पाकिस्तान की नई चाल जनरल बाजवा अमेरिका की तरफ और इमरान कुर्सी बचाने को रूस की तरफ झुके
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पाकिस्तान इस वक्त कंगाली के राह पर है। विश्व बैंक का कब्जा बढ़ते जा रहा है। देश में महंगाई अपने चरम पर है। अर्थव्यवस्था चरमराई हुई है, इसके साथ ही राजनीति उठा-पठक भी जारी है।
इमरान खान की सरकार किसी भी वक्त गिर सकती है। इस बीच इमरान खान जमकर बयानबाजी कर रहे हैं। उन्हें समझ नहीं आ रहा कि वो क्या बोलें जिससे उनकी सरकार बचा जाए और क्या करें। कभी भारत की साजिश बता रहे हैं तो कभी अमेरिका पर आरोप लगा रहे हैं। इस बीच सेना प्रमुख बाजवा भी बयानबाजी शुरू कर दिए हैं और इमरान खान पर भड़क रहे हैं।
सेना प्रमुख जनरल कमर बाजवा ने प्रधानमंत्री इमरान खान के रुख के उलट बयानबाजी कर दी है। बाजवा ने यूक्रेन पर रूस के हमले को तुरंत रोकने की मांग करके पीएम इमरान को दबाव में ला दिया है। एक तरफ जहां इमरान अमेरिका पर आरोप लगा रहे हैं, वहीं सेना प्रमुख बाइडन प्रशासन के सुर में सुर मिला रहे हैं। बाजवा ने कहा कि, यूक्रेन पर रूस के आक्रमण को तुरंत रोका जाना चाहिए। इसे उन्होंने एक बड़ी त्रासदी करार दिया है। इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता में बोलते हुए बाजवा ने रूस-यूक्रेन युद्ध पर पाकिस्तान की गंभीर चिंता व्यक्त की और कहा कि रूस की वैध सुरक्षा चिंताओं के बावजूद एक छोटे देश के खिलाफ उसकी आक्रामकता को माफ नहीं किया जा सकता है।
उन्होंने कहा कि, पाकिस्तान ने लगातार युद्धविराम और शत्रुता को समाप्त करने का आह्वान किया है। हम संघर्ष का स्थायी समाधान खोजने के लिए सभी पक्षों के बीच तत्काल बातचीत का समर्थन करते हैं। यूक्रेन पर रूसी आक्रमण बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है क्योंकि, हजारों लोग मारे गए, लाखों शरणार्थी बन गए और यूक्रेन का आधा हिस्सा नष्ट हो गया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि, इस युद्ध ने छोटे देशों को उम्मीद बंधाई है कि वे अभी भी हथियारों का आधुनिकीकरण करके बड़े देश के आक्रमण के खिलाफ अपने क्षेत्र की रक्षा कर सकते हैं। उन्होंने कहा कि, स्वतंत्रता के बाद से यूक्रेन के साथ पाकिस्तान के उत्कृष्ट रक्षा और आर्थिक संबंध रहे हैं। लेकिन, रूस के साथ संबंध कई कारणों से लंबे समय तक ठंडे थे। हालांकि, इस संबंध में कुछ सकारात्मक घटनाक्रम हाल ही में हुए हैं।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने पाकिस्तान वायु सेना के विमानों के जरिए यूक्रेन को मानवीय सहायता भेजी थी और आगे भी करता रहेगा। उन्होंने आगाह किया कि संघर्ष की निरंतरता या इसके जारी रहने से किसी भी पक्ष का भला नहीं होगा। इसके आगे उन्होंने कहा कि, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर दो खेमे हैं एक जो विरोध की वकालत करते हैं और दूसरे जो सहयोग की वकालत करते हैं। सुरक्षा की भविष्य की दृष्टि तय की जाएगी कि कौन सा शिविर मजबूत हुआ है। मेरा मानना है कि आज दुनिया उन लोगों द्वारा बनाई गई है जो विभाजन, युद्ध-भ्रम और प्रभुत्व के बजाय सहयोग, सम्मान और समानता में विश्वास करते हैं
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