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3 अप्रैल 1967 को जब चौधरी चरण सिंह उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तो उस समय उत्तर प्रदेश विधानसभा में दो मुसलमान विधायक थे, एक दिन विधानसभा भवन में कमाल यूसुफ नाम के एक विधायक ने चौधरी चरण सिंह से कहा : चौधरी साहब आप केवल हिंदुओं की वोटों से ही मुख्यमंत्री नहीं बने हो, हमने भी आपको वोट दिया है, अतः हमारी कुछ मांगें हैं जो आपको माननी पड़ेगी !
चौधरी साहब ने कहा : भाई हिन्दू क्या और मुस्लिम क्या, सबके हित का ध्यान रखना हमारा कर्तब्य है, यदि आपकी मांगें उचित हुई तो हम अवश्य ध्यान देंगे ! यूसफ ने कहा : चौधरी साहब उचित हो या अनुचित, हमारी मांगें तो अब आपको बिना शर्त माननी ही होंगी !
चौधरी साहब ने थोड़े से गुस्से वाले अंदाज में कहा : यदि तुम्हारी मांग ना मानूं तो क्या करोगे ! मुस्लिम विधायक ने कहा कि साहब मुसलमान तो जन्मजात लड़ाकू और बहादुर होता है, यदि हमारी मांग स्वीकार नहीं करोगे तो हम लड़कर अपनी मांगे मनवायेंगे !
चौधरी साहब ने कहा : नीचे बैठ जा वरना जितना ऊपर खड़ा है उतना ही तुझे जमीन में गाड़ दूंगा, तुम लोग बहादुर कब से हो गये, यदि तुम लोग बहादुर होते तो मुसलमान बनते ही क्यों, तुम लोग जो भारतीय मुसलमान हो, हिंदुओं से ही मुसलमान बने हो, मुगलों ने तलवार के बल पर तुम्हारे पूर्वजों को मुसलमान बनाया था !
जो तलवार की नोक को देखकर ही अपने धर्म को छोड़ सकता है और विधर्मी बन सकता है, वह बहादुर कैसे हो सकता है, बहादुर तो हम हैं, हमारे पूर्वजों ने 700 साल तक मुसलमानों के साथ तलवार बजाई है, कई बार हमारे युद्ध हुए और कई बार हमने क्रूर मुगलों को खदेड़ दिया, हमारे पूर्वजों ने सर कटवाये, लेकिन इस्लाम को स्वीकार नहीं किया तो बहादुर हम हुए या तुम हुए !
मैं तुम्हारी एक भी मांग मानने वाला नहीं हूं, तुम्हे जो करना हो कर लेना, मैं देखना चाहता हूँ कि तुम कितने बहादुर हो, यूसफ की सारी हवा निकल गयी और वो निशब्द सा खड़ा रहा !
धन्य है ऐसे मुख्य मंत्री, और आज उनके वारिस उन्हीं मुसलमानों के तलवे चाटते फिर रहे हैं…!!