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गोंडा : अदम गोंडवी की प्रतिरोध-चेतना’ विषय पर चंद्र देव सिंह विशेन को अवध विश्वविद्यालय अयोध्या द्वारा मिली पीएचडी की उपाधि


परसपुर , गोंडा : आटा के गजराज पुरवा परसपुर में जन्में रामनाथ सिंह उर्फ अदम गोंडवी मूलतः आम आदमी के अदीब थे ।उन्होंने इश्क मोहब्बत की बात करने वाली ग़ज़ल जैसी नाजुक विधा की ना केवल विषयवस्तु बदली बल्कि ललकार,फटकार,आक्रोश और व्यंग्य के माध्यम से उसे नया तेवर भी प्रदान किया।अदम ने अपनी गजलों के माध्यम से इस बात को रेखांकित किया कि केवल सुख,सौंदर्य एवम प्रेम ही ग़ज़ल का विषय नहीं है बल्कि उसमें आम आदमी की पीड़ा,दर्द,बेचैनी,भय,भूख और भ्रष्टाचार को भी बखूबी दिखाया जा सकता है।अदम जैसे इंकलाबी गजलगो के शेर आम आदमी में लोकप्रिय होकर मुहावरे बन चुके हैं लेकिन उनकी ग़जलों का साहित्यिक मूल्यांकन अभी तक नहीं हो पाया था।इस अभाव की पूर्ति किसान पीजी कॉलेज बहराइच में हिंदी विभाग के असिस्टेंट प्रोफेसर चंद्र देव सिंह विशेन ने की।

उन्होंने ‘ अदम गोंडवी के साहित्य में प्रतिरोध – चेतना’ विषय पर शोध कार्य करते हुए प्रथम बार अदम गोंडवी के समग्र साहित्य का मूल्यांकन किया और यह दिखाया कि अदम दमदार गजलकार हैं।उनकी ग़जलों में जो रचनात्मक वैविध्य है वो अन्य गजलकारों में दुर्लभ है।उनकी ग़जलों में स्त्री विमर्श,दलित विमर्श,पूंजीवाद,अफसरशाही,
सांप्रदायिकता,भ्रष्टाचार,राजनीतिक पतन,बाबाओं का आडम्बर,भय,भूख,मुफलिसी जैसे विषयों का पोस्टमार्टम है।किसी भी रचनाकार को स्थापित करने में आलोचना और अनुसंधान का महत्वपूर्ण योगदान होता है।अदम की उनके जीवनकाल में आलोचना तो हुई लेकिन निधन के बाद अनुसंधान करके चंद्र देव सिंह विशेन ने उनके रचनाकर्म को स्थापित करने का स्तुत्य प्रयास किया है।

श्री विशेन के शोध कार्य की गुणवत्ता और मौलिकता को देखते हुए गोरखपुर वि वि के वाह्य परीक्षक प्रोफेसर दीपक त्यागी ने शोध कार्य को पब्लिश कराने की संस्तुति की है। साकेत महाविद्यालय के प्रोफेसर और शोध निर्देशक डॉ अनुराग मिश्र ने भी इस शोध कार्य की प्रशंसा करते हुए कहा कि अब तक अदम गोंडवी पर जो भी छिट पुट काम हुआ है उसमें अकादमिक रूप से यह सबसे उल्लेखनीय है।अपने समय और समाज को देखने की एक जो आलोचकीय दृष्टि इस शोध ग्रंथ में बनती दिखाई देती है,वह अदम जी को पढ़ने की भी उपलब्धि है और वर्तमान आलोचना कर्म को ठीक ठीक समझने और उसे विस्तारित करने की भी उपलब्धि।शोध निर्देशक डॉ अनुराग मिश्र ने इसे पुस्तकाकर प्रकाशित करने की सलाह देते हुए अनवरत यात्रा जारी रहने की शुभकामना दी है।


श्री चंद्र देव सिंह विशेन ने इस बात पर संतोष व्यक्त किया है कि उनके शोध कार्य को गुरुजनों द्वारा रेखांकित किया गया। उन्होंने वाह्य परीक्षक प्रोफेसर डॉ दीपक त्यागी,शोध निर्देशक प्रोफेसर डॉ अनुराग मिश्र,गजलकार डॉ विनय मिश्र और अदम गोंडवी के भतीजे दिलीप गोंडवी सहित सभी गुरुजनों और मित्रों के सहयोग और आशीर्वाद का स्मरण करते हुए आभार प्रकट किया है ।


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