डॉ. केशव राव बलीराम हेडगेवार का जन्म 1 अप्रैल 1889 ई. को नागपुर के एक गरीब ब्राह्मण परिवार में हुआ था। वह Rashtriya Swayamsevak Sangh (RSS) के संस्थापक एवं प्रकाण्ड क्रान्तिकारी थे। बचपन से ही वह क्रांतिकारी प्रवृत्ति के थे और ब्रिटिश शासन से उन्हें काफी घृणा थी। वर्ष 1910 में जब डॉक्टरी की शिक्षा के लिए वह कोलकाता गये तो उस समय वहां देश की नामी क्रांतिकारी संस्था अनुशीलन समिति से जुड़ गये और 1915 में नागपुर लौटने पर वह कांग्रेस में सक्रिय हो गये। कुछ समय में विदर्भ प्रांतीय कांग्रेस के सचिव भी चुने गए। लेकिन कांग्रेस में पुरी तन्मन्यता के साथ भागीदारी और जेल जीवन के दौरान जो अनुभव उन्होंने पाए, उससे वह यह सोचने को मजबूर हुए कि समाज में जिस एकता और धुंधली पड़ी देशभक्ति की भावना के कारण हम परतंत्र हुए है वह केवल कांग्रेस के जन आन्दोलन से जागृत नहीं हो सकती बल्कि जन-तन्त्र के परतंत्रता के विरुद्ध विद्रोह की भावना जगाने का कार्य के साथ राष्ट्र में गहरी व्याप्त विघटनवादी प्रवृति को दूर करने के लिए कुछ भिन्न उपाय की जरूरत है। उनके इसी विचार के फलस्वरूप राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नाम से संस्कारशाला के रूप में उन्होंने शाखा पद्धति की स्थापना की जो आज भी मातृभूमि की सेवा में निःस्वार्थ समर्पण भाव से अविरल संचालित हो रहा है।