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रायसिना डायलॉग – यूरोपीय देशों को भारत की दो टूक कहा हमसे ज्यादा आप के संपर्क में है रूस

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भारत में सोमवार से रायसीना डायलॉग (Raisina Dialogue) की शुरुआत हुई है, जिसमें हिस्सा लेने के लिए दुनियाभर से कई देशों के प्रतिनिधि नई दिल्ली पहुंचे हैं.
इस दौरान दो यूरोपीय देशों के विदेश मंत्रियों ने भारत से रूस-यूक्रेन युद्ध (Russia-Ukraine War) को लेकर सवाल किया. इस पर दोनों ही मुल्कों को दो टूक जवाब दिया गया. भारत ने कहा कि रूस (Russia) नई दिल्ली के साथ जितने संपर्क में है. उससे कहीं ज्यादा वह यूरोप के साथ रहता है. लोकतंत्र की दुहाई देने पर भारत ने कहा कि कहा कि जब अफगानिस्तान में संकट पैदा हुआ, तो सभी लोकतांत्रिक देश बस हाथ पर हाथ धरे बैठे देखते रहे हैं.
दरअसल, रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेने पहुंचीं नॉर्वे की विदेश मंत्री एनिकेन हुइटफेल्ड ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से पूछा कि रूस ने एक लोकतांत्रिक देश यूक्रेन पर हमला किया है. दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के रूप में भारत की क्या भूमिका है? इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, भारत ने बार-बार इस मामले पर अपना रुख स्पष्ट किया है. हमारा कहना है कि बातचीत के जरिए इस विवाद का समाधान किया जाए. जहां तक लोकतांत्रिक दुहाई की बात है तो अफगानिस्तान में पिछले साल जो कुछ हुआ, उस पर सभी लोकतांत्रिक देश बस देखते रहे. उन्होंने कहा, हिंद-प्रशांत इलाके में जो चुनौतियां हमारे सामने हैं. उस पर कोई लोकतांत्रिक देश एक्शन कहां लेते हैं?
रूसी विदेश मंत्री से जुड़े सवाल पर मिला ये जवाब
वहीं, रायसीना डायलॉग में हिस्सा लेने आए लक्जमबर्ग के विदेश मंत्री जीन एस्सेलबोर्न ने अपने भारतीय समकक्ष एस जयशंकर से सवाल किया, कुछ दिन पहले रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत आए थे. क्या उन्होंने बताया कि रूस ने यूक्रेन पर क्यों किया हमला? इस पर विदेश मंत्री जयशंकर ने कहा, रूस के विदेश मंत्री ही बता सकते हैं कि रूस ने ऐसा कदम क्यों उठाया. मैं केवल ये बता सकता हूं कि भारत का इस मामले पर क्या रुख रहा है. उन्होंने आगे कहा, जहां तक हमारी बातचीत का सवाल है तो रूस हमसे जितना संपर्क में है. उससे बहुत ज्यादा रूस यूरोपीय देशों के साथ बात करता है, इसलिए आप लोगों को हमसे ज्यादा पता होगा.
दरअसल, भारत ने रूस को लेकर अपना रुख स्पष्ट किया हुआ है. भारत का कहना है कि रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध की समाप्ति के लिए बातचीत हो. लेकिन कई यूरोपीय देशों का मानना है कि भारत अपने रुख को लेकर स्पष्ट नहीं है. इसके पीछे की वजह ये है कि भारत प्रतिबंधों के बावजूद रूस से तेल और हथियारों की सप्लाई ले रहा है. इस वजह से कई देशों ने आपत्ति जताई है. अमेरिका ने भी कहा है कि हम चाहते हैं कि भारत रूस पर ज्यादा निर्भर नहीं रहे. हालांकि, यहां गौर करने वाली बात ये है कि भारत और रूस के संबंध दशकों पुराने हैं. रक्षा से लेकर व्यापार तक के क्षेत्र में दोनों की भागीदारी है.
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