गोंडा : परसपुर मंदिर मूर्ति चोरी के बाद पुलिस महकमे में बड़ा फेरबदल, थानाध्यक्ष हटाए गए, स्वाट प्रभारी अनुज त्रिपाठी को मिली परसपुर थाने की कमान


राजमंदिर मूर्ति चोरी कांड से हिली गोंडा पुलिस, एक माह में दो थानाध्यक्षों पर गिरी गाज, सवालों के घेरे में विभागीय सतर्कता


परसपुर (गोंडा) : नगर पंचायत परसपुर के राजा रियासत राजा टोला टोला में त्रेतायुगीन ऐतिहासिक राजमंदिर से भगवान श्रीराम, लक्ष्मण और लड्डू गोपाल की अष्टधातु निर्मित बेशकीमती मूर्तियों की चोरी की घटना ने गोंडा जिले के पुलिस प्रशासन की नींव को हिला दिया है। लगभग 31 किलो वजनी और करीब 30 करोड़ रुपये मूल्य की इन मूर्तियों की चोरी के बाद पुलिस की कार्यप्रणाली, गश्त व्यवस्था और सुरक्षा तंत्र पर गहरे सवाल खड़े हो गए हैं। इस गंभीर लापरवाही को देखते हुए पुलिस अधीक्षक विनीत जायसवाल ने तत्काल प्रभाव से परसपुर थानाध्यक्ष शारदेंदु कुमार पांडेय को उनके पद से हटा दिया है और डायल यूपी 112 की जिम्मेदारी सौंप दी है। उनकी जगह एसओजी प्रभारी उपनिरीक्षक अनुज त्रिपाठी को परसपुर थाने का नया थानाध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जबकि थाने में तैनात अतिरिक्त निरीक्षक सभाजीत सिंह का तबादला कर उन्हें कोतवाली नगर भेज दिया गया है।

यह संगीन वारदात बुधवार की देर रात उस समय हुई जब चोरों ने नगर के मध्य स्थित ऐतिहासिक राजमंदिर में धावा बोला और लगभग 15-15 किलो वजनी भगवान राम, लक्ष्मण और लड्डू गोपाल की अष्टधातु मूर्तियां और लड्डू गोपाल का सिंहासन लेकर फरार हो गए। चोरी की खबर फैलते ही क्षेत्र में सनसनी फैल गई। राजपरिवार से जुड़े मंदिर के सर्वराकार कुंवर विजय बहादुर सिंह उर्फ बच्चा साहब ने परसपुर थाने में अज्ञात चोरों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराई, जिसके बाद पुलिस ने छानबीन शुरू की लेकिन दो दिन बीतने के बावजूद चोरों का कोई सुराग हाथ नहीं लग पाया । घटना के बाद मौके पर पहुंची पुलिस टीमों ने कई स्तरों पर जांच शुरू की, फिर भी नतीजा शून्य रहा। इससे स्थानीय जनता का गुस्सा भड़क उठा और पुलिस की रात्रि गश्त व सक्रियता पर सवालिया निशान लग गया। सामाजिक संगठनों व व्यापारी वर्ग ने घटना को सुरक्षा व्यवस्था की नाकामी बताते हुए पुलिस प्रशासन की तीखी आलोचना की है। जनता की धार्मिक आस्था से जुड़ी इस घटना को लेकर क्षेत्रीय जनमानस बेहद व्यथित है। लगातार सोशल मीडिया और अन्य माध्यमों से घटना के खुलासे की मांग उठ रही है।

तीन गायब अष्टधातु की मूर्ति की फोटो
गौरतलब है कि थानाध्यक्ष शारदेंदु कुमार पांडेय को मात्र 24 दिन पूर्व परसपुर थाने की कमान सौंपी गई थी। वे क्षेत्र की सामाजिक व भौगोलिक स्थिति को समझने की प्रक्रिया में ही थे कि इस बीच इतनी बड़ी चोरी की वारदात हो गई, जिसने उनकी कार्यशैली पर प्रश्नचिह्न लगा दिए। इससे पहले परसपुर थाने में तैनात रहे हेमंत गौड़ को भी लापरवाही के चलते मात्र 15 दिन में ही पुलिस लाइन भेज दिया गया था। यानी एक माह के भीतर परसपुर थाने के दो प्रभारी निरीक्षकों का स्थानांतरण हो चुका है, जो स्पष्ट संकेत देता है कि थाना संचालन में स्थायित्व और सतर्कता की भारी कमी है। एसपी विनीत जायसवाल ने इस हाई-प्रोफाइल चोरी कांड के पर्दाफाश के लिए पांच विशेष टीमों का गठन किया है और मामले के जल्द खुलासे के निर्देश दिए हैं।

सीओ कर्नलगंज विनय कुमार सिंह मौके पर जांच करते हुए
उन्होंने यह स्वीकार किया है कि थानाध्यक्ष स्तर पर सुरक्षा को लेकर भारी लापरवाही हुई है, जिसे किसी भी हाल में नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। परसपुर थाने में लगातार थानाध्यक्षों का बार-बार स्थानांतरण यह बताता है कि सुधार केवल स्थानांतरण से नहीं, बल्कि गश्त, खुफिया तंत्र और स्थानीय सूचना प्रणाली को सशक्त बनाने से ही होगा। राजमंदिर से जुड़ी जनता की गहरी आस्था और बढ़ते दबाव के बीच अब सभी निगाहें नए थानाध्यक्ष अनुज त्रिपाठी पर टिकी हैं, जिनके लिए यह मामला एक बड़ी अग्निपरीक्षा से कम नहीं है। क्या वे इस गुत्थी को सुलझा पाएंगे, यह समय बताएगा। लेकिन इतना तय है कि यदि इस मामले में भी ठोस प्रगति नहीं हुई तो गोंडा पुलिस की साख पर गहरा धब्बा लगना तय है और लोगों का भरोसा पुलिस तंत्र से उठ सकता है। लगातार हो रहे स्थानांतरणों से कानून व्यवस्था बेहतर होगी या और बिगड़ेगी, यह प्रश्न अब आम जनता के बीच चर्चा का विषय बन गया है।

