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चैत्र कृष्ण पक्ष एकादशी दिन मे ९/२६तक उपरि द्वादशी शुक्रवार धनिष्ठा नक्षत्र दिन मे २/३८ तक उपरि शतभिषा ५ अप्रैल २०२४
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प्रसह्य मणिमुद्धरेन्मकरवक्त्रदंष्ट्रान्तरात्
समुद्रमपि सन्तरेत् प्रवलदूर्मिमालाऽऽकुलम्।
भुजङ्गमपि कोपितं शिरसि पुष्पवद्धारयेत्
न तु प्रतिनिविष्टमूर्खजनचित्तमाराधयेत्।।
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अर्थात मनुष्य यदि चाहे तो मगरमच्छ के दातों से वलपूर्वक मणि निकाल सकता है भंयकर तरंगों वाले समुद्र को पार कर सकता है क्रुद्ध सांप को फूल की तरह शिर पर धारण कर सकता है किन्तु दुराग्रही मुर्खों को प्रसन्न नहीं कर सकता अर्थात असंभव से असंभव कार्य को संभव कर सकता है किन्तु दुराग्रही मूर्ख जनो को अनुकूल करना सर्वथा असंभव है अतः इनसे दूरी वना के रहना ही वुद्धिमानी है
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🏵️मंगलमय शुभ दिन सुप्रभात🏵️
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