गोंडा : श्रद्धा सुमन से अदम गोंडवी को समर्पित साहित्यिक श्रद्धांजलि

परसपुर (गोंडा) : जनकवि रामनाथ सिंह अदम गोंडवी की 13वीं पुण्यतिथि पर बुधवार को उनके पैतृक गांव आटा पूरे गजराज सिंह में एक भावपूर्ण साहित्यिक श्रद्धांजलि सभा का आयोजन किया गया। इस अवसर पर प्राथमिक विद्यालय परिसर में स्थित उनकी समाधि पर क्षेत्र के कवि, साहित्यकार, जनप्रतिनिधि, और ग्रामीणों ने पुष्पांजलि अर्पित कर उन्हें नमन किया।

सभा में वक्ताओं ने अदम गोंडवी की रचनाओं और उनके विचारों की प्रासंगिकता पर चर्चा की। परसपुर विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. अरुण सिंह ने कहा, “अदम गोंडवी ने साहित्य को वंचितों और शोषितों का सशक्त मंच बनाया। उनकी कविताएं सत्ता के अन्याय और समाज की विषमताओं पर तीखा प्रहार करती हैं।” कवि याकूब अज्म गोंडवी ने अपनी कविता से श्रोताओं को भावुक कर दिया:
“आज हर दिल में बसी है कृतज्ञता की अगन,
समर्पित हो रहे हैं भावों के पवित्र सुमन।”
“सजी यह क्यों यहां पर अंजुमन है,
समर्पित आज मन श्रद्धा सुमन है।”
कार्यक्रम में इंटरनेशनल जादूगर मिस्टर इंडिया ने अपनी कला के माध्यम से अदम गोंडवी की प्रसिद्ध रचना “ये रोटी कितनी महंगी है, ये वो औरत बताएगी…” को जीवंत अंदाज में प्रस्तुत किया। इस अनोखी श्रद्धांजलि ने सभी को भावुक कर दिया।

डॉ. अरुण सिंह ने अदम गोंडवी को यश भारती और पद्म भूषण जैसे राष्ट्रीय सम्मान देने की मांग की। उन्होंने कहा कि उनकी समाधि का पुनर्निर्माण कराया जाएगा ताकि उनकी स्मृतियों को सहेजा जा सके।
अदम गोंडवी, जिनका असली नाम रामनाथ सिंह था, अपनी कविताओं के माध्यम से समाज में व्याप्त भ्रष्टाचार और अन्याय पर कठोर प्रहार करते थे। उनकी कालजयी पंक्तियां आज भी प्रासंगिक हैं:
“जो डलहौज़ी न कर पाया वो ये हुक्काम कर देंगे,
कमीशन दो तो हिंदुस्तान को नीलाम कर देंगे।”
कार्यक्रम में प्रमोद मिश्रा, वासुदेव सिंह, ग्राम प्रधान बृजेश सिंह, रामसुंदर पांडेय, रणधीर सिंह डब्लू, जानकी सिंह, पंकज सिंह उर्फ लालू, हंसराज सिंह, शिखा सिंह, ऊषा जायसवाल, मंगला सहित कई साहित्य प्रेमी उपस्थित रहे।
सभा के अंत में वक्ताओं ने अदम गोंडवी की कविताओं के माध्यम से समाज में समानता, न्याय और सच्चाई की अलख जगाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि उनकी रचनाएं अन्याय और असमानता के खिलाफ लड़ाई का प्रतीक हैं और आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनी रहेंगी। यह आयोजन न केवल जनकवि को श्रद्धांजलि देने का अवसर बना, बल्कि उनके विचारों को आगे बढ़ाने का भी संकल्प व्यक्त करता रहा।