
निर्मल दुबे मिर्ज़ापुर
जेठवन एकादशी एक हिन्दू त्योहार है, जो जेठ माह की शुक्ल पक्ष की एकादशी को मनाया जाता है। इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और उनके नाम का जाप किया जाता है। इस दिन व्रत करने वाले लोग निर्जल व्रत रखते हैं, यानि कि उन्हें पानी भी नहीं पीना चाहिए। इस व्रत का पालन करने से वर्ष भर की सभी एकादशियों का फल प्राप्त होता है।
जेठवन एकादशी का एक और नाम भीमसेनी एकादशी भी है, क्योंकि इस व्रत को पांडव भीम ने भी किया था। भीम को बहुत ज्यादा भूख लगती थी और वह एक दिन भी भोजन के बिना नहीं रह सकते थे। इसलिए, उन्हें चौबीस एकादशियों पर व्रत रखने में कठिनाई होती थी। तब महर्षि वेदव्यास ने उन्हें बताया कि वह जेठवन एकादशी का व्रत रखे उससे उन्हें सभी एकादशियों के व्रत का फल मिलेगा। भीम ने उनकी बात मानी और इस व्रत को किया। इससे उन्हें भगवान विष्णु की कृपा मिली और उन्हें धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष की प्राप्ति हुई।
जेठवन एकादशी का व्रत करने का विधान इस प्रकार है: व्रत की तैयारी दशमी के दिन से शुरू होती है। इस दिन व्रत करने वाले को मांस, प्याज, लहसुन, मसूर दाल आदि का त्याग करना पड़ता है। रात्रि मे ब्रह्मचर्य का पालन करना होता है और भोग-विलास से दूर रहना होता है। एकादशी के दिन सुबह स्नान करना चाहिए और भगवान विष्णु की पूजा करना चाहिए। उनके नाम का जाप और उनकी आरती गानी करनी चाहिए। इस दिन व्रती को पानी भी नहीं पीना होता है। अगर किसी को बहुत ज्यादा प्यास लगे तो वह अपने मुंह में तुलसी के पत्ते रख सकता है। इस दिन व्रती को गोदान, वस्त्रदान, छत्रदान, फलदान आदि करना चाहिए। द्वादशी के दिन व्रती को ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए और उनका आशीर्वाद लेना प्राप्त करना चाहिए।
जेठवन एकादशी का व्रत करने से व्रती को अनेक लाभ मिलते हैं। इस व्रत से व्रती के सभी पाप नष्ट होते हैं और उसका मन शुद्ध होता है। इस व्रत से व्रती को भगवान विष्णु का आशीर्वाद मिलता है और उसकी सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं। इस व्रत से व्रती को इस लोक में सुख, समृद्धि, यश और आयु बढ़ती है और परलोक में मोक्ष मिलता है। इसलिए, जेठवन एकादशी का व्रत एक बहुत ही महत्वपूर्ण और शुभ व्रत है, जिसे हर भक्त को करना चाहिए।
निर्मल दुबे ब्यूरो चीफ मिर्जापुर उत्तर प्रदेश।