गोंडा : या हुसैन की सदाओं और अलम की शान के साथ निकला सातवीं मोहर्रम का जुलूस

गोंडा: विकासखंड परसपुर क्षेत्र के नगर पंचायत परसपुर और उससे लगे ग्रामीण इलाकों में गुरुवार की रात सातवीं मोहर्रम का जुलूस पारंपरिक श्रद्धा, अनुशासन और गमगीन माहौल में निकाला गया। परसपुर नगर के कटहरी बाग, शान नगर, प्रेम नगर, साईं तकिया, नई बस्ती, अंजही, गाड़ी बाजार, आटा, बनवरिया समेत तमाम मोहल्लों से जुलूस ताजिया और अलम के साथ उठे, जो अपने-अपने पारंपरिक मार्गों से होते हुए इमाम चौक की ओर बढ़े। ढोल-ताशों की गूंज और “या हुसैन” की बुलंद सदाओं के बीच नौजवानों का जोश देखते ही बन रहा था। जुलूस में सजी डीजे लाइटों वाली गाड़ियों पर मक्का-मदीना, पीर-पैगंबर के आस्ताने, शान-ए-हिंदुस्तान की झांकियां, तिरंगा झंडा, इलेक्ट्रॉनिक वाटर फव्वारे और लहराते अलम जुलूस की शोभा को श्रद्धा से भरपूर कर रहे थे।


परसपुर से निकला मुख्य जुलूस आटा-परसपुर सीमा पर पहुंचा, जहां बालपुर की ओर से आए जुलूस से मिलान हुआ और दोनों एक साथ आगे बढ़े। इस दौरान नात-फातिहा पढ़ी गई और जगह-जगह शर्बत, बिस्किट और पानी का तबर्रुक वितरित किया गया। कस्बे के विभिन्न चबूतरों की कमेटियों ने भी जुलूस निकालते हुए कर्बला की शहादत को नमन किया। ताजिया की दुकानों पर दिनभर रौनक रही और खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ उमड़ती रही। बालपुर और कर्नलगंज-आटा मार्ग पर जुलूस के दौरान मेला जैसा माहौल रहा, जहां देर रात तक श्रद्धालुओं की भारी भीड़ बनी रही।


मोहर्रम माह का चांद दिखते ही अकीदतमंदों ने पहले दिन से ही ढोल-ताशों और गाजे-बाजे के साथ जुलूसों की शुरुआत कर दी थी, जो सातवीं मोहर्रम की रात पूरी आस्था और जुनून के साथ सम्पन्न हुआ। इस बार मोहर्रम का पर्व आशूरा 6 जुलाई, रविवार को मनाया जाएगा। इसी दिन कर्बला की वह ऐतिहासिक शहादत याद की जाती है, जब हजरत इमाम हुसैन ने इस्लाम और इंसानियत की हिफाजत के लिए अपने पूरे परिवार सहित बलिदान दिया था। यजीद की सेना ने हुसैन और उनके अनुयायियों के लिए पानी तक रोक दिया था, जिससे वे प्यास से शहीद हो गए थे। यही कारण है कि मोहर्रम को सब्र, बलिदान और अन्याय के विरुद्ध संघर्ष का प्रतीक माना जाता है। गुरुवार को निकला यह सातवीं मोहर्रम का जुलूस अनुशासन और श्रद्धा के साथ रात्रि लगभग तीन बजे शांतिपूर्वक संपन्न हुआ। वहीं, सुरक्षा व्यवस्था के मद्देनजर प्रभारी निरीक्षक शारदेंदु कुमार पांडेय के नेतृत्व में महिला व पुरुष आरक्षी, उपनिरीक्षक तथा पुलिस बल लगातार गश्त करता रहा।