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पश्चिम बंगाल की घटना पर राजा भइया ने सीएम ममता पर बोला हमला,कहा-बिल तो बस बहाना है,मकसद काफिरों को मिटाना है

लखनऊ।संसद में वक्फ संशोधन विधयेक के कानून में तब्दील होने के बाद से हंगामा तूल पकड़ता जा रहा है। पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में वक्फ कानून के विरोध में हिंसक प्रदर्शन हुए।इसमें कई लोगों की मौत हुई है,कई दुकानों में तोड़फोड़ और आग के हवाले भी कर दिया गया।देश की सर्वोच्च अदालत ने जहां इस हिंसक प्रदर्शन पर चिंता जताई है, तो वहीं दूसरी ओर इस पर सियासत होने लगी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के बयान पर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने पलटवार कर दिया है।

जनसत्ता दल लोकतांत्रिक के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रतापगढ़ जिले की कुंडा विधानसभा से विधायक रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भइया ने पश्चिम बंगाल में हुई हिंसक घटना पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी है।राजा भइया ने पूछा है कि आखिर हिंदू कहां तक भागेगा, राजा भइया ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर पोस्ट कर सवाल खड़ा किया है।

राजा भइया ने एक्स पोस्ट की शुरुआत कह रहीम कैसे निभै, केर बेर को संग… से की है। राजा भइया आगे लिखते हैं,ये सर्वविदित है कि बिल संसद में पास होने के बाद धरा का कानून बन जाता है।आज वक्फ के समर्थन और विरोध में देश के सारे राजनैतिक दल और विचारधाराएं दो धड़े में बटी हुई हैं,पक्ष हो या विपक्ष इतना तो सभी मानेंगे कि पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में जिन पिता-पुत्र की निर्मम हत्या की गयी, जिनके घर, दुकानें जलायी गयीं, लूटी गयीं, इतना ही नहीं जिन असंख्य हिन्दुओं को औरतों, बच्चों की जान और अस्मिता बचाने के लिए अपना घर, गांव छोड़कर पलायन करना पड़ा उनका वक्फ संशोधन बिल से कोई लेना देना नहीं है,बिल के पास होने में उनकी कोई भूमिका नहीं है,उनको तो ये भी पता नहीं होगा कि ये वक्फ क्या बला है।

राजा भइया ने आगे लिखा कि आखिर उनका दोष क्या था, मस्जिद के सामने डीजे भी तो नहीं बजा रहे थे,वक्फ एक्ट का बहाना लेकर अल्पसंख्यकों ने अकारण बिना उकसाये जो सुनियोजित हिंसक हमला किया है,आये दिन ऐसे हमले झेलना अब हिन्दुओं की नियति बन चुकी है,आखिर हिन्दू कब तक और कहां तक भागेगा,बांग्लादेश से तो ये सोचकर भागे थे कि भारत में सुरक्षित रहेंगे,अब यहां से भागकर कहां जायेंगे।

राजा भइया ने कहा कि संसद से लेकर सड़कों तक आये दिन संविधान लहराने वालों को भी याद रखना चाहिए कि संविधान शिल्पी बाबा साहेब के संविधान में वक्फ नाम का शब्द कभी था ही नहीं, न ही उनकी परिकल्पना में इसका कोई औचित्य था,हत्या, लूटपाट और बर्बरता काफिरों के साथ हो रही है। मारने के पहले किसी की जाति नहीं पूछी जा रही है। सबसे बड़ी विडंबना तो ये है कि पिछड़ों और दलितों के तथाकथित स्वयंभू नेताओं की इसपर मुंह खोलने की हिम्मत तक नहीं है। बिल तो बस बहाना है, मकसद ‘काफिरों को मिटाना है। धर्मो रक्षति रक्षित।

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