गोंडा : राजमंदिर मूर्ति चोरी का चौथा दिन: न भगवान मिले, न चोर पकड़े गए , पुलिस के दावों की खुली पोल


राज मंदिर राजा टोला में मूर्ति चोरी के मामले में जांच करती पुलिस

परसपुर (गोंडा)। परसपुर रियासत के ऐतिहासिक राजमंदिर से अष्टधातु की बेशकीमती मूर्तियों की चोरी को चार दिन बीत चुके हैं, लेकिन पुलिस अभी तक खाली हाथ है। भगवान राम, लक्ष्मण और लड्डू गोपाल की लगभग 31 किलो वजनी मूर्तियां और चांदी का सिंहासन चोरी हो जाने के बाद न तो चोरों का कोई सुराग लग पाया है, न ही बरामदगी की कोई ठोस दिशा सामने आई है। पुलिस की जांच और बयान अब लोगों को असमंजस में डाल रहे हैं। मंदिर की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाली इस दुस्साहसिक घटना ने जहां श्रद्धालुओं की भावनाओं को झकझोर दिया है, वहीं लगातार चुप्पी साधे बैठी पुलिस व्यवस्था पर भी तीखे सवाल उठ रहे हैं। स्थानीय संगठनों और सामाजिक प्रतिनिधियों ने स्पष्ट शब्दों में प्रशासन को चेताया है कि यदि मूर्तियों की बरामदगी और चोरों की गिरफ्तारी शीघ्र नहीं हुई तो सड़क पर उतरकर आंदोलन किया जाएगा, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी। यह घटना 16/ 17 जुलाई की रात परसपुर के राजा टोला स्थित ऐतिहासिक राजमंदिर में हुई, जहां से अज्ञात चोर अष्टधातु की अंतरराष्ट्रीय बाजार में लगभग 30 करोड़ रुपये मूल्य की मूर्तियां और चांदी का सिंहासन चुरा ले गए। यह मंदिर परसपुर राजघराने की आस्था का केंद्र रहा है और इसकी देखरेख वर्तमान संरक्षक कुंवर विजय बहादुर सिंह उर्फ बच्चा साहब द्वारा की जाती रही है, जिन्होंने इस मामले में थाने में अज्ञात चोरों के विरुद्ध प्राथमिकी दर्ज कराई है।

सबसे बड़ी विडंबना यह है कि जिस मंदिर से यह चोरी हुई, वह परसपुर थाने से महज 500 मीटर की दूरी पर स्थित है। ऐसे में यह सवाल उठना लाजमी है कि आखिर इतने नजदीक की इस बड़ी घटना की भनक पुलिस को क्यों नहीं लगी? चोर तिजोरी तोड़ते हैं, मूर्तियां उठाते हैं और फरार हो जाते हैं – मगर पुलिस पूरी रात अनजान बनी रहती है। यह न केवल सुरक्षा व्यवस्था की विफलता है, बल्कि आमजन के भरोसे पर भी चोट है । घटना के बाद एसपी ने तत्कालीन थानाध्यक्ष शरदेंदु पांडेय को हटाकर जिले के तेजतर्रार दरोगा माने जाने वाले एसओजी प्रभारी अनुज त्रिपाठी को परसपुर थाने की कमान सौंपी, लेकिन अफसर बदलने मात्र से हालात बदलते नजर नहीं आ रहे हैं। चोरों की गिरफ्तारी और मूर्तियों की वापसी अब भी अधूरी उम्मीद बनकर रह गई है। शनिवार को परसपुर विकास मंच के अध्यक्ष डॉ. अरुण कुमार सिंह ने एसओ अनुज त्रिपाठी से मुलाकात कर घटना पर नाराजगी जताई और चेतावनी दी कि यदि एक सप्ताह के भीतर कोई ठोस नतीजा सामने नहीं आया तो क्षेत्रीय जन आक्रोश को आंदोलन में बदल देंगे।

चोरी के बाद राजमंदिर में एक अजीब-सा सन्नाटा पसरा है। जहां पहले घंटे-घड़ियाल और रामधुन की स्वर लहरियां गूंजती थीं, वहां अब खामोशी ने डेरा जमा लिया है। श्रद्धालु मंदिर के बाहर सिर झुकाए सिर्फ एक ही सवाल पूछ रहे हैं – “अब कितने दिन और लगेंगे भगवान को वापस लाने में?” “क्या अब भगवान भी पुलिसिया सिस्टम की फाइलों में गुम हो जाएंगे?” थाना प्रभारी अनुज त्रिपाठी का कहना है कि चोर जल्द सलाखों के पीछे होंगे, लेकिन अब जनता सिर्फ शब्दों पर नहीं, परिणामों पर विश्वास करना चाहती है। फिलहाल यह चोरी न केवल परसपुर की आस्था पर हमला है, बल्कि पूरे पुलिस तंत्र और प्रशासनिक क्षमता के लिए भी एक खुली चुनौती बन चुकी है।


