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संयुक्त राष्ट्र महासभा में 141 सदस्यों ने रूस के खिलाफ की वोटिंग, 5 समर्थक देशों ने किया रूस के सैन्य कार्यवाही का समर्थन तथा भारत ने किया मतदान से इनकार

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यूक्रेन में रूसी हमले को तत्काल रोकने और सभी रूसी बलों की वापसी की मांग संबंधी प्रस्ताव पर 193 सदस्यीय संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को मतदान हुआ.
संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) ने यूक्रेन के खिलाफ रूस के हमले की कड़ी निंदा करने वाला प्रस्ताव पारित किया. संयुक्त राष्ट्र महासभा में बुधवार को दोपहर को मतदान किया गया. संयुक्त राष्ट्र महासभा में रूस के खिलाफ प्रस्ताव को बहुमत से पारित कर दिया गया. विशेष इमरजेंसी बैठक के बाद प्रस्ताव पारित कर दिया गया. प्रस्ताव पारित कर संयुक्त राष्ट्र महासभा ने रूस से यूक्रेन से हटने की ‘मांग’ की.
141 देशों ने इस वोटिंग के दौरान रूस के खिलाफ मतदान किया, जबकि 5 देशों ने रूस का साथ दिया. वहीं भारत समेत 35 देशों ने वोटिंग में हिस्सा नहीं लिया. यूरोप के आर्थिक रूप से समृद्ध देशों से लेकर छोटे प्रशांत द्वीप देश तक कई देशों ने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की है. संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन सत्र में रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के कुछ समर्थक भी थे.
भारत ने यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र महासभा के आपातकालीन विशेष सत्र के प्रस्ताव में आज मतदान से परहेज किया. हालांकि भारत का कहना है कि मतभेदों को बातचीत और कूटनीति से ही सुलझाया जा सकता है. सुरक्षा परिषद के प्रस्तावों के विपरीत, महासभा के प्रस्ताव का पालन करना कानूनी रूप से बाध्यकारी नहीं है, लेकिन इससे अंतरराष्ट्रीय रुख का पता चलता है. मंगलवार रात तक प्रस्ताव के 94 सह प्रायोजक थे. इनमें अफगानिस्तान और म्यांमा जैसे कई देशों का शामिल होना संयुक्त राष्ट्र के राजनयिकों के लिए हैरानी की बात है.
रूस-यूक्रेन संघर्ष के सातवें दिन रूस ने भीड़-भाड़ वाले यूक्रेनी शहरों पर अपने हमले जारी रखे और रूसी टैंक तथा अन्य वाहनों का एक लंबा काफिला धीरे-धीरे राजधानी कीव की ओर कूच कर रहा है. अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन ने मंगलवार रात अपने पहले ‘स्टेट ऑफ द यूनियन’ संबोधन में आगाह किया कि रूस को आक्रमण की ”भारी कीमत” चुकानी होगी. यूक्रेन में 40 मील दूरी तक फैला रूसी टैंक और अन्य वाहनों का काफिला धीरे-धीरे कीव की ओर बढ़ रहा है. देश की राजधानी कीव में करीब 30 लाख लोग रहते है. पश्चिमी देशों को आशंका है कि यह रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की यूक्रेनी सरकार को अपदस्थ करके रूसी समर्थक सत्ता की स्थापना करने की कोशिश है l

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