
“व्हाईस ऑफ मीडिया” की तरफ़ से एक सवालनामा
संदीप काळे
…………………………………………………..
उत्तर प्रदेश
सीतापुर में दैनिक जागरण के पत्रकार राघवेंद्र बाजपेई की हत्या का ज़ख्म अभी सूखा भी नहीं था,
कि एक और पत्रकार – वरिष्ठ पत्रकार नवनीत पांडेय लापता होकर बाराबंकी में नहर में तैरती लाश बनकर सामने आए।
यह महज दो लोगों की मौत नहीं है,
यह पत्रकारिता पर, संविधान पर और जनता के भरोसे पर किया गया कातिलाना हमला है।
⸻
जब एक पत्रकार मारा जाता है…
• तब एक आवाज़ नहीं,
पूरी जनता की उम्मीद दम तोड़ती है।
• हर वो सवाल जो अन्याय के खिलाफ उठता है,
खामोश कर दिया जाता है।
सरकारें चुप हैं।
सत्ता में बैठे लोग जुमलों में व्यस्त हैं।
लेकिन ध्यान रहे –
ये चुप्पी डर नहीं, तूफान से पहले की खामोश आंधी है।
⸻
हम पत्रकार हैं – कलम चलाते हैं, ज़रूरत पड़ी तो सड़कों पर उतरते हैं।
• हमारी स्याही सूख सकती है,
पर हिम्मत नहीं।
• हमारी जुबां बंद की जा सकती है,
पर सच्चाई को खामोश नहीं किया जा सकता।
व्हाईस ऑफ मीडिया इस हत्या की तीव्र निंदा करती है।
हम कहते हैं — यह केवल एक पत्रकार की हत्या नहीं,
बल्कि जनता की आंख, कान और जुबान को कुचला गया है।
⸻
आंकड़े चीख-चीख कर क्या कह रहे हैं?
• 2014 से अब तक:
28 पत्रकारों की हत्या (RSF रिपोर्ट) — इनमें से आधे पर्यावरण से जुड़े मुद्दों पर रिपोर्टिंग कर रहे थे।
• 2023 में:
5 पत्रकारों की हत्या, 226 को धमकियां या हमले (डेक्कन हेराल्ड)
• 1992 से 2022 तक:
61 पत्रकारों की हत्या, 25 को जेल (Statista)
• विश्वस्तर पर (2022-23):
162 पत्रकारों की हत्या (UNESCO)
⸻
अब समय है — आंदोलन का!
अब चुप नहीं रहेंगे,
अब सहन नहीं करेंगे!
हर शहर, हर राज्य में
“पत्रकार सुरक्षा कानून” के लिए
जनआंदोलन होगा!
⸻
हमारी अपील:
व्हाईस ऑफ मीडिया आप सभी पत्रकारों, संस्थाओं, और जागरूक नागरिकों से अपील करती है –
इस आवाज़ में अपनी आवाज़ मिलाइए।
जिस तरह एक भाई जाता है,
उसी तरह हमें आज यह महसूस होना चाहिए —
वो पत्रकार नहीं गया,
हम सबका एक अभिन्न हिस्सा चला गया।
⸻
हम न झुकेंगे, न रुकेंगे – हम लड़ेंगे!
“पत्रकार मरा नहीं है,
वो हर चीख में ज़िंदा है…
हर सवाल में ज़िंदा है…
हर आंदोलन में ज़िंदा रहेगा।”
⸻
**व्हाईस ऑफ मीडिया ज़िंदाबाद!
पत्रकार एकता ज़िंदाबाद!
लोकतंत्र अमर रहे!
संपर्क:
संदीप काळे
संस्थापक तथा अंतरराष्ट्रीय अध्यक्ष वायस ऑफ मीडिया
मो.: 9890098868