गोंडा : हैंडपंप से स्नान को मजबूर श्रद्धालु, सरयू नदी की पवित्रता पर सवाल
पसका त्रिमुहानी घाट पर बदहाली: शवदाह से बढ़ी गंदगी, साधु-संतों की आस्था पर चोट
परसपुर (पसका): वराह भगवान के नाम से प्रसिद्ध पसका के त्रिमुहानी घाट की दुर्दशा श्रद्धालुओं और साधु-संतों के लिए बड़ी समस्या बन गई है। यह पवित्र स्थल, जहां सरयू और घाघरा नदियों का संगम होता है, अब गंदगी और अव्यवस्थाओं की चपेट में है। हिंदू धर्म में इस स्थान का विशेष महत्व है, जहां श्रद्धालु और कल्पवासी सरयू में स्नान कर आत्मशुद्धि का प्रयास करते हैं। लेकिन घाट पर फैली गंदगी और कीचड़ ने उन्हें दूषित पानी वाले हैंडपंप से स्नान करने को मजबूर कर दिया है।
त्रिमुहानी घाट पर शवदाह की प्रक्रिया ने स्थिति को और विकट बना दिया है। जलने के बाद बची लकड़ियां घाट पर ही छोड़ दी जाती हैं, जिससे यहां स्नान करना लगभग असंभव हो गया है। श्रद्धालुओं का कहना है कि शवदाह के लिए एक अलग स्थान निर्धारित किया जाए, ताकि घाट की पवित्रता और गरिमा बनी रहे।
पौराणिक मान्यता है कि भगवान विष्णु ने वराह अवतार में हिरण्याक्ष राक्षस का वध यहीं किया था। इस घाट का उल्लेख तुलसीदास द्वारा रामचरित मानस में भी किया गया है, जहां सरयू की महिमा का वर्णन है:
“कोटि कल्प काशी बसे मथुरा कल्प हजार।
एक निमिष सरयू बसे तुलहि न तुलसीदास।”
आज गंदगी और अव्यवस्था ने इस ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व को धूमिल कर दिया है। श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन को तुरंत कदम उठाने चाहिए।
संतों की मुख्यमंत्री से अपील
अयोध्या से आए सर्वेश्वर दास महाराज और अन्य संतों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से त्रिमुहानी घाट का दौरा करने की अपील की है। संतों ने सुझाव दिया है कि घाघरा नदी का जल साइफन के माध्यम से सरयू में मिलाने की व्यवस्था की जाए, ताकि संगम स्थल की पवित्रता बहाल हो सके। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री के दौरे से इस स्थल के हालात में सुधार की उम्मीद की जा सकती है।
कल्पवासियों की नाराजगी
अमेठी के अशोक महाराज, प्रेमदास त्यागी, और दयानंद दास जैसे कल्पवासियों ने बताया कि दशकों से वे यहां कल्पवास करते आ रहे हैं, लेकिन इस बार गंदगी, कीचड़ और प्रशासनिक लापरवाही ने उनकी आस्था को आघात पहुंचाया है। ठंड के मौसम में अलाव की कोई व्यवस्था न होने से साधु-संत और श्रद्धालु कठिनाई में हैं।
प्रशासन का दावा
सहायक विकास अधिकारी पंचायत दुर्गा प्रसाद मिश्र ने कहा कि घाट की सफाई के लिए 34 सफाईकर्मियों की ड्यूटी लगाई गई है और सफाई अभियान तेज किया जाएगा। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि पौष पूर्णिमा से पहले सभी व्यवस्थाएं दुरुस्त कर दी जाएंगी।
पौष पूर्णिमा की तैयारियों पर सवाल
पौष पूर्णिमा के अवसर पर हैंडपंप से स्नान को मजबूर श्रद्धालु, सरयू नदी की पवित्रता पर सवाल घाट पर स्नान, दान और मेले की परंपरा का विशेष महत्व है। लेकिन घाट की वर्तमान स्थिति श्रद्धालुओं की आस्था पर चोट पहुंचा रही है। साधु-संतों और श्रद्धालुओं ने मांग की है कि शवदाह की प्रक्रिया को सुव्यवस्थित किया जाए और घाट की सफाई में कोताही न बरती जाए।
तुलसीदास ने कहा है:
“सकल सुमंगल दायक रघुनायक गुन गान।
सादर सुनहि ते तरहिं भव सिंधु बिना जलजान।”
श्रद्धालुओं का कहना है कि सरयू के तट पर आने का उद्देश्य आत्मा की शुद्धि और भगवान का स्मरण करना है, लेकिन यहां की अव्यवस्था उनकी धार्मिक भावनाओं को आहत कर रही है।
सरयू और घाघरा के पवित्र संगम पर पसरी अव्यवस्था न केवल धार्मिक महत्व को प्रभावित कर रही है, बल्कि प्रशासनिक लापरवाही की कहानी भी कह रही है। श्रद्धालुओं का कहना है कि प्रशासन को जल्द से जल्द इस समस्या का समाधान निकालना चाहिए, ताकि त्रिमुहानी घाट अपनी पवित्रता और गरिमा को पुनः प्राप्त कर सके।