
*आज दिनांक 10 जनवरी 2025 शुक्रवार*
सनातन धर्म में एकादशी पर्व का खास महत्व है। यह दिन भगवान विष्णु को पूर्णतया समर्पित होता है। इस शुभ अवसर पर भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है। विष्णु पुराण में एकादशी व्रत की महिमा का गुणगान वर्णित है। इस व्रत को करने से जन्म- जन्मांतर में किये गए पापों से मुक्ति मिलती है। साथ ही मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। वहीं, पौष माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी का व्रत करने से पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
एकादशी व्रत कथा –
पुत्रदा एकादशी व्रत कथा के अनुसार, द्वापर युग में महिष्मति नाम की एक नगरी थी, जहां महीजित नाम का राजा राज्य करता था। राजा धर्मनिष्ठ थे और प्रजापालक थे, लेकिन उन्हें कोई संतान नहीं थी।राजा को इस बात से चिंता रहती थी कि आगे उनके वंश का नाम कैसे चलेगा। इस कथा के अनुसार, राजा ने कई उपाय किए, लेकिन उन्हें पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई। एक दिन राजा ने अपने आश्रम में कुछ ऋषि-मुनियों को देखा, जो वहां भजन- कीर्तन कर रहे थे। राजा ने उनसे प्रणाम किया और उन्हें अपने दुख से अवगत कराया।ऋषियों ने राजा के पूर्व जन्म का वृत्तांत बताया और कहा कि राजा पूर्व जन्म में एक निर्धन वैश्य थे।
ऋषि ने राजा को बताया कि पुत्रदा एकादशी का व्रत करने से पुत्र की प्राप्ति होती है। राजा ने व्रत किया और द्वादशी को उसका पारण किया। इसके बाद रानी ने गर्भ धारण किया और नौ महीने बाद एक पुत्र को जन्म दिया।
|| विष्णु भगवान की जय हो ||