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SC के आदेश के बावजूद कार्रवाई क्यों:कोर्ट को 3 घंटे में 2 बार दखल देना पड़ा, एक्सपर्ट बोले- सुप्रीम कोर्ट सर्वोच्च, उसके ऑर्डर का सम्मान जरूरी

जहांगीरपुरी में अवैध कब्जा हटाने की MCD की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी है। MCD की टीम बुधवार सुबह 10 बजे जहांगीरपुरी पहुंची और ऑपरेशन बुलडोजर शुरू किया। 10.45 बजे सुप्रीम कोर्ट ने इसे रोकने और यथास्थिति बनाए रखने का आदेश दिया। इसके बावजूद कार्रवाई नहीं रोकी गई। याचिकाकर्ता के ऐतराज पर सुप्रीम कोर्ट ने दोबारा दखल दिया। MCD और दिल्ली पुलिस तक तुरंत ऑर्डर पहुंचाने का आदेश दिया।

3 घंटे के पूरे एपिसोड में 2 बार दखल के बाद आखिरकार 12.45 बजे दिल्ली नगर निगम ने अपनी कार्रवाई रोक दी। भास्कर ने इस पूरे मामले पर सुप्रीम कोर्ट के लॉयर विराग गुप्ता से बात की। लीगल एक्सपर्ट से 4 पॉइंट में जानते हैं आदेश और अमल से जुड़े पहलू …

1. जहांगीरपुरी को लेकर नहीं दायर की गई थी याचिका
विराग गुप्ता ने कहा- एक याचिका सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई। ये दिल्ली के जहांगीरपुरी को लेकर दायर भी नहीं की गई थी। यह एक सामान्य याचिका थी, जिसमें कहा गया था कि बुलडोजर कल्चर कानून के खिलाफ है। इसमें दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा था कि वो दोपहर बाद सुनवाई करेगी और सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि यथास्थिति बनाए रखें, हम कल यानी गुरुवार को इस पर सुनवाई करेंगे।

2. सुप्रीम कोर्ट ने MCD को तुरंत सूचना पहुंचाने का आदेश दिया
विराग कहते हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद दिल्ली नगर निगम ने अपनी कार्रवाई नहीं रोकी तो याचिकाकर्ता ने इस पर ऐतराज जाहिर किया। इसके बाद अदालत ने सेक्रेटरी जनरल को आदेश दिया और कहा कि आप इस मामले से जुड़ी पार्टियों यानी MCD और दिल्ली पुलिस को तत्काल इस आदेश की जानकारी दें।

3. जानकारी के बाद सुप्रीम कोर्ट के ऑर्डर का सम्मान जरूरी
सीनियर वकील कहते हैं, ‘सुप्रीम कोर्ट के मामलों में परंपरागत रवैया जो रहा है, वो ये है कि ऑर्डर की सर्टिफाइड कॉपी मिलने पर एक्शन रोका जाता था। तब ये कहा जाता था कि आदेश का आधिकारिक दस्तावेज मिल गया है। इन चीजों को खत्म करने के लिए बाद में ऑनलाइन ऑर्डर को ही सर्टिफाइड ऑर्डर की मान्यता सुप्रीम कोर्ट ने दे दी। अब ज्यादातर मामलों में सर्टिफाइड कॉपी की डिमांड नहीं की जाती है।’

उन्होंने आगे कहा, ‘अब वकील उसी दिन हाथ से लिखे ऑर्डर मान लेते हैं और विपक्षी पार्टी को उसे दिखाते हैं। जहांगीरपुरी के मामले को देखा जाए तो सोशल मीडिया और मीडिया के युग में सुप्रीम कोर्ट के आदेश की हर पल जानकारी दी जा रही है। आधिकारिक बयान भी आ रहे हैं यानी संबंधित लोगों को इसकी जानकारी हो गई है। अब जानकारी हो गई है तो प्रोटोकॉल के हिसाब से ये परंपरा है कि ऑर्डर भले बाद में आता रहे, पर उसका सम्मान जरूरी है।’

4. अधिकारियों ने कानून के साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेला
विराग गुप्ता ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद अधिकारी ये कह रहे हैं कि उन्हें आदेश नहीं मिला तो ये कानून के साथ चूहे-बिल्ली का खेल खेला जा रहा है। जब कंगना रनोट का मामला महाराष्ट्र में हुआ था तो वहां की सरकार ने भी कोर्ट के आदेश के बावजूद अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई को नहीं रोका था। ये खेल पूरे देश में खेला जा रहा है। ये अदालतों के साथ पुलिस प्रशासन और नौकरशाही के खिलवाड़ का ट्रेंड चिंता की बात है।’

याचिकाकर्ता का ऐतराज और सुप्रीम कोर्ट का सवाल भी जानिए
बुलडोजर कल्चर के खिलाफ दाखिल याचिका पर सीनियर एडवोकेट दुष्यंत दवे ने अदालत से कहा, ‘आदेश के बावजूद तोड़फोड़ नहीं रोकी जा रही है। आप सेक्रेटरी जनरल को MCD और पुलिस कमिश्नर को आदेश की सूचना दें। इस पर CJI ने उनसे पूछा था कि क्या ये सभी लोग पार्टी हैं। इसके बाद दवे ने कहा था कि हम लोकतांत्रिक समाज हैं, पर अधिकारी रुक नहीं रहे हैं। दुख इस बात का है कि दुनिया आपके आदेश को जान रही है और अधिकारी रुक नहीं रहे हैं। इससे गलत संदेश जाता है।’

सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बुलडोजर ऑपरेशन चल रहा था। जहांगीरपुरी की मस्जिद के बाहर बने चबूतरे को एमसीडी ने तोड़ दिया।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बावजूद बुलडोजर ऑपरेशन चल रहा था। जहांगीरपुरी की मस्जिद के बाहर बने चबूतरे को एमसीडी ने तोड़ दिया।

जहांगीरपुरी हिंसा के बाद प्रशासन ने उठाया कदम
दिल्ली के जहांगीरपुरी में हिंसा के बाद MCD और प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए बुधवार सुबह इस इलाके में अवैध निर्माणों पर बुलडोजर चलाया। एक घंटे के भीतर ही सुप्रीम कोर्ट ने इस ऑपरेशन पर रोक लगा दी। अदालत ने कहा कि कल सुनवाई तक जहांगीरपुरी में यथास्थिति बरकरार रखी जाए।

जब ऑपरेशन बुलडोजर को लेकर दिल्ली के स्पेशल पुलिस कमिश्नर दीपेंद्र पाठक से सवाल किया गया तो उन्होंने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन फैसला लेगी। हम यहां पर MCD को सुरक्षा और मदद पहुंचाने के लिए मौजूद हैं। ऐसे में MCD के रवैये पर सवाल उठ रहे हैं कि कोर्ट का आदेश मिलने के बाद भी कार्रवाई क्यों नहीं रोकी गई।

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