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हाईकोर्ट ने मलिक के टिप्पणी करने पर रोक लगाने से किया था इनकार, अब समीर वानखेड़े के पिता ने दी आदेश को चुनौती

समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने उस आदेश को चुनौती दी है जिसमें एकल-न्यायाधीश ने अपने  महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को ड्रग एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी करने और सोशल मीडिया पोस्ट डालने से रोकने से इनकार कर दिया था।

नवाब मलिक द्वारा लगातार व्यक्तिगत टिप्पणी से परेशान एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव वानखेड़े ने बुधवार को बॉम्बे हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया और एकल-न्यायाधीश पीठ के आदेश को चुनौती दी है। दरअसल, एकल-न्यायाधीश ने अपने आदेश में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को ड्रग एजेंसी के अधिकारी के खिलाफ टिप्पणी करने और सोशल मीडिया पोस्ट डालने से रोकने से इनकार कर दिया था। ज्ञानदेव वानखेड़े ने एकल पीठ के आदेश को चुनौती देने वाली उनकी अपील पर तत्काल सुनवाई का उल्लेख किया और न्यायमूर्ति एस जे कथावाला और न्यायमूर्ति मिलिंद जाधव की खंडपीठ से उन्हें राहत देने का आग्रह किया।

22 नवंबर को नवाब मलिक को दी थी राहत
बता दें कि 22 नवंबर को बॉम्बे हाईकोर्ट ने वानखेड़े के पिता ज्ञानदेव की ओर से दायर मानहानि के मुकदमे में महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को बड़ी राहत दे दी थी। कोर्ट ने एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े के परिवार के बारे में ट्वीट करने से महाराष्ट्र के मंत्री को रोकने से इनकार कर दिया था। कोर्ट ने मलिक और ज्ञानदेव के मौलिक अधिकारों में संतुलन को जरूरी बताया था। बॉम्बे हाईकोर्ट ने कहा था कि महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक को तथ्यों के उचित सत्यापन के बाद वानखेड़े परिवार के खिलाफ कुछ भी टिप्पणी करनी चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा कि समीर वानखेड़े के खिलाफ मलिक के ट्वीट द्वेष से प्रेरित थे।

ट्विटर पर छिड़ी नई जंग 
बीते कुछ दिनों से मलिक और वानखेड़े परिवार के बीच फिर से जंग शुरू हो गई है। दरअसल, 19 नवंबर को नवाब मलिक ने वानखेड़े के खिलाफ प्रेस कॉफ्रेंस की जानकारी दी तो समीर वानखेड़े की पत्नी क्रांति रेडकर ने उनके खिलाफ तंज कसा। इसके बाद नवाब मलिक के बेटी निलोफर ने भी उन्हें जवाब दिया। 20 नववंबर को क्रांति रेडकर की ओर से 1985 में स्कूल में जमा किया गया जन्म प्रमाण पत्र और नया बर्थ सर्टिफिकेट पोस्ट किया, जिसके जवाब में निलोफर ने ट्वीट किया।

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