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यूपी: BJP के पास सबसे ज्यादा दागी विधायक, ये 2 मंत्री हैं कर्जदार; ADR रिपोर्ट से खुलासा

अपराध के अलावा संपत्ति के मामले में भी यूपी के विधायकों ने रिकॉर्ड बना रखे हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 396 विधायकों में से 313 करोड़पति हैं. 304 विधायकों वाली भाजपा के पास 235 करोड़पति विधायक हैं.

उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव से पहले एडीआर के इलेक्शन वॉच एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स ने नेताओं का डाटा जुटाना शुरू कर दिया है. राजधानी लखनऊ में मंगलवार को एडीआर यूपी इलेक्शन वॉच ने अपनी रिपोर्ट जारी की है जिसमें पता चला है कि प्रदेश के कई विधायकों के पास करोड़ों की संपत्ति है. साथ ही मौजूदा विधान सभा में कई विधायकों पर गंभीर आपराधिक मामले भी दर्ज हैं.

यूपी के 35 फीसदी विधायक दागी

एडीआर की रिपोर्ट में दावा किया गया है राज्य के 35 फीसदी यानी 140 विधायकों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं और 27 फीसदी विधायकों के अपराध से किसी न किसी तरह के संबंध हैं. बीजेपी के 304 विधायकों में से 77 के खिलाफ आपराधिक मामले हैं, जबकि 49 सदस्यीय समाजवादी पार्टी में 18 विधायक भी इसी श्रेणी में आते हैं. बहुजन समाज पार्टी में दो विधायकों का आपराधिक इतिहास है, जबकि कांग्रेस के एक विधायक का क्रिमिनल रिकॉर्ड है. 

अपराध के अलावा संपत्ति के मामले में यूपी के विधायकों ने रिकॉर्ड बना रखे हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया है कि 396 विधायकों में से 313 करोड़पति हैं. 304 विधायकों वाली भाजपा के पास 235 करोड़पति विधायक हैं और 49 विधायकों में सपा के 42 विधायक करोड़पति हैं. बसपा के पास 15 करोड़पति विधायक हैं, जबकि कांग्रेस के पास पांच करोड़पति विधायक हैं. बसपा में सबसे अमीर विधायक आजमगढ़ से गुड्डू जमाली और गोरखपुर से विनय तिवारी हैं.

ये दो मंत्री हैं कर्जदार

दिलचस्प बात यह है कि भाजपा के दो विधायक, जो मंत्री भी हैं, वे कर्जदार हैं, इनके नाम नंद गोपाल नंदी और सिद्धार्थ नाथ सिंह हैं. कम संपत्ति वाले विधायकों में कांग्रेस के अजय कुमार लल्लू और भाजपा के धनंजय और विजय राजभर शामिल हैं. यूपी विधान सभा के 396 विधायकों का डाटा जमा करके ये रिपोर्ट तैयार की गई है.

योग्यता की बात करें तो विधान सभा 95 विधायक सिर्फ कक्षा 12 तक पढ़े हुए हैं. चार विधायक सिर्फ साक्षर हैं जबकि पांच डिप्लोमा धारक हैं. करीब 206 विधायक 25 से 50 वर्ष के आयु वर्ग के हैं जबकि 190 विधायक 51 से 80 वर्ष के बीच के हैं.

एडीआर के कन्वीनर संतोष श्रीवास्तव ने कहा कि विधान सभा चुनाव से पहले सर्वे इसलिए किया गया ताकि लोग अपने विधायकों को जान सकें. उन्होंने कहा कि आम तौर पर हम चुनाव से पहले इस तरह के सर्वे करते हैं लेकिन वे चरणबद्ध तरीके से किए जाते हैं इसलिए इस बार हमने इसे व्यापक तरीके से किया है.

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