार्रवाइयां सिर्फ राजनीतिक लाभ के लिए थीं, विशेषकर ऑपरेशन गंगा के दौरान। इसलिए हम सिर्फ इस बात को लेकर चिंतित हैं कि यह प्रस्ताव भी ऐसी ही कवायद न बन जाए।
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