गोंडा : गोण्डा में अवैध नर्सिंग होम में दो नवजातों की मौत, CMO के बयान ने भड़काया जनाक्रोश

भाजपा विधायक अजय सिंह ने गोंडा सीएमओ रश्मि वर्मा के खिलाफ तंज कसते हुए कहा है कि नहीं वह तो इनका बयान गलत है हमारी सरकार सीएमओ के खिलाफ सख्त से सख्त कार्यवाही जरूर करेगी ।

गोण्डा। जिले में एक अवैध नर्सिंग होम में दो नवजात शिशुओं की मौत की घटना ने पूरे क्षेत्र को हिला कर रख दिया है। इस दुखद हादसे ने न केवल स्वास्थ्य विभाग की गंभीर लापरवाही को उजागर किया, बल्कि मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. रश्मि वर्मा के असंवेदनशील और शर्मनाक बयान ने लोगों में जबरदस्त आक्रोश पैदा कर दिया। शुक्रवार को मीडिया से बातचीत के दौरान डॉ. वर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे हंसते हुए कहती नजर आ रही हैं, “एक बच्चा मर गया तो उसके लिए सब आ गए, हजार जिंदा हैं तो उनके लिए लड्डू खाने भी तो जाओ ना।” इस बयान ने न केवल पीड़ित परिवारों को गहरा आघात पहुंचाया बल्कि पूरे समाज को झकझोर कर रख दिया।

घटना गुरुवार को हुई जब जिले के सतईपुरवा निवासी मोहित कुमार की पत्नी मनीषा ने 5 सितंबर को जिला महिला अस्पताल में एक स्वस्थ बच्चे को जन्म दिया। नवजात की हालत बिगड़ने पर परिजन उसे पास के एक निजी नर्सिंग होम के एनआईसीयू में ले गए, जो अवैध रूप से बिना पंजीकरण के संचालित हो रहा था। वहीं इलाज के दौरान दो नवजातों की मौत हो गई। स्वास्थ्य विभाग ने त्वरित कार्रवाई करते हुए नर्सिंग होम को सील कर दिया है, जबकि इसके संचालक और चिकित्सक फरार बताए जा रहे हैं। उप मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉ. जे.एम. चिश्ती के अनुसार, दोनों परिवारों ने शवों का पोस्टमॉर्टम कराने से इनकार कर दिया है। विभाग ने मामले की जांच शुरू कर दी है, हालांकि मौत के कारणों की पुष्टि अभी बाकी है।


डॉ. रश्मि वर्मा के विवादास्पद बयान ने आग में घी डालने का काम किया। वायरल वीडियो में वे यह कहते दिख रही हैं कि “एक मौत पर सब इकट्ठा हो जाते हैं, लेकिन हजारों बच्चे जिंदा हैं तो उत्सव मनाने क्यों नहीं आते।” इस असंवेदनशील टिप्पणी पर परिजनों के साथ-साथ आम जनता भी आक्रोशित हो उठी। शनिवार को गोण्डा शहर के एलबीएस चौराहे पर सैकड़ों लोगों ने प्रदर्शन किया। “सीएमओ हटाओ, स्वास्थ्य सेवाओं को बचाओ” और “रश्मि वर्मा मुर्दाबाद” जैसे नारे गूंजते रहे। प्रदर्शनकारियों ने डॉ. वर्मा के तत्काल इस्तीफे और उनके खिलाफ विभागीय कार्रवाई की मांग की। सोशल मीडिया पर भी इस मुद्दे ने तूल पकड़ लिया है और #GondaCMO तथा #RashmiVerma जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, “एक मां होकर दूसरी मां का दर्द न समझना शर्मनाक है।” यह पहली बार नहीं है जब डॉ. रश्मि वर्मा पर लापरवाही के आरोप लगे हैं। जिले में बीते कुछ महीनों में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर लगातार शिकायतें सामने आई हैं—डायबिटीज महामारी में तीन बच्चों की मौत, फूड पॉइजनिंग से एक पिता-पुत्री की मौत और अन्य मामलों में निष्क्रियता के आरोप लग चुके हैं। स्थानीय पत्रकारों का कहना है कि अवैध नर्सिंग होम पर निगरानी के मामले में स्वास्थ्य विभाग की निष्क्रियता ही इन त्रासदियों को जन्म दे रही है। विपक्षी दलों ने इस मुद्दे पर सरकार को घेरा है, जबकि सत्तापक्ष के समर्थक जांच की बात कर रहे हैं। प्रदर्शन के दौरान पुलिस ने स्थिति को संभाला, लेकिन जनता का गुस्सा थमने का नाम नहीं ले रहा। पीड़ित परिवारों और स्थानीय लोगों ने स्वास्थ्य मंत्री बृजेश पाठक से तत्काल हस्तक्षेप की मांग की है। यह घटना उत्तर प्रदेश की जर्जर होती स्वास्थ्य व्यवस्था पर गंभीर सवाल खड़े करती है, जहां पहले से ही नवजात मृत्यु दर चिंता का विषय है। विभाग द्वारा जांच समिति का गठन कर दिया गया है, लेकिन जनता का विश्वास लौटाने के लिए केवल जांच काफी नहीं होगी—इसके लिए ठोस और सख्त कदम उठाने होंगे। यदि ऐसी लापरवाहियां और संवेदनहीनता यूं ही जारी रही, तो आने वाले समय में इससे भी बड़ी और दर्दनाक त्रासदियों से इनकार नहीं किया जा सकता।