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राम दरबार व सप्त मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर ट्रस्ट के महादचिव चंपत राय की प्रेसवार्ता

अयोध्या।
राम दरबार व सप्त मंदिर में मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा को लेकर ट्रस्ट के महादचिव चंपत राय की प्रेसवार्ता।

चंपत राय का बयान, प्रथम तल पर राम दरबार परकोटा में 6 मंदिरों की स्थापना। सूर्य, भगवती, अन्नपूर्णा, शिवलिंग, गणपति और हनुमान जी। शेषावतार मंदिर में लक्ष्मण जी की मूर्ति की स्थापना। सप्त मंडप में महर्षि वाल्मीकि, वशिष्ठ,विश्वामित्र, अगस्त्य मुनि, निषाद राज, शबरी व अहिल्या मूर्ति की होगी स्थापना,मूर्तियों का निर्माण लगभग हो चुका है, मूर्तियों का श्रृंगार वस्त्र और आभूषण यह सब तैयार हो रहा है, तुलसीदास जी की मूर्ति की स्थापना हो चुकी है, यात्री सुविधा केंद्र का मंडप, 2- 4 लाख जो भी श्रद्धालु दर्शन के लिए आएंगे वे तुलसीदास जी के दर्शन अवश्य करेंगे, यह सभी प्रतिमाएं सफेद रंग के मकराना मार्बल की है, 15 अप्रैल के बाद इन मूर्तियों को जयपुर से निर्माण स्थल से अयोध्या लाना प्रारंभ कर देंगे। जैसे-जैसे मूर्तियां अयोध्या आती रहेगी तत्काल उनको अपने निर्धारित स्थान पर रख दी जाएगी, लगभग 18 प्रतिमाये में स्थापित होगी, लार्सन टुब्रो इस काम को संपन्न करेगा, 30 अप्रैल को अक्षय तृतीया है अत्यंत शुभ दिन है, 30 अप्रैल अक्षय तृतीया को राम दरबार को अपने स्थान पर प्रवेश कर देंगे, पहली मंजिल के गर्भ गृह में स्थापित कर देंगे, जब जून महीने में सभी ट्रस्टी आ जाएंगे तब एक साथ प्राण प्रतिष्ठा कर दी जाएगी, प्राण प्रतिष्ठा का आयोजन तीन दिवसीय होगा, जो भी प्रमुख दिन तय होगा उसके दो दिन पहले से कार्य शुरू हो जाएगा। जलवास, अन्नवास, औषधिवास व शैय्या। जून माह में यह कार्य संपन्न हो जाएगा, शेषावतार मंदिर यह कार्य बाद में होगा, जब यह कार्य शुरू होगा तो अंदर के टावर क्रेन हटा दिए जाएंगे, टावर क्रेन हटाने का मतलब होगा अंदर अब कोई निर्माण नहीं होगा। परकोटा उत्तर और दक्षिण दिशा में जो अधूरा पड़ा हुआ है उस परकोटे का निर्माण करना प्रारंभ करेंगे, राम मंदिर में चार द्वार बना रहे हैं, उत्तरी दिशा में एक द्वार, क्रॉसिंग 11 का द्वार,क्रासिंग तीन का द्वार, रामजन्मभूमि का प्रवेश द्वार। द्वारों के नाम इस ढंग से रखे जाएंगे की संपूर्ण भारत की आध्यात्मिक एकात्म यहां प्रकट हो। रामानुज परंपरा, शंकराचार्य जी की परंपरा, वैष्णव में माधवाचार्य जी की परंपरा, अयोध्या में रामानंदाचार्य की परंपरा। यह चार परंपराएं ऐसी हैं जिससे संपूर्ण देश का एकात्मका का प्रकट होगा। परकोटा 2025 तक कार्य पूरा हो जाएगा। इतना बड़ा कार्य है अगर दो-चार महीने और लग गए तो इसे रोलिंग पीरियड कहेंगे। शिखर का पूजन हो चुका है, जैसे-जैसे तैयारी होती रहेगी शिखर को ऊपर स्थापित करते रहेंगे। इसके बाद भुज दंड। सारे दंड आ चुके हैं। उसके बाद सभी का सामूहिक पूजन करेंगे, परिस्थितियों के अनुसार उसे दंड की स्थापना करते रहेंगे। प्रयागराज, पुरंदर दास एक आंध्र के हैं इनकी प्रतिमाएं भी लगाई जाएगी। गिलहरी की भी स्थापना की जाएगी।

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