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रोबोट में इंसानी भावना पैदा करेंगे भावी टेक्निकल इंजीनियर

भारतीय सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान (ट्रिपल आइटी) के भावी निकल इंजीनियर जल्द ही रोबोट में इंसानी भावना जगाने की दिशा में आगे बढ़ेंगे। शैक्षणिक सत्र 2022-23 से काग्नेटिव साइंस (संज्ञानात्मक विज्ञान) विभाग की शुरुआत होगी। इसके संचालन का जिम्मा आइटी शिक्षकों के पास होगा। सीनेट से मंजूरी मिलने के बाद विद्यार्थी काग्नेटिव साइंस से एमटेक की पढ़ाई कर सकेंगे।

मौजूदा समय में रोबोट कमांड मिलने पर काम करते हैं। मशीन लर्निंग, आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस और प्रोग्रामिंग से इन्हें संचालित किया जा रहा है। कई तरह के काम लिए जाते हैं, जो डाटा फीड किया जाता है, रोबोट उसका पालन करते हैं। आने वाले दिनों में रोबोट में सोचने व निर्णय लेने की क्षमता को ट्रिपलआइटी में विकसित किया जाएगा। यह काम काग्नेटिव साइंस (संज्ञानात्मक डिपार्टमेंट में होगा। )

आइटी विभाग के प्रोफेसर यूएस तिवारी ने इसका प्रस्ताव और पाठ्यक्रम डिजाइन कर लिया है। वह बताते हैं कि प्रस्ताव को सीनेट की पिछली बैठक में रखा गया था, लेकिन संसाधन उपलब्ध नहीं थे। इसलिए सीनेट ने सात सदस्यीय कमेटी बना

दी। इंडियन इंस्टीट्यूट आफ साइंस बेंगलुरु के प्रो. एजी रामाकृष्णा और मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) प्रयागराज के निदेशक प्रो. राजीव त्रिपाठी को इसमें शामिल किया गया है। संस्थान के सभी डीन और कुछ प्रोफेसर भी कमेटी में हैं। कमेटी नए विभाग के संचालन को लेकर रिपोर्ट बना रही है। इस विभाग में कंप्यूटशनल न्यूरो साइंस, कंप्यूटशनल लिंग्विस्टक साइंस और नालेज इंजीनियरिंग के बारे में पढ़ाया जाएगा।

इमोशनल कोडिंग पर होगा काम: प्रो. यूएस तिवारी के अनुसार कोग्नेटिव साइंस सरल शब्दों में मन का अध्ययन है। यह (दिमाग) कैसे काम करता है, किस तरह से एक्टिव होता है, इसका अध्ययन होगा। मसलन सोते समय शरीर विभिन्न क्रियाएं करता है पर मनुष्य को कुछ याद नहीं रहता। इसके लिए कंप्यूटर में इमोशनल कोडिंग पर काम किया जाएगा।

रोबोट में मनुष्यों की तरह सोचने, समझने और भावुक होने जैसी प्रोग्रामिंग की जाएगी। इनमें न्यूरान की सक्रियता काफी ज्यादा है। कंप्यूटर विज्ञानी, मनोविज्ञानी, न्यूरोसाइंटिस्ट, भाषाविद्, दार्शनिक की सेवाएं ली जाएगी। विभाग आइक्यू लेवल आंकने के साथ इमोशनल लेवल पर भी शोध करेगा।

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