उत्तर प्रदेश

मिठाइयों में मिलावट के जहर से जनता हलकान चंद रुपयों के लालच में में कर देते हैं लाखों जीवन से खिलवाड़

मिलावटखोर थोड़ा ज्यादा मुनाफा कमाने के लिए आम लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ कर रहे हैं. दिवाली पर नकली मावा और मिठाइयां धड़ल्ले से दिल्ली एनसीआर और अन्य राज्यों में सप्लाई किए जा रहे हैं क्योंकि चंद रुपयों के लिए लाखों जीवन से खिलवाड़ कर देते हैं मिलावट को जनता के किसी परेशानी से कोई सरोकार नहीं होता उनका केवल 1 सूत्रीय कार्यक्रम होता है मुनाफा और पैसा कमाना ही अपना हित समझते हैं उनकी आत्मा एवं आत्मीयता समाज के लिए खत्म हो चुकी होती है सरकार का भी एक कर्तव्य है कठोर कानून के द्वारा ऐसे मिलावटखोरों को सख्त से सजा सख्त सजा का प्रावधान कर दिया जाए जिससे कोई भी मिलावट खोर कभी अपने जीवन में मिलावट करने की हिम्मत न कर सके क्योंकि एडल्टरेशन मिलावटी सामानों को बेचने और खरीदना उसका भंडारण आज सब पर प्रतिबंध लगना चाहिए और कानून पास करके सख्त से सख्त सजा जिसे मृत्युदंड तक सम्मिलित हो सरकार को कानूनी राय लेकर विचार करके प्रावधान कर देना चाहिए जिससे व्यक्तियों की जान की सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और लोगों को स्वच्छ और शुद्ध खाद्य पदार्थ मिल सके

दिवाली बिना मिठाई के पूरी नहीं होती. छोटी दिवाली से लेकर भैया दूज तक हर दिन लोग तरह-तरह की मिठाई खरीदते हैं. त्योहारों में इस बढ़ी हुई मांग को पूरा करने के लिए मिठाई की दुकानें सज जाती हैं. ज्यादातर दुकानों में तो बाहर तक मिठाई के काउंटर लगाने पड़ते हैं . लेकिन जरा सोचिए कि अचानक इतनी मिठाई आती कहां से है? तो आज हम आपको ले चलेंगे उस फैक्ट्री में जहां त्योहारों के लिए मिठाई और मिठाई का सामान यानी मावा तैयार होता है.

पहले बात यूपी के मेरठ की

यूपी के सरधना का छबड़िया और कालन गांव दूध और मावे के लिए मशहूर है . यहां घर-घर मावा बनाने का काम होता है. दिवाली आते ही हलचल बढ़ जाती है. हम यहां ये पड़ताल करने पहुंचे कि जब दूध की सप्लाई उतनी ही है तो अचानक इतना मावा कहां से और कैसे बनने लगता है? यहां का एक शख्स मेरठ से हापुड़, गाजियाबाद और दिल्ली तक मावे की सप्लाई करता है. इसने हमें अपनी फैक्ट्री में बना मावा चखने के लिए कहा. रिपोर्टर शख्स से पूछता है कि इसमें और क्या डाला है डालडा के अलावा ? एक तो मिल्क पाउडर है डालडा है सबसे ज्यादा डालडा का ही टेस्ट आ रहा है, रिफाइंड भी डाला है क्या..? तो वह मिलावटखोर कहता है- हां, थोड़ा रिफाइंड भी डाला है, वो ऐसा है सर्दी में थोड़ा सा रिफाइंड भी डालते हैं हल्के माल जमाने के लिए और लचक के लिए. रिपोर्टर आगे कहता है – सोया भी डाला है क्या ? मिलावटखोर कहता है- नहीं सोया तो नहीं डाला जी, लचक के लिए रिफाइंड डालते है हल्के माल में, रिफाइंड, डालडा, मिल्क पाउडर और थोड़ा सा सप्रेटा लगता है क्योंकि बिना सप्रेटा मिल्क घुलेगा नहीं.

इस मिलावटखोर के मुताबिक मिठाई के लिए तैयार होने वाले मावे में वो दूध की जगह पाउडर, डालडा, रिफाइंड तेल और अरारोट का इस्तेमाल करता है.

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