
अमानीगंज।
पांच साल पहले राजकीय निर्माण निगम के लेखाकार और इंजीनियर ने मिलकर एक करोड़ रुपये से ज्यादा सरकारी धन का दुरुपयोग किया। वर्ष 2018 में वे पूरा भुगतान निकालकर काम अधूरा छोड़कर चले गए। पांच साल बाद शनिवार को निगम के अफसरों ने इन दोनों के खिलाफ कुमारगंज थाने में मुकदमा दर्ज कराया है। दोनों सेवानिवृत्त हो चुके हैं। अब इनसे वसूली की जाएगी।
मामला अमानीगंज ब्लॉक के देवगांव का है। जहां 17 दिसंबर 2014 को शासन ने 50 बेड का अस्पताल बनाने के लिए 13.21 करोड़ का बजट स्वीकृत किया था। इसके निर्माण का जिम्मा उप्र राजकीय निर्माण निगम की अयोध्या इकाई को मिला। निर्माण हुआ नहीं और इसका बजट रिवाइज करने की मांग की गई। ऐसे में शासन ने 26 नवंबर 2016 को करीब दो करोड़ रुपये बजट बढ़ाते हुए कार्य की लागत 15.15 करोड़ रुपये स्वीकृत कर दी। 2018 में ही इस पूरे बजट का भुगतान कर दिया गया, जबकि अस्पताल और आवास आदि के काम अधूरे ही छोड़ दिए गए।इस मामले में निर्माण निगम के इकाई प्रभारी अधिशासी अभियंता अनूप शुक्ला ने शनिवार को तत्कालीन स्थानिक अभियंता सिविल एचपी भट्ट और लेखाकार प्रदीप अग्रवाल के खिलाफ सरकारी धन के दुरुपयोग की प्राथमिकी कुमारगंज थाने में दर्ज कराई। ये दोनों ही कर्मचारी सेवानिवृत्त भी हो चुके हैं। कुमारगंज थाना प्रभारी शिवबालक ने बताया कि मुकदमा दर्जकर मामले की जांच की जा रही है।भले ही अब राजकीय निर्माण निगम के उच्चाधिकारी आरोपी कर्मचारियों के खिलाफ केस दर्ज करवा रहे हैं, लेकिन उनकी कार्यशैली सवालों के घेरे में है। जब यह भुगतान वर्ष 2018 में ही करके निर्माण रोक दिया गया था तो उसी समय निगम ने जांच क्यों नहीं करवाई और रिटायरमेंट से पहले इन कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई क्यों नहीं हुई। इस काम में निगम को पांच साल क्यों लग गए। यही नहीं मुख्यालय ने नवंबर 2022 में मुकदमा दर्ज कराने और रिकवरी का आदेश दिया, फिर भी मुकदमा दर्ज होने में छह महीने लग गए। जाहिर है रिटायरमेंट से जुड़े सारे लाभ मिल जाने के बाद अब इन कर्मचारियों से वसूली करना आसान नहीं होगा।