उत्तर प्रदेश की सपा सरकार में खनन मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति की एमपी-एमएलए की विशेष अदालत ने सामूहिक दुष्कर्म में दोषी ठहराते हुए उम्र कैद की सजा सुनाई है। अदालत ने इस मामले में गायत्री के दो सहयोगी अभियुक्त आशीष शुक्ला और लेखपाल अशोक तिवारी की भी उम्रकैद की सजा सुनाई है। तीनों पर दो-दो लाख का जुर्माना भी लगाया गया है। विशेष जज पवन कुमार राय ने कहा है कि जुर्माने की धनराशि पीड़िता की नाबालिग बेटी को दी जाएगी, क्योंकि इस मामले मामले में पीड़िता का आचरण ऐसा नहीं रहा कि उसे जुर्माने का भुगतान किया जाए। पीड़िता की बड़ी बेटी भी पक्षद्रोही घोषित हो चुकी है। ऐसे में उसकी छोटी बेटी ही वास्तव में पीड़िता है, जिसके पुनर्वास की आवश्यकता है। लिहाजा अर्थदंड की संपूर्ण धनराशि उसे मिले.
बता दें, बुधवार को कोर्ट ने तीनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था पाक्सो एक्ट के प्रविधानों के मुताबिक जिस धारा के तहत अधिक सजा होगी, अभियुक्त को उसी धारा से दंडित किया जाएगा। लिहाजा उन्होंने अभियुक्तों को सामूहिक दुष्कर्म के आरोप में उम्रकैद की सजा सुनाई। 2019 से पहले पाक्सो की 5जी/6 के तहत 10 साल से उम्रकैद तक की सजा का प्रविधान था, जबकि यह मामला 2017 का है।
विशेष जज ने अपने 72 पेज के फैसले में कहा है कि अभियुक्तों द्वारा एक असहाय महिला, जिसका पति उसे 14 साल पहले छोड़कर चला गया था, उसकी कमजोर परिस्थिति का लाभ उठाया गया। उसे खनन पट्टे का लालच देकर लखनऊ बुलाया। उसके साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। ऐसे में अपराध को गंभीरता और बढ़ जाती है। एक मंत्री होने के नाते अभियुक्त गायत्री प्रसाद प्रजापति का दायित्व था कि वह जनता की सेवाकरे, लेकिन उसने अपने पद का दुरुपयोग किया।
यह है मामला 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति व अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ लखनऊ के थाना गौतमपल्ली में सामूहिक दुष्कर्म, जान की धमकी व पाक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज हुआ था। सुप्रीम कोर्ट ने पीड़िता की अर्जी पर इसका आदेश दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति व उनके साथियों पर गैंगरप का आरोप लगाते हुए नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबंध बनाने का आरोप लगाया था।