जिस जमीन की वजह से बिकरू बदनाम हुआ, उसकी कहानी।
किडनैपिंग कर विकास दुबे ने कब्जाई थी साढ़े 6 बीघा जमीन, मिली थी लाश

कानपुर के गैंगस्टर विकास दुबे ने जिस साढ़े 6 बीघा जमीन पर कब्जा किया था। बिकरू कांड की असल वजह यही जमीन बनी। जमीन के असली मालिक लल्लन शुक्ला को किडनैप करके मर्डर किया गया था। आज भले ही विकास मर गया हो, मगर जमीन के मालिकाना हक की लड़ाई जारी है। जमीन को लेकर कोर्ट में सुनवाई 28 जुलाई को होनी है।
जब जमीन की मालकिन लल्लन की बेटी सरिता से बात की, पढ़िए उसने क्या कहा ?
“पापा और जीजा को उठा ले गया था विकास” सरिता ने कहा, “हमारे पापा चौबेपुर ब्लॉक के मोहिनी निवादा गांव में रहते थे। हम 3 बहन हैं। इसमें दो की शादी हो चुकी थी। हमारे पास साढ़े 6 बीघा जमीन थी। एक मकान भी था । इस जमीन पर मेरे पापा के भांजे सुनील तिवारी ने दावा किया था। वो उन्नाव के गांव सोहरामऊ में रहता है।
सब कुछ ठीक चल रहा था। अचानक 3 अप्रैल को विकास दुबे के गुर्गे बाल गोविंद ने हमारे पापा और जीजा सुनील को किडनैप कर ले गया। थाने दौड़े-भागे, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। 29 जून को पापा की लाश मिली । “

“असलहा लेकर आया, जमीन पर कर लिया कब्जा ”
गांव में ताबड़तोड़ फायरिंग की थी। इस जमीन पर 8 ट्रैक्टर ट्राली लगवाकर जुतवाया था। उसी रात पुलिस की दबिश पड़ी तो विकास हमलावर हो गया। जिसमें 8 पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।

बिकरू कांड के बाद भी नहीं मिली खेती और मकान लल्लन की गांव मोहिनी निवादा की जमीन आज भी दोनों दावेदारों के हाथ नहीं लगी। लल्लन की बेटी सरिता ने बिकरू कांड के बाद अगस्त 2020 में जमीन पर फिर से कब्जा करके खेती शुरू की थी। लेकिन सुनील ने खुद को खेती और मकान का वारिस बताया। अक्टूबर 2021 में फिर से दावा कर दिया।
ऐसे में एक बार विवाद की स्थित को देखते हुए पुलिस ने घर में ताला डाल दिया। खेती को धारा 145 के तहत विवादित घोषित कर दिया है। वर्तमान में खेती पर किसी का कब्ज़ा नहीं है। सरिता की बोई लाही की फसल खेतो में बर्बाद हों गई।
उत्तराधिकार को कोर्ट में दी गई चुनौती
लल्लन के भांजे सुनील के उत्तराधिकारी होने को कोर्ट में चैलेंज किया गया है। लल्लन के बेटी सरिता ने धोखाधड़ी से मकान और खेती लिखने का मुकदमा किया। खुद को असली उत्तराधिकारी होने का दावा किया है। सरिता को विश्वास है कि एक दिन उसके साथ न्याय होगा। गांव के घर में ताला लगने के बाद फिलहाल सरिता रिश्तेदारों के यहां रहने को मजबूर है।