बाबरी फैसले के बाद अब ज्ञानवापीः सुप्रीम कोर्ट फिर पहुंच गई फैसले की घड़ी, 1991 ऐक्ट का क्या होगा?
नई दिल्ली: रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद का ऐतिहासिक फैसला आने के ढाई साल बाद अब एक और मंदिर-मस्जिद विवाद सुप्रीम कोर्ट की दहलीज पर है। यह मामला भी अयोध्या की तरह गरमाता जा रहा है। वाराणसी में ज्ञानवापी-श्रृंगार गौरी परिसर (Gyanvapi Survey) के सर्वे के खिलाफ मस्जिद प्रबंधन की याचिका पर आज सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है। यह सुनवाई कुछ दिन पहले सुनिश्चित हुई थी, इस बीच एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम के तहत सर्वे करने वाली टीम को कथित रूप से शिवलिंग मिलने का दावा किया गया। इसके बाद वाराणसी की अदालत ने जिला प्रशासन को उस परिसर के अंदर सर्वेक्षण स्थल को सील करने का निर्देश दे दिया। आज वाराणसी कोर्ट में सर्वे रिपोर्ट भी पेश होनी है। पिछले 24 घंटे में शिवलिंग पर अलग-अलग दावे किए गए हैं। हिंदू पक्ष शिवलिंग तो मुस्लिम पक्ष इसे फव्वारा बता रहा है। दावा किया गया है कि मस्जिद में मुसलमान नमाज से पहले वजू करते हैं और उसी तालाब से शिवलिंग मिला है। सियासत भी शुरू हो गई। इस माहौल में ज्ञानवापी मसला भी बाबरी की तरह संवेदनशील होता जा है।
जस्टिस चंद्रचूड़ की पीठ करेगी सुनवाई
जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ और जस्टिस पी एस नरसिम्हा की सुप्रीम कोर्ट की पीठ ज्ञानवापी मस्जिद के मामलों का प्रबंधन करने वाली प्रबंधन समिति ‘अंजुमन इंतेजामिया मस्जिद’ की याचिका पर सुनवाई करेगी। मुख्य न्यायाधीश एन. वी. रमण की अध्यक्षता वाली पीठ ने शुक्रवार को लिखित आदेश में जस्टिस चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली पीठ के समक्ष याचिका को सूचीबद्ध करने का आदेश दिया गया था। पीठ में जस्टिस जे. के. माहेश्वरी और हिमा कोहली भी शामिल हैं।