
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार (12 जुलाई, 2022) को पटना में बिहार विधान सभा संग्रहालय भवन और अतिथिशाला का शिलान्यास किया। इस दौरान पीएम मोदी ने कहा कि शताब्दी स्मृति स्तंभ बिहार के गौरवशाली अतीत का प्रतीक तो बनेगा ही साथ ही ये बिहार की कोटि-कोटि आकांक्षाओं को भी प्रेरणा देगा। बता दें, बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले मोदी पहले प्रधानमंत्री हैं। इस दौरान उन्होंने कहा कि वो खुद को सौभाग्यशाली मान रहे हैं।
पीएम मोदी ने कहा, ‘आप सभी को बिहार विधानसभा भवन के शदाब्दी वर्ष की शुभकामनाएं। बिहार का ये स्वभाव है कि जो बिहार से स्नेह करता है, बिहार उसे वो प्यार कई गुना करके लौटाता है। आज मुझे बिहार विधानसभा परिसर में आने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होने का सौभाग्य भी मिला है। मैं इस स्नेह के लिए बिहार के जन-जन को हृदय से नमन करता हूं।
बिहार विधानसभा ने बड़े और साहसिक निर्णय लिए-
पीएम मोदी ने कहा कि बिहार विधानसभा का अपना एक इतिहास रहा है और यहां विधानसभा भवन में एक से एक, बड़े और साहसिक निर्णय लिए गए हैं। आज़ादी के पहले इसी विधानसभा से गवर्नर सत्येंद्र प्रसन्न सिन्हा जी ने स्वदेशी उद्योगों को प्रोत्साहित करने, स्वदेशी चरखा को अपनाने की अपील की थी। उन्होंने कहा कि आज़ादी के बाद इसी विधानसभा में जमींदारी उन्मूलन अधिनियम पास हुआ। इसी परंपरा को आगे बढ़ाते हुए नीतीश कुमार की सरकार ने बिहार पंचायती राज जैसे अधिनियम को पास किया। इस अधिनियम के जरिए बिहार पहला ऐसा राज्य बना जिसने पंचायती राज में महिलाओं को 50% आरक्षण दिया।
उन्होंने कहा कि बिहार ने आज़ाद भारत को डॉक्टर राजेन्द्र प्रसाद के रूप में पहला राष्ट्रपति दिया। लोकनायक जयप्रकाश, कर्पूरी ठाकुर और बाबू जगजीवन राम जैसे नेतृत्व इस धरती पर हुए। जब देश में संविधान को कुचलने का प्रयास हुआ, तो भी उसके खिलाफ बिहार ने सबसे आगे आकर विरोध का बिगुल फूंका।
पीएम मोदी ने कहा कि देश के सांसद के रूप में, राज्य के विधायक के रूप में हमारी ये भी ज़िम्मेदारी है कि हम लोकतंत्र के सामने आ रही हर चुनौती को मिलकर हराएं। पक्ष विपक्ष के भेद से ऊपर उठकर, देश के लिए, देशहित के लिए हमारी आवाज़ एकजुट होनी चाहिए। मोदी ने कहा कि भारत में लोकतन्त्र की अवधारणा उतनी ही प्राचीन है जितना प्राचीन ये राष्ट्र है, जितनी प्राचीन हमारी संस्कृति है।