गोंडा : सुदामा चरित्र की मंगलमयी कथा से परसपुर में जागृत हुआ प्रभु प्रेम, श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन ने बांधा मन



परसपुर (गोंडा)। नगर पंचायत परसपुर के ग्राम पूरे दौलत स्थित एसबीआई बैंक से सेवानिवृत्त कैशियर डॉ. आर.बी. सिंह के निज निवास स्थान पर आयोजित श्रीमद्भागवत महापुराण कथा में सुदामा चरित्र का प्रसंग जैसे ही आरंभ हुआ, वैराग्य, भक्ति और निष्कलंक मित्रता की जीवंत अनुभूति जन-जन के अंतःकरण में जाग उठी। अयोध्या धाम से पधारे विद्वान आचार्य रविंद्र शुक्ल जी महाराज ने कहा कि सुदामा केवल निर्धन ब्राह्मण नहीं थे, वे उस चेतना के प्रतीक हैं जो लोभ, इच्छा और अपूर्णता से परे प्रभु चरणों में समर्पित रहती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि सच्चा भक्त वही है जो विपत्ति में भी प्रभु से विमुख नहीं होता और जिसकी भिक्षा प्रभु प्राप्ति की तृषा से जन्म लेती है। उन्होंने कहा कि जो याचना आत्मा की पुकार बनकर प्रभु तक पहुंचे, वही साधना है, वही भक्ति है। श्रीकृष्ण-सुदामा मिलन का प्रसंग जब आया, तब कथा ने भक्ति की उस ऊंचाई को छू लिया जहाँ आत्मा और परमात्मा का मिलन प्रत्यक्ष प्रतीत होने लगा। सिंहासन से उतरकर सखा को गले लगाने वाला श्रीकृष्ण केवल द्वारिकाधीश नहीं, वह करुणा और आत्मीयता का साक्षात स्वरूप था। जैसे ही आचार्यश्री ने श्रीकृष्ण के मुख से निकला—”मित्र सुदामा!”—उस क्षण ने यह साक्षात कर दिया कि प्रभु को धन नहीं, प्रेम चाहिए; आडंबर नहीं, अंतःकरण का भाव चाहिए। उन्होंने बताया कि सुदामा की कुटिया चाहे काष्ठ व मृत्तिका की बनी हो, किंतु उसमें संतोष, श्रद्धा और परम तृप्ति की ऐसी आभा थी, जो वैभवशाली महलों को भी तुच्छ बना देती है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रभु से कुछ मांगने की प्रवृत्ति यदि केवल सांसारिक हो, तो वह भिखारीत्व है, लेकिन यदि वह भगवान को पाने की साधना बन जाए, तो वही भिक्षा, मोक्ष का सेतु बनती है। इस आयोजन को शास्त्रसम्मत और मर्यादित रूप देने में डॉ. आर.बी. सिंह सहित कमलदेव सिंह, अन्नपूर्णा सिंह, शांति सिंह, हरीश सिंह, कौशिक जोनी एवं अनूप का विशेष सहयोग रहा है।

