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गोंडा : अदम गोंडवी की 77वीं जयंती पर शोषित समाज की आवाज को फिर मिली धार

परसपुर, गोंडा : 22 अक्टूबर 2024: जनकवि रामनाथ सिंह ‘अदम गोंडवी’ की 77वीं जयंती के अवसर पर 22 अक्टूबर मंगलवार को परसपुर के गजराज पुरवा आटा में एक श्रद्धांजलि सभा आयोजित की गई। इस मौके पर उनके परिजनों, समाजसेवी संगठनों ,बच्चों और कवियों ने उन्हें भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित की। अदम गोंडवी अपने जनवादी और बागी कविताओं के लिए जाने जाते थे, जिन्होंने शोषित समाज की पीड़ा और सत्ता की उदासीनता पर गहरा कटाक्ष किया।

अदम गोंडवी: जनकवि की समाजवादी सोच
परसपुर विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह ने कहा, “अदम गोंडवी की कविताओं ने समाज के वंचितों की पीड़ा को आवाज दी। उनकी पंक्तियां, ‘तुम्हारी फाइलों में गांव का मौसम गुलाबी है, मगर ये आंकड़े झूठे हैं, ये दावा किताबी है…’ आज भी सत्ता की उदासीनता को बेनकाब करती हैं।”

कांग्रेस जिलाध्यक्ष प्रमोद मिश्रा ने कहा, “अदम गोंडवी की कविताएं सामाजिक अन्याय के खिलाफ बगावत थीं। उनकी पंक्तियां ‘जो उलझकर रह गई है फाइलों के जाल में, गांव तक वो रोशनी आएगी कितने साल में…’ आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं।

सत्ता की आलोचना और साहित्यिक योगदान
अदम गोंडवी की कविताएं सत्ता के खिलाफ कटाक्ष के लिए प्रसिद्ध हैं। उनकी पंक्तियां “काजू भूनें हुए प्लेट में व्हिस्की है गिलास में, रामराज्य उतरा हुआ है विधायक निवास में…” सत्ता की असंवेदनशीलता पर सीधा प्रहार करती हैं। उनके प्रमुख काव्य संग्रह ‘धरती की सतह पर’, ‘समय से मुठभेड़’ और ‘गर्म रोटी की महक’ आज भी लोकप्रिय हैं।

अदम गोंडवी की इच्छा आज भी अधूरी
इस अवसर पर वक्ताओं ने कहा कि तमाम सरकारें आईं और चली गईं, लेकिन अदम गोंडवी की वह इच्छा पूरी नहीं हो पाई, जिसके लिए उन्होंने संघर्ष किया। वक्ताओं ने मरणोपरांत उन्हें पद्मभूषण से सम्मानित करने की मांग भी उठाई।

कार्यक्रम में डॉ. अरुण कुमार सिंह, वासुदेव सिंह, प्रमोद मिश्रा, बी. डी. सिंह, कमला सिंह, आलोक सिंह, बृजेश सिंह, रामरती पाण्डेय, विक्रम सिंह, हंसराज (अध्यापक) सहित सैकड़ों लोग उपस्थित रहे। सभी ने अदम गोंडवी की रचनाओं को याद करते हुए उनके आदर्शों पर चलने का संकल्प लिया।

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