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यूपी में बुलडोजर पर नहीं लगेगा ब्रेक।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा- 10 अगस्त को करेंगे सुनवाई, सरकार का जवाब- जमीयत उलेमा गुमराह कर रहा

यूपी सरकार के बुलडोजर एक्शन पर बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने कोई अंतरिम आदेश देने से इंकार कर दिया। साथ ही सुनवाई के लिए नई तारीख 10 अगस्त तय की है। जस्टिस बीआर गवई और पीएस नरसिम्हा की बेंच ने कहा कि वो अवैध निर्माण तोड़फोड़ करने की प्रक्रिया में सामान्य प्रतिबंध का आदेश जारी नहीं कर सकते हैं। इससे स्थानीय निकायों यानी नगर निकायों के अधिकारों में कटौती होगी। मामले के आधार पर इसकी जांच की जानी चाहिए ।

अब 10 अगस्त को इस मामले की सुनवाई होगी। गुजरात और मध्य प्रदेश को भी नोटिस जारी किया गया है। इससे पहले कोर्ट में असम और मध्यप्रदेश में बुलडोजर की कार्रवाई को कोर्ट के संज्ञान में लाया गया। सुनवाई के दौरान वकील हरीश साल्वे कानपुर /प्रयागराज की तरफ से पेश हुए। SG तुषार मेहता यूपी सरकार की तरफ से थे। जमीयत उलेमा-ए-हिंद की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर रहा था। जमीयत की तरफ से वकील सीयू सिंह मौजूद थे।

ये तस्वीर जावेद के घर की है। 12 जून को दोपहर 1 बजे घर के दो तरफ से बुलडोजर चलाने की कार्रवाई शुरू की गई।

अब पढ़िए कोर्ट रूम में हुई बहस

सीयू सिंह: पुलिस अधिकारी घोषणा कर रहे हैं कि आरोपियों के घरों को तोड़ा जाएगा। कानपुर के एसपी, सहारनपुर के एसपी ये ऐलान कर रहे हैं। ये रुकना चाहिए। इस मसले परविस्तार से सुनवाई की जरुरत है।

साल्वे: कृपया अखबारों की खबरों पर न जाएं।

तुषार मेहता: कुछ जगहों पर ध्वस्तीकरण हुआ है, लेकिन नियमों के मुताबिक हिंसा के पहले कानूनी कार्रवाई शुरू हो गई थी। इस विषय को सनसनीखेज न बनाया जाए।सुप्रीम कोर्ट: इस मामले की सुनवाई क्या 8 अगस्त को की जाए?

दुष्यंत दवे: दूसरे समुदाय के खिलाफ एक पिक एंड चॉइस पॉलिसी अपनाई जा रही है। एक समुदाय को निशाना बनाया जा रहा है।

तुषार मेहता: सभी भारतीय समुदाय के है। आप इस तरह के बहस नहीं कर सकते।

दुष्यंत दवे: आप देखें कि दिल्ली में सभी फार्म हाउस लगभग अवैध है, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है। मामला 10 अगस्त का है। आप रोक का आदेश दें।

सुप्रीम कोर्ट: इस तरह का आदेश कैसे दे सकते हैं? ये समाज के लिए अच्छा नहीं है। 10 अगस्त को मामले की सुनवाई करेंगे। 8 अगस्त तक सभी पक्ष अपना जवाब दाखिल कर सकते हैं।

सुनवाई से पहले यूपी सरकार ने बुलडोजर एक्शन पर सुप्रीम कोर्ट में अपना जवाब दाखिल किया है। पढ़िए क्या-क्या पॉइंट रखे हैं …

“अवैध निर्माण को बचाने के लिए दाखिल हुई याचिका” सरकार ने अपने जवाब में कहा, “उत्तर प्रदेश में कानून के मुताबिक कार्रवाई की गई। जिन लोगों ने अवैध निर्माण किया था, प्रशासन ने उन्हीं के खिलाफ कानूनी कार्रवाई की है। ” यूपी सरकार की ओर से SC में दाखिल हलफनामे में कहा है कि जमीयत की याचिका अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश में दायर की गई है।

अपनी बात को सही साबित करने के लिए सहारनपुर मामले का जिक्र किया है। सरकार की ओर से कहा गया है कि सहारनपुर में दो घरों का बस उतना निर्माण हटाया, जो सरकारी जमीन पर था। उन घरों में लोग अब भी रह रहे हैं।

जवाब की दो बड़ी बातें

१.सहारनपुर में नाबालिग की गिरफ्तारी का दावा झूठा है। २.सहारनपुर में 2 घरों का उतना निर्माण हटाया गया है जो सरकारी जमीन पर था।

अवैध निर्माण को लेकर पहले से दिया गया था नोटिस यूपी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल अपने हलफनामा दाखिल में कहा है कि जिन अवैध निर्माण को ध्वस्त किया गया है, उन्हें हटाने के लिए पहले से ही नोटिस दिया गया था।

इसके साथ ही सरकार ने बताया कि किसी भी कार्रवाई में कानून का उल्लंघन नही किया है।

जमीयत की याचिका को खारिज करने की मांग

यूपी सरकार ने अपने जवाब में कहा कि सहारनपुर में नाबालिग की गिरफ्तारी का दावा गलत है। प्रयागराज का मामला हाई कोर्ट में लंबित है और उसे सुप्रीम कोर्ट में लाने की जरूरत नहीं है। जमीयत की याचिका अवैध निर्माण को बचाने की कोशिश है और उनकी ओर से कोर्ट को गुमराह करने की कोशिश हुई है। जमीयत की याचिका खारिज की जाए ।

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