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उत्तरप्रदेश
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बसपा की मायावती ने एक बार फिर 2007 के सोशल इंजीनियरिंग को ही अपने टिकट वितरण में तरजीह दी और जन्मदिन 15.01.2022 पर लाइमलाइट से दूर रही

कभी लाइमलाइट और लाखों की करोड़ों की माला पहनने वाली और भारी भरकम केक काटने वाली सत्ता के शीर्ष पर बैठे सुश्री मायावती के जन्मदिन पर लोगों के लिए चर्चा का विषय बन जाता था वहीं मायावती आज अपने जन्मदिन पर लाइमलाइट से दूर और बेहद सादगी से जन्मदिन मनाते हुए सुश्री बहन मायावती ने अपने सोशल इंजीनियरिंग को एक बार फिर तरजीह देते हुए 2007 के गणित को दोहराया गया है पहले चरण के चुनाव के लिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने पूरी तरह से सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला लगाते हुए 53 सीटों पर उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं। इनमें से 14 सीटें मुस्लिम उम्मीदवरों 9 ब्राह्मणों को टिकट दिया गया है
पहले चरण में 58 सीटों पर वोट डाले जाने हैं। इसको देखते हुए मायावती ने शनिवार को 53 सीटों की सूची जारी कर दी। मायावती पहले ही एलान कर चुकी थीं कि इस बार वह 2007 की तर्ज पर ही चुनाव लड़ेंगी। सोशल इंजीनियरिंग का फॉर्मूला अपनाया जाएगा। पहले चरण की लिस्ट में यह साबित भी हो गया। इसमें सर्वाधिक टिकट मुस्लिम उम्मीदवारों को दिए गए हैं। इसके बाद पिछड़े वर्ग के उम्मीदवारों पर दांव लगाया गया है।

मायावती बार-बार कह रही हैं कि 2007 में ब्राह्मण वर्ग बसपा के साथ था और उनकी सरकार बन गई थी। यही कारण रहा कि बसपा सुप्रीमो ने ब्राह्मणों को साधने के लिए पार्टी के महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा को लगाया। मिश्रा ने सभी जिलों में ब्राह्मण सम्मेलन किए। इसका असर बसपा की सूची में भी दिखा और नौ ब्राह्मणों को टिकट दिए गए हैं।

कैराना में समीकरण सबसे अलग
पिछले विस चुनाव में जब भाजपा की आंधी थी तब भी भाजपा कैराना में चुनाव हार गई थी। वहां सपा के नाहिद हसन चुनाव जीत गए थे। दूसरे स्थान पर भाजपा, तीसरे पर रालोद और चौथे स्थान पर बसपा रही थी। इस बार भी बसपा ने यहां मुस्लिम कार्ड नहीं खेला है। राजेंद्र सिंह उपाध्याय को टिकट दिया है। बसपा का मानना है कि दलित व ब्राह्मण मिलकर यहां अच्छा समीकरण बना सकते हैं। बाकी शामली सीट पर जाट और बुढ़ाना पर मुस्लिम उम्मीदवार को टिकट दिया गया है।

मुजफ्फरनगर में मुस्लिम कार्ड
मुजफ्फरनगर जिले में बसपा ने सबसे तगड़ा मुस्लिम कार्ड खेला है। बुढ़ाना, चरथावल, खतौली व मीरापुर से मुस्लिम उम्मीदवारों को टिकट दिए गए हैं। इस जिले में सपा-रालोद गठबंधन पर सपा से कैराना में मुस्लिम उम्मीदवार मैदान में है, तो चरथावल से जाट। मायावती यहां दलित-मुस्लिम समीकरण बनाना चाहती हैं, क्योंकि इन सीटों पर इन दोनों वर्ग की संख्या ज्यादा है।

मेरठ, बागपत, गाजियाबाद में दलित-मुस्लिम समीकरण
मेरठ जिले में सिवालखास व दक्षिण सीट पर मुस्लिम उम्मीदवार को उतारा गया है। जबकि शहर सीट की घोषणा अभी बाकी है। माना जा रहा है कि यहां भी मुस्लिम उम्मीदवार ही लड़ेगा। इसके अलावा कैंट सीट पर ब्राह्मण उम्मीदवार पर भरोसा जताया गया है। सरधना में जाट व किठौर में गुर्जर को टिकट दिया गया है। बागपत में दो सीटों पर टिकट घोषित किए हैं। छपरौली से मुस्लिम जबकि बड़ौत से ब्राह्मण को उम्मीदवार बनाया गया है। गाजियाबाद की दो सीटों पर मुस्लिमों को टिकट दिया हैं जबकि गाजियाबाद व मोदीनगर पर वैश्य को मैदान में उतारा गया है। हापुड़ में धौलाना व गढ़ मुक्तेश्वर दोनों टिकट मुस्लिमों को दिए गए हैं।

गौतमबुद्घनगर-बुलंदशहर : ओबीसी व ब्राह्मणों पर दांव
बसपा ने गौतमबुद्घनगर में नोएडा सीट ब्राह्मण को दी है। इसके अलावा दादरी, जेवर सीट गुर्जर के हिस्से में गई है। बुलंदशहर में मायावती ने सिकंदराबाद का टिकट गुर्जर को, स्याना का ब्राह्मण को, अनूपशहर व डिबाई का लोधी को दिया है। वहीं, अलीगढ़ की बरौली सीट से ब्राह्मण, मांट से पुराने दिग्गज व वर्तमान विधायक श्याम सुंदर शर्मा चुनाव लड़ेंगे।

गठबंधन की राह में कांटे
मायावती ने जिस तरह से टिकटों का वितरण किया है उससे माना जा रहा है कि कुछ सीटों पर भाजपा के लिए मुश्किल पैदा होगी, तो अधिकतर सीटों पर सपा-रालोद गठबंधन की राह में कांटे खड़े होंगे। हालांकि बसपा पदाधिकारियों का कहना है कि बसपा किसी की राह में कांटे नहीं बल्कि सभी जिताऊ उम्मीदवार खड़े किए हैं

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