सैफई. मंगलवार को मुलायम सिंह यादव की अंतिम यात्रा पर शुरु हुई. हर कोई नेताजी को नम आंखों से श्रद्धांजिल दे रहा था. इसके बाद पूरे विधि-विधान से सैफई के दिवंगत लाल और समाजवादी के सच्चे और अडिग पहरेदार, धरतीपुत्र नेताजी के पार्थिव शरीर के दाह संस्कार की प्रक्रिया शुरू हुई. अखिलेश यादव ने अपने दिवंगत पिता को मुखाग्नि देकर उन्हें शून्य की यात्रा पर प्रस्थान कराया.
नेताजी के अंतिम संस्कार में शामिल होने कई बड़ी हस्तियां और VVIP लोग सैफई में पहुंचे और उनके अंतिम दर्शन किए. सुरक्षा के कड़े इंतजामों के बीच नेताजी को मुखाग्नि दी गई. इसके साथ ही भारतीय राजनीति में एक ऐसी रिक्तता पैदा हो गई जिसकी कभी भरपाई नहीं हो सकेगी. नेताजी जैसे व्यक्तित्व विरले ही पैदा होते हैं. मुलायम का जाना समाजवाद के लिए बहुत बड़ा झटका है.
धरती पुत्र मुलायम सिंह यादव ऐसे जनप्रिय नेता थे जिनसे हर किसी की कोई ना कोई यादें जुड़ी हुई है. वहीं अखिलेश ने अपने उस पिता को खोया है जिनकी उंगली पकड़ कर उन्होंने चलना सीखा होगा. वास्तव में किसी भी बेटे के लिए ये पल बहुत मुश्किल होता है.
पिता के जाने से जीवन में जो खालीपन आ जाता है उसकी भरपाई कोई नहीं कर सकता. बहरहाल नेताजी तो शून्य की गोद में चिरकाल तक के लिए सो गए हैं, लेकिन उनका पूरा जीवन, उनकी समाजवाद की विचारधारा और सर्वसमावेशी समाज के निर्माण के लिए उनके प्रयास आने वाली पीढ़ियों को हमेशा प्रेरणा प्रदान करेंगी, वो हमारी यादों में हमेशा जीवित रहेंगे.
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