अध्यात्मअयोध्याउत्तरप्रदेशपंचांग
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शेखर न्यूज़ पर आज का पवित्र पंचांग.. 22.04.2023

🌞~ आज का हिन्दू पंचांग ~🌞
⛅दिनांक – 22 अप्रैल 2023
⛅दिन – शनिवार
⛅विक्रम संवत् – 2080
⛅शक संवत् – 1945
⛅अयन – उत्तरायण
⛅ऋतु – ग्रीष्म
⛅मास – वैशाख
⛅पक्ष – शुक्ल
⛅तिथि – द्वितीया सुबह 07:49 तक तत्पश्चात तृतीया
⛅नक्षत्र – कृतिका रात्रि 11:23 तक तत्पश्चात रोहिणी
⛅योग – आयुष्मान सुबह 09:26 तक तत्पश्चात सौभाग्य
⛅राहु काल – सुबह 09:26 से 11:02 तक
⛅सूर्योदय – 06:14
⛅सूर्यास्त – 07:03
⛅दिशा शूल – पूर्व दिशा में
⛅ब्राह्ममुहूर्त – प्रातः 04:44 से 05:29 तक
⛅निशिता मुहूर्त – रात्रि 12:16 से 01:00 तक
⛅व्रत पर्व विवरण – अक्षय तृतीया, श्री परशुरामजी जयंती
⛅विशेष – द्वितीया को बृहती (छोटा बैंगन या कटेहरी) खाना निषिद्ध है । तृतीया को परवल खाना शत्रुओं की वृद्धि करने वाला है । (ब्रह्मवैवर्त पुराण, ब्रह्म खंडः 27.29-34)

🌹 अक्षय तृतीया – 22 अप्रैल 2023 🌹

🌹 ‘अक्षय’ शब्द का मतलब है- जिसका क्षय या नाश न हो । इस दिन किया हुआ जप, तप, ज्ञान तथा दान अक्षय फल देने वाला होता है अतः इसे ‘अक्षय तृतीया’ कहते हैं । भविष्यपुराण, मत्स्यपुराण, पद्मपुराण, विष्णुधर्मोत्तर पुराण, स्कन्दपुराण में इस तिथि का विशेष उल्लेख है । इस दिन जो भी शुभ कार्य किए जाते हैं, उनका बड़ा ही श्रेष्ठ फल मिलता है ।

🔸स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं । जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है ।

🔸स्कन्दपुराण के अनुसार, जो मनुष्य अक्षय तृतीया को सूर्योदय काल में प्रातः स्नान करते हैं और भगवान विष्णु की पूजा करके कथा सुनते हैं, वे मोक्ष के भागी होते हैं । जो उस दिन मधुसूदन की प्रसन्नता के लिए दान करते हैं, उनका वह पुण्यकर्म भगवान की आज्ञा से अक्षय फल देता है ।

🔸भविष्यपुराण के मध्यमपर्व में कहा गया है वैशाख शुक्ल पक्ष की तृतीया में गंगाजी में स्नान करनेवाला सब पापों से मुक्त हो जाता है ।

🌹अक्षय तृतीया ( 22 अप्रैल 2023 )का तात्त्विक संदेश :

🌹’अक्षयʹ यानी जिसका कभी नाश न हो । शरीर एवं संसार की समस्त वस्तुएँ नाशवान हैं, अविनाशी तो केवल परमात्मा ही है । यह दिन हमें आत्मविवेचन की प्रेरणा देता है । अक्षय आत्मतत्त्व पर दृष्टि रखने का दृष्टिकोण देता है । महापुरुषों व धर्म के प्रति हमारी श्रद्धा और परमात्मप्राप्ति का हमारा संकल्प अटूट व अक्षय हो – यही अक्षय तृतीया का संदेश मान सकते हो ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2013

🔹ग्रीष्म ऋतु (20 अप्रैल से 21 जून) में स्वास्थ्य सुरक्षा 🔹

🔸ग्रीष्म ऋतु में शरीर का जलीय व स्निग्ध अंश घटने लगता है । जठराग्नि व रोगप्रतिरोधक क्षमता भी घटने लगती है । इससे उत्पन्न शारीरिक समस्याओं से सुरक्षा हेतु नीचे दी गयी बातों का ध्यान रखें ।

🔸ग्रीष्म ऋतु में जलन, गर्मी, चक्कर आना, अपच, दस्त, नेत्र विकार (आँख आना/ conjunctivitis) आदि समस्याएँ अधिक होती हैं । अतः गर्मियों में घर से बाहर निकलते समय लू से बचने के लिए सिर पर कपड़ा बाँधें अथवा टोपी पहनें तथा एक गिलास पानी पीकर निकलें । जिन्हें दुपहिया वाहन पर बहुत लम्बी मुसाफिरी करनी ही वे जेब में एक प्याज रख सकते हैं ।

🔸उष्ण से ठंडे वातावरण में आने पर 10-15 मिनट तक पानी न पियें । धूप में से आने पर तुरंत पूरे कपड़े न निकालें, कूलर आदि के सामने भी न  बैठें । रात को पंखे, एयर कंडीशनर अथवा कूलर की हवा में सोने की अपेक्षा हो सके तो छत पर अथवा खुले आँगन में सोयें । यह सम्भव भी न हो तो पंखे, कूलर आदि की सीधी हवा न लगे इसका ध्यान रखें ।

🔸इस मौसम में दिन कम-से-कम 8-10 गिलास पानी पियें। प्रातः पानी प्रयोग (रात का रख हुआ आधा से डेढ़ गिलास पानी सुबह सूर्योदय से पूर्व पीना) भी अवश्य करें । पानी शरीर के जहरी पदार्थों को बाहर निकाल कर त्वचा को ताजगी देने में मदद करता है ।

🔸मौसमी फल या उनका रस व ठंडाई, नींबू की शिकंजी, पुदीने का शरबत, गन्ने का रस, गुड़ का पानी आदि सेवन लाभदायी है । गर्मियों में दही लेना मना है और दूध, मक्खन खीर विशेष सेवनीय है ।

🔸आहार ताजा व सुपाच्य लें । भोजन में मिर्च, तेल, गर्म मसाले आदि का उपयोग कम करें । खमीरीकृत पदार्थ, बासी व्यंजन बिल्कुल न लें । कपड़े सूती, सफेद व हलके रंग के तथा ढीले-ढाले हों । सोते समय मच्छरदानी आदि का प्रयोग अवश्य करें ।

🔸गर्मियों में फ्रिज का ठंडा पानी पीने से गले, दाँत, आमाशय व आँतों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है । मटके या सुराही का पानी पीना निरापद है (किंतु बिन जरूरी या प्यास से अधिक ठंडा पानी पीने से जठराग्नि मंद होती है) ।

🔸इन दिनों में छाछ का सेवन निषिद्ध है । अगर लेनी हो तो ताजी छाछ में मिश्री, जीरा, पुदीना, धनिया मिलाकर लें ।

🔸रात को देर तक जागना, सुबह देर तक सोना, अधिक व्यायाम, अधिक परिश्रम, अधिक उपवास तथा स्त्री सहवास – ये सभी इस ऋतु में वर्जित है ।

स्रोतः ऋषि प्रसाद, अप्रैल 2016

🔹आर्थिक कष्ट निवारण हेतु🔹

🔹एक लोटे में जल, दूध, गुड़ और काले तिल मिलाकर हर शनिवार को पीपल के मूल में चढ़ाने तथा ‘ॐ नमो भगवते वासुदेवाय’ मंत्र जपते हुए पीपल की ७ बार परिक्रमा करने से आर्थिक कष्ट दूर होता है ।

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