GONDAउत्तरप्रदेशकरनैलगंज परसपुर
Trending

गोंडा : अकीदत और शिद्दत से मनाया गया मोहर्रम, ताजिया दफन के साथ किया गया मातम

परसपुर (गोंडा)। परसपुर नगर सहित ग्रामीण इलाकों में रविवार को शहादत-ए-कर्बला की याद में मुहर्रम का पर्व गहरे अकीदत और शिद्दत के साथ मनाया गया। दोपहर बाद नमाज व इबादत के बाद विभिन्न चौक-चौराहों से ताजिया का जुलूस गाजे-बाजे और ढोल-ताशे के साथ निकाला गया। जुलूसों के मार्ग पर चप्पे-चप्पे पर शांति एवं सुरक्षा व्यवस्था के लिए पर्याप्त पुलिस बल तैनात रहा। परसपुर थानाध्यक्ष शारदेंदु कुमार पांडेय स्वयं पुलिस बल के साथ क्षेत्र में गश्त करते दिखे। परसपुर कस्बे के साई तकिया, नौशहरा, नई बस्ती कॉलोनी, कुंडियाव, अंजही, गाड़ी बाजार एवं शान नगर से निकले ताजिया जुलूस सबल सिंह चौक पर एकत्र हुए। वहां से एकजुट होकर यह जुलूस मुख्य चौराहे होते हुए सीबीएन मार्ग से होकर करीब शाम 5 बजे राजपुर के आटा गांव के पास परसपुर सीमा पर पहुंचे, जहाँ परंपरागत रूप से सभी जुलूसों का मिलान हुआ। इसके बाद ताजियेदार अपनी-अपनी ताजिया लेकर कर्बला पहुंचे, जहां गमगीन माहौल में इबादत कर ताजिया दफन किया गया।

इस दौरान ढोल-ताशों के साथ मातम करते हुए ताजियेदारों ने ‘या हुसैन’ के नारे लगाए और हसन-हुसैन की कुर्बानी को याद किया। परसपुर क्षेत्र के बनवरिया, पसका, कटैला, सकरौर, अकोहरी, कुड़ियांव, डेहरास, भौरीगंज, धनौरा सहित अनेक गांवों में भी ताजिया जुलूस निकाले गए। सभी जगहों पर कर्बला के मेले के साथ मुहर्रम पर्व पूरी शांति और श्रद्धा से संपन्न हुआ। जुलूसों में शामिल अकीदतमंदों ने मातम करते हुए इमाम हुसैन की शहादत को याद किया।

माना जाता है कि इस्लाम धर्म के प्रवर्तक हजरत मोहम्मद साहब के नवासे इमाम हुसैन ने इराक के कर्बला में जालिम यजीद की हुकूमत को स्वीकार न करते हुए सत्य और धर्म की रक्षा के लिए जंग लड़ी थी। इस संघर्ष में हुसैन समेत उनके 72 परिजनों ने शहादत दी, लेकिन अन्याय के आगे सिर नहीं झुकाया। बूढ़े, बच्चे और औरतें भी इस जंग में शामिल रहीं और हुसैन के साथ कंधे से कंधा मिलाकर धर्म की रक्षा में कुर्बान हो गए। उनकी याद में हर साल मोहर्रम का पर्व मनाया जाता है जिसमें ताजियेदारी, अजादारी और मातम के माध्यम से उन्हें याद किया जाता है ।

Related Articles

Back to top button