नारायण साकार हरि मूल रूप से उत्तर प्रदेश के एटा जिले के बहादुर नगरी गांव के रहने वाले हैं। उनकी शुरुआत पढ़ाई लिखाई यहीं हुई। उच्च शिक्षा के बाद गुप्तचर विभाग की नौकरी कर ली। काफी समय तक नौकरी करते रहे, फिर आध्यात्म की तरफ मुड़ गए। आध्यात्मिक जीवन में आने के बाद अपना नाम सूरजपाल से बदलकर नारायण साकार हरि रख लिया। पटियाली गांव में आश्रम बना लिया। नारायण साकार हरि, खुद को हरि का शिष्य कहते हैं। अक्सर अपने प्रवचन में कहते हैं कि साकार हरि पूरे ब्रहमांड के मालिक हैं। यहां तक कि ब्रहमा, विष्णु और शंकर ने भी साकार हरि को ही गुरू माना है। नारायण साकार हरि की पश्चिमी उत्तर प्रदेश के तमाम जिलों में अच्छी पैठ है। खासकर- आगरा, एटा, इटावा, मैनपुरी, हाथरस, मेरठ, बागपत जैसे जिलों में अक्सर उनके प्रवचन और समागत होते रहे हैं. नारायण साकार हरि अपनी पत्नी के साथ सत्संग करते हैं। जिसे, ‘मानव मंगल मिलन सद्भावना समागम’ कहा जाता है। इनमें भारी तादाद में लोगों की भीड़ भी उमड़ती है।