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युवा कवित्री नीतू पाठक की हिंदी के प्रति समर्पित अद्वितीय एवं संकलित अद्वितीय कविता

हिंदी का ये इतिहास बडा निराला है
लेखक से सिंचित है,कवियो ने पाला है ll
आदि समय मे आदि कवि से हुई इसकी शुरुवात
बात कभी जो निकले इसकी कम पड जाये बात।
सन्धि समास शब्द गुणो से आ जाती सुन्दरता
रस छ्न्द और अलान्कार है बढ़ाते मधुरता
बिहारी के दोहे हर्दय मे लगते है तीर से
भूषण की कविता के शब्द खडे हुए है वीर स
निराला के छन्दों का है अपना महत्त्व
मीरा की पीडा के बिना है अधूरा साहित्य ।
प्रेमचंद के उपन्यासों ने दिया इसे आधार
शुक्ल जी के निबंधों मे होता युग साकार
सूरदास की सूर सागर का है नही कोई सानी
तुलसीदास की रामचरित बन गई हर युग की वाणी
कबीर के दोहो का ऐसा फैला प्रकाश
मीरा के गीत्तो मे है कृष्णा का वास।
प्रसाद की कविता मे बिखरी हूई है मधुरता
और पन्त के शब्दों मे मिल जाती कोमलता।
आगे की रच्नाओ का हैबेजोड़ संसार
और मनोविश्लेषण पर लिखते जैनेद्रे कुमार।
केशव की रचनाओ मे भरे हुए है छ्न्द
हजारीप्रसाद के हैअति सुन्दर निबंध।हिन्दी के इतिहास की येछोटी सी कहानी
हर युग मे हर मानव को देती है ये वाणी ।

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