उत्तरप्रदेश
Trending

दिल्ली में 27 साल बाद भाजपा को स्पष्ट बहुमत, AAP ने 40 सीटें गंवाई, भाजपा को 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटों का फायदा…. 09.02.2025

भाजपा ने दिल्ली में 27 साल बाद स्पष्ट बहुमत हासिल किया। दिल्ली विधानसभा की 70 सीटों में से भाजपा ने 48 और आम आदमी पार्टी (AAP) ने 22 सीटें जीतीं। कांग्रेस को एक भी सीट नहीं मिली है।
भाजपा ने 1993 में 49 सीटें यानी दो तिहाई बहुमत हासिल किया था। 5 साल की सरकार में मदन लाल खुराना, साहिब सिंह वर्मा और सुषमा स्वराज सीएम बनाए गए थे। 1998 के बाद कांग्रेस ने 15 साल राज किया। इसके बाद 2013 से आम आदमी पार्टी की सरकार थी।
इस बार भाजपा की 71% स्ट्राइक रेट के साथ 40 सीटें बढ़ीं। पार्टी ने 68 पर चुनाव लड़ा, 48 सीटें जीतीं। वहीं, AAP को 40 सीटों का नुकसान हुआ। आप का स्ट्राइक रेट 31% रहा।
भाजपा ने पिछले चुनाव (2020) के मुकाबले वोट शेयर में 9% से ज्यादा का इजाफा किया। वहीं, AAP को करीब 10% का नुकसान हुआ है। कांग्रेस को भले ही एक भी सीट नहीं मिली, लेकिन वोट शेयर 2% बढ़ाने में कामयाब रही।

चौंकाने वाले रिजल्ट; केजरीवाल, सिसोदिया, सौरभ भारद्वाज हारे

दिल्ली रिजल्ट के इंटरेस्टिंग फैक्ट्स

2020 में भाजपा ने महज 8 सीटें जीती थीं। 2025 में 6 गुना ज्यादा यानी 48 से ज्यादा सीटों पर जीती।
केजरीवाल की नई दिल्ली सीट पर 20 उम्मीदवारों की जमानत तक जब्त हो गई। इन्हें मिले वोट तीन अंक तक भी नहीं पहुंच सके।
दिल्ली विधानसभा चुनाव 2025 के परिणामों के अनुसार, कांग्रेस के 70 में से 68 उम्मीदवारों की जमानत जब्त हो गई है।
केजरीवाल को प्रवेश वर्मा ने 4089 वोटों से हराया, जबकि संदीप दीक्षित को 4568 वोट ही मिले।

भाजपा के दोनों पूर्व मुख्यमंत्रियों के बेटे चुनाव जीत गए हैं। नई दिल्ली से प्रवेश वर्मा और मोतीनगर से हरीश खुराना। प्रवेश पूर्व मुख्यमंत्री साहिब सिंह वर्मा के बेटे हैं। खुराना पूर्व सीएम मदन लाल खुराना के बेटे हैं।
2020 दिल्ली दंगों के आरोपी ताहिर हुसैन मुस्तफाबाद सीट से तीसरे नंबर पर रहे। वे ओवैसी की पार्टी AIMIM से चुनाव लड़े थे। यहां से भाजपा के मोहन सिंह बिष्ट ने जीत दर्ज की। दूसरे नंबर पर AAP रही।

कांग्रेस फिर जीरो, लेकिन 14 सीटों पर AAP को हरवाया

कांग्रेस दिल्ली में जीरो थीं, जीरो ही रही। लेकिन आम आदमी पार्टी को जरूर हरवा दिया। 14 सीटों पर आम आदमी पार्टी की हार का अंतर, कांग्रेस के मिले वोटों से कम है। यानी अगर AAP और कांग्रेस का गठबंधन होता, तो दिल्ली में गठबंधन की सीटें 37 हो जातीं और BJP 34 सीटों पर सिमट सकती थी। बहुमत के लिए 36 सीटें चाहिए।

Related Articles

Back to top button