सिर खोला न बेहोश किया, एक दिन में ब्रेन सर्जरी:गाजियाबाद की महिला के सिर में था 10 सेंटीमीटर का ट्यूमर
गाजियाबाद में एक 40 साल की महिला की काफी जटिल ब्रेन कर उसे नया जीवन दिया गया। यह सर्जरी राजेंद्र नगर स्थित बालाजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के ब्रेन स्टूडियो में एक दिन में की गई। सर्जरी निदेशक डॉ. अभिनव गुप्ता ने की।
डॉ. अभिनव गुप्ता के अनुसार, महिला के ब्रेन में 10 सेंटीमीटर का ट्यूमर था। हम सिर खोलकर भी ट्यूमर नहीं निकाल सकते थे। सबसे पहले हमारे लिए यह पता करना जरूरी था कि ट्यूमर कौन सा है। इसके लिए हमने मरीज के सिर के ऊपर एक फ्रेम लगाया। थ्री डायमेंशन में ट्यूमर की लोकेशन देखी। इसी फ्रेम के लगाए रहते हुए मरीज का सीटी स्कैन किया।
सिर के ऊपर छेद कर ट्यूमर के सेंटर तक पहुंचे
उन्होंने बताया कि सिर के ऊपर एक छेद किया गया। इस छेद से हम ट्यूमर के सेंटर तक पहुंचे। यहां से ट्यूमर के चार टुकड़े लिए गए। फिर उस छेद को बंद कर दिया गया। डॉक्टर गुप्ता ने बताया कि महिला मरीज की सर्जरी पहले ही कर दी गई थी। सिर के टांके गुरुवार को निकाल दिए गए हैं। अब उनकी रेडियो थैरेपी होगी। इस थैरेपी में एक्स-रे की किरणों से ट्यूमर को जलाया जाता है।
महिला बात करती रही, ऑपरेशन सक्सेस हो गया
पीड़ित महिला मरीज की छाती की रिपोर्ट खराब थी, इसलिए जनरल एनेस्थीसिया देकर उनका ऑपरेशन करना असंभव था। डॉ. अभिनव गुप्ता ने उन्हें बिना बेहोश करे ही ब्रेन स्टूडियो में उपचार करने का निर्णय लिया। सचेत अवस्था में ही उनकी स्टीरियोटैक्टिक बायोप्सी हुई। स्टीरियोटैक्टिक फ्रेम को सिर पर लगाया गया और ऑपरेशन थिएटर में इंट्राऑपरेटिव सीटी स्कैन किया गया था। एक्स वाई जेड अक्ष में सीटी निर्देशांक के साथ क्षतिग्रस्त भाग को तीन आयामों में स्थानीयकृत किया गया था। खोपड़ी में एक छोटा सा छेद किया गया और मरीज के होश में रहते हुए ही बायोप्सी की गई। फिर उस स्थान को साफ कर के मरहम पट्टी कर दी गई। डॉक्टर अभिनव गुप्ता ने बताया, मरीज पूरे समय हमसे बात कर रही थी, जब हम उसके मस्तिष्क को ऑपरेट कर रहे थे। मस्तिष्क की एक बड़ी सर्जरी के तुरंत बाद भी वह अपने कमरे में वापस जाने के लिए फिट थी और सर्जरी के ठीक एक घंटे बाद हल्का खाना खा रही थी।
महिला मरीज को एम्स ने भी लौटाया
40 वर्षीय महिला मरीज ने बताया कि मेरा परिवार मुझे बायोप्सी कराने के लिए अखिल भारतीय चिकित्सा संस्थान (एम्स) ले गया, लेकिन वहां बायोप्सी न हो सकी। यह हमारे लिए एक मुश्किल दौर था, क्योंकि मेरी हालत बिगड़ती जा रही थी। गाजियाबाद के बालाजी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सफल सर्जरी के बाद महिला की आंखों में खुशी के आंसू थे।