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गोंडा : डॉ. आकांक्षा सिंह बनीं खाद प्रसंस्करण वैज्ञानिक, गोंडा और मऊ का नाम किया रोशन

गोंडा। परसपुर ब्लॉक के ग्राम पंचायत उधौरा निवासी डॉ. आकांक्षा सिंह ने अपनी कड़ी मेहनत और प्रतिभा से गोंडा और मऊ जिले का नाम रोशन किया है। उन्होंने सत्र 2025 में कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके), मऊ में खाद प्रसंस्करण वैज्ञानिक का पद संभालकर क्षेत्र को गौरवान्वित किया। डॉ. आकांक्षा की इस उपलब्धि पर परिवार और क्षेत्र में हर्ष का माहौल है।

डॉ. आकांक्षा सिंह के पिता जितेंद्र बहादुर सिंह ने बताया कि उनकी पुत्री ने 20 दिसंबर 2024 को नरेंद्र देव कृषि एवं प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, कुमारगंज (अयोध्या) में आयोजित फूड टेक्नोलॉजी और फूड प्रोसेसिंग के साक्षात्कार में भाग लिया था। इस साक्षात्कार में उन्हीं छात्रों को बुलाया गया था, जिन्होंने लिखित परीक्षा में श्रेष्ठ अंक प्राप्त किए थे।

शैक्षणिक यात्रा से लेकर सफलता तक का सफर
डॉ. आकांक्षा सिंह बचपन से ही मेधावी और प्रतिभाशाली रही हैं। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा बेनी माधव जंग बहादुर इंटर कॉलेज, परसपुर (गोंडा) से पूरी की। इसके बाद 2014 में नरेंद्र देव कृषि विश्वविद्यालय, अयोध्या से बीएससी की पढ़ाई की और गोल्ड मेडलिस्ट रहीं। इस उपलब्धि पर उन्हें राज्यपाल द्वारा सम्मानित किया गया था।

डॉ. आकांक्षा ने 2018 में जेआरएफ परीक्षा उत्तीर्ण की और हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय से एमएससी की डिग्री प्राप्त की। इसके बाद उन्होंने 2022 में गोविंद बल्लभ पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर से पीएचडी पूरी की। अपनी हर उपलब्धि के साथ उन्होंने न केवल अपने परिवार, बल्कि अपने गांव और जिले का नाम भी ऊंचा किया।

सपनों को साकार करने वाले मजबूत कदम
डॉ. आकांक्षा सिंह ने अपनी सफलता का श्रेय अपने माता-पिता जितेंद्र बहादुर सिंह और अंशु सिंह, अपने सास-ससुर डॉ. मनोज सिंह और माधुरी सिंह, और अपने पति डॉ. शशांक सिंह (केवीके वैज्ञानिक, गाजीपुर) को दिया। उन्होंने कहा कि परिवार और शिक्षकों के मार्गदर्शन के बिना यह उपलब्धि संभव नहीं थी।

क्षेत्र में खुशी की लहर
डॉ. आकांक्षा सिंह की इस उपलब्धि पर मनोज कुमार यादव, अजीत सिंह, अंशु सिंह, मनोज सिंह, माधुरी सिंह और शशांक सिंह सहित कई शुभचिंतकों ने प्रसन्नता व्यक्त की। उनका मानना है कि उनकी यह सफलता क्षेत्र के अन्य युवाओं के लिए प्रेरणा बनेगी।

डॉ. आकांक्षा ने अपने पदभार ग्रहण के बाद कहा कि वह अपने ज्ञान और कौशल का उपयोग खाद प्रसंस्करण के क्षेत्र में नई तकनीकों को बढ़ावा देने और किसानों को सशक्त बनाने के लिए करेंगी। उनकी इस सफलता ने यह साबित कर दिया कि लगन और मेहनत से हर सपना साकार किया जा सकता है।

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