गोंडा : आदर्श नगर परसपुर दुर्गा पूजा महोत्सव में पंचमी तिथि को पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की हुई पूजा अर्चना
परसपुर (गोंडा) परसपुर ब्लॉक क्षेत्र के नगर समेत ग्रामीण इलाकों में नवरात्र पर्व को लेकर चारों तरफ दुर्गा पूजा महोत्सव की धूम रही है । शारदीय नवरात्र के अवसर पर जगह जगह पर सजे आदिशक्ति के दरबार में वैदिक मंत्रोच्चारण एवं भक्तिमय देवी गीत भजन से संपूर्ण क्षेत्र गुंजायमान रहा है । बताया जा रहा है कि परसपुर ब्लॉक क्षेत्र के तहत 72 स्थलों पर बड़े ही धूमधाम एवं हर्षोल्लास पूर्वक नवरात्रि पर्व के अवसर पर दुर्गा पूजा महोत्सव का कार्यक्रम आयोजित किया जाता है । इस बार शारदीय नवरात्र 26 सितंबर से प्रारंभ होकर 5 अक्टूबर तक रहेगा । नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा का विधि विधान व परंपरा है । इस वर्ष पूरे नौ दिनों तक होने वाले नवरात्र के पहले दिन शुभ मुहूर्त में कलश स्थापना करते हुए मां के पहले स्वरूप शैलपुत्री की पूजा आराधना की गई ।परसपुर कस्बे के आटा , आदर्श नगर , कटरा भवानी , मौर्य नगर समेत विभिन्न गांवों में प्रतिमा अवस्थापित की गई है ।पंडाल को रंग-बिरंगे झालरों से सजाकर पूजा-पाठ अनुष्ठान किया जा रहा है । पूजा पाठ करने के उपरांत सुबह और शाम को माता जी की आरती होती है । परसपुर कस्बा के आदर्श नगर में काली प्रसाद जायसवाल के नेतृत्व में नव दुर्गा पूजा महोत्सव आयोजित किया गया है जहां पर 9 दिनों तक शक्ति साधना , आराधना नियमित पूजा पाठ हो रहा है । पंडित नागेश्वर नाथ शुक्ला ने बताया कि नवरात्रि के अवसर पर दुर्गा उपासना पूजा उपवास और मंत्रों के जाप का विशेष महत्व होता है । उन्होंने बताया कि शुक्रवार को नवरात्र के पांचवे दिन मां स्कंदमाता की पूजा विधि विधान पूर्वक आयोजित की गई । स्कंदमाता को मोक्ष के द्वार खोलने वाली माता के रूप में पूजा जाता है । कहा जाता है कि स्कंदमाता भक्तों की समस्त कामनाओं की पूर्ति करती हैं । मां दुर्गा के पंचम स्वरूप देवी स्कंदमाता की उपासना से भक्तों की इच्छाएं पूरी होती है । और जीवन में खुशियां आती हैं । स्कंदमाता की आराधना करना लाभकारी माना गया है ।स्कंदमाता की पूजा करने से भक्तों को मोक्ष मिलता है ।सूर्यमंडल की अधिष्ठात्री देवी होने के कारण इनके पूजा से भक्तों अलौकिक तेज और कांतिमय हो जाता है । मां स्कंदमाता का स्वरूप मन को मोह लेने वाला है । इनकी चार भुजाएं हैं । दो हाथों में इन्होंने कमल लिए हैं । मां स्कंदमाता की गोद में भगवान स्कंद बाल रूप में विराजित हैं मां स्कंदमाता का वाहन सिंह है । शेर पर सवार होकर मां दुर्गा अपने पांचवें स्वरूप अर्थात स्कंदमाता के रूप में भक्तजनों के कल्याण के लिए सदैव तत्पर रहती हैं ।
पंडित नागेश्वर नाथ शुक्ला ने बताया कि नवरात्र में पूजा पाठ करने से सभी भक्त जनों की मनोकामनाओं की मुरादे पूरी होती हैं