2024 लोकसभा चुनाव: INDIA गठबंधन ने उत्तर प्रदेश में बीजेपी के किले को किया ध्वस्त
भाजपा ने 2019 के लोकसभा चुनावों के दौरान राज्य में अपने गढ़ का प्रदर्शन करते हुए उत्तर प्रदेश की 80 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की, लेकिन इस बार 2024 में उन्हें अपने गढ़ में काफी शक्तिशाली झटका लगा है।
2019 के चुनाव में यूपी में बीजेपी का प्रदर्शन:
2019 के लोकसभा चुनावों में भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने उत्तर प्रदेश में बेहतरीन प्रदर्शन किया था। बीजेपी ने 80 में से 62 सीटों पर जीत हासिल की थी। इस जीत का श्रेय पार्टी के संगठित प्रचार और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता को दिया गया था।
2024 के चुनाव में नया समीकरण:
2024 के चुनाव में स्थिति बदल गई। बीजेपी को उत्तर प्रदेश में कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। इसका मुख्य कारण ‘INDIA’ (इंडियन नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस) गठबंधन रहा। इस गठबंधन ने एक नया राजनीतिक समीकरण पेश किया, जिससे बीजेपी को भारी नुकसान हुआ।
INDIA गठबंधन:
INDIA गठबंधन ने बीजेपी को टक्कर देने के लिए एक संयुक्त रणनीति अपनाई। पहले चुनावों में, कई प्रमुख दल अलग-अलग उम्मीदवार खड़े करते थे, जिससे वोट बंट जाते थे और बीजेपी को फायदा होता था। लेकिन इस बार, गठबंधन ने यह सुनिश्चित किया कि हर सीट पर केवल एक संयुक्त उम्मीदवार हो, जिससे वोट का विभाजन नहीं हो पाया।
गठबंधन के प्रमुख दल:
इस गठबंधन में समाजवादी पार्टी (सपा), कांग्रेस, जैसे प्रमुख दल शामिल थे। इन दलों ने आपस में तालमेल बिठाकर सीटों का बंटवारा किया और एक संयुक्त मोर्चे के रूप में चुनाव लड़ा।
वोट बंटने से बचा:
गठबंधन की यह रणनीति काफी कारगर साबित हुई। 2019 में जहां एक सीट पर 4-5 प्रमुख दल लड़ते थे, वहां 2024 में केवल एक संयुक्त उम्मीदवार ने मुकाबला किया। इससे मतदाताओं का वोट बंटने से बचा और बीजेपी के खिलाफ वोट एकजुट हो गए।
बीजेपी को नुकसान:
इस नए समीकरण के कारण बीजेपी को कई सीटों पर हार का सामना करना पड़ा। मतदाता, जो पहले विभाजित हो जाते थे, इस बार एकजुट होकर गठबंधन के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान किया। इसका सीधा असर बीजेपी की सीटों पर पड़ा और वे कई मजबूत गढ़ों में भी हार गए।
2024 के चुनावों ने यह साबित कर दिया कि जब विपक्षी दल एकजुट होकर लड़ते हैं, तो वे बड़ी ताकत बन सकते हैं। INDIA गठबंधन की यह रणनीति अन्य राज्यों के लिए भी एक सबक है कि किस प्रकार एकता के माध्यम से बड़े से बड़े राजनीतिक दल को चुनौती दी जा सकती है। बीजेपी के लिए यह चुनाव एक चेतावनी है कि उन्हें अपनी रणनीति पर पुनर्विचार करना होगा और जनता के बीच अपनी पकड़ मजबूत करनी होगी।