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करवाचौथ पर सूर्योदय से पहले ही सरगी का सेवन कर लेंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज

करवाचौथ पर सूर्योदय से पहले ही सरगी का सेवन कर लेंः श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज
रविवार को चंद्रमा निकलने का समय सांय 7 बजकर 54 मिनट रहेगा
काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक है, अतः सुहागिनेें काले रंग के कपडे ना पहने
गाजियाबादः
श्री दूधेश्वर नाथ मंदिर के पीठाधीश्वर, श्री पंच दशनाम जूना अखाडा के अंतरराष्ट्रीय प्रवक्ता दिल्ली संत महामंडल के राष्ट्रीय अध्यक्ष व हिंदू यूनाइटिड फ्रंट के अध्यक्ष श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने कहा कि करवा चौथ का त्योहार प्रमुख हिंदू त्योहार है। यह त्योहार कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि के दिन मनाया जाता है। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस बार करवा चौथ का त्योहार रविवार 20 अक्टूबर को मनाया जा रहा है। महाराजश्री ने कहा कि इस त्योहार पर निर्जला व्रत रखने से पहले सरगी खाने की परम्परा है। सरगी का सेवन ब्रहममुहूर्त में सूर्योदय से पहले ही कर लेना चाहिए। इस साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि 20 अक्टूबर दिन रविवार को सुबह 6 बजकर 46 मिनट से शुरू होगी और यह तिथि 21 अक्टूबर को सुबह 4 बजकर 16 मिनट तक रहेगी। ऐसे में उदया तिथि के मुताबिकए करवा चौथ का व्रत 20 अक्टूबर दिन रविवार को रखा जाएगा। करवा चौथ के दिन पूजा का शुभ मुहूर्त 20 अक्टूबर की शाम 5 बजकर 46 मिनट से लेकर शाम 7 बजकर 02 मिनट तक रहेगा। इस समय पूजा करना बहुत ही शुभ रहेगा। करवा चौथ का व्रत सुबह 06 बजकर 25 मिनट से शुरू होगा और सांय 7.54 मिनट तक रहेगा। चंद्रमा निकलने का समय सांय 7 बजकर 54 मिनट रहेगा। श्रीमहंत नारायण गिरि महाराज ने बताया कि करवा चौथ के दिन चांद और पति को छलनी से देखने के पीछे यह मान्यता है कि छलनी में हजारों छेद होते हैं, जिससे चंद्रमा दर्शन करने से छेदों की संख्या जितने प्रतिबिंब दिखते हैं। उसके बाद पति को छलनी से देखा जाता है तो पति की उम्र भी उतनी ही गुना बढ़ जाती है। इसी कारण करवा चौथ के व्रत में चंद्रमा और पति को देखने के लिए छलनी का इस्तेमाल किया जाता है। मान्यता है कि इस विधि के बिना यह व्रत अधूरा होता है। करवा चौथ का व्रत अखंड सौभाग्य और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखा जाता है। अतः उस दिन इस्तेमाल की गई सुहाग संबंधी सामग्री जैसे.सिंदूर, बिंदी, चूड़ियां, महावर, मेहंदी आदि किसी को दान नहीं करनी चाहिए। करवा चौथ की कथा के बिना करवा चौथ की पूजा अधूरी मानी जाती है। अतः सांय के समय माता गौरी की पूजा करें तो करवा चौथ की व्रत कथा अवश्य सुने। करवा चौथ उत्तम दाम्पत्य और सुखी दाम्पत्य का प्रतीक है। अतः इस दिन काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। काला रंग नकारात्मकता का प्रतीक माना जाता है। करवा चौथ के दिन लाल, गुलाबी, पीला, हरा रंग के कपड़े पहनने चाहिए। लाल व गुलाबी रंग के कपड़े पहनने चाहिए क्योंक ये दोनों ही रंग अधिक शुभ माने जाते हैं।

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