
यात्रीगण कृपया ध्यान दीजिए👇
गाड़ी संख्या 15—-21 केवल 5 घंटे विलंब से चल रही है जिसका हमें अत्यंत खेद है भारत की 170 वर्षों की रेल इतिहास के यात्रा की यह सुनी सुनाई बात पूरे भारत के रेल यात्रियों के कान में इस तरह रच बस गई है कि यदि अब कोई गाड़ी उन्हें समय से गंतव्य तक पहुंचा देती है तो वह दुनिया का आठवां आश्चर्य माना जाता है
देश में चल रही 14000 यात्री रेलगाड़ियों में केवल 30- 40 रेलगाड़ियां ऐसी हैं जो सही समय पर चलती है जिसमें शताब्दी दुरंतो वंदे भारत राजधानी जैसी कुछ अति विशिष्ट रेलगाड़ियां हैं जिसमें देश के अति विशिष्ट लोग मंत्री सांसद विधायक बड़े-बड़े अधिकारी माफिया और धन कुबेर या फिर दलाल यात्रा करते हैं इनको छोड़कर कोई भी ट्रेन अपने सही समय पर न आती है और न जाती है
यात्री भी रेलवे के इस लेट लतीफी के अभ्यस्त हो चुके हैं और यह मान कर चलते हैं कि अगर 5 घंटे विलंब है तो गाड़ी सही समय पर मानी जाएगी। भारत की ट्रेनों में लूटपाट भ्रष्टाचार घूसखोरी और ट्रेनों के अंदर हिंसा मारपीट छेड़छाड़ यौन अपराध गुंडागर्दी इत्यादि की घटनाएं इतनी आम हो चुकी है कि अकेले यात्रा करने वाला डरा-सहमा रहता है कब कोई गुंडा चोर बदमाश चोर उचक्का दुराचारी अपना कार्य पूरा करके चला जाए उसे रोकने वाला कोई नहीं है
वर्तमान में स्थिति यह है कि टी टी प्रथम श्रेणी के वातानुकूलित डिब्बों तक में केवल खानापूर्ती के लिए आता है और अगर उसमें लूटपाट का रास्ता नहीं दिखता तो फिर दोबारा नहीं दिखाई पड़ता अगर सीट खाली हुई तो बार-बार आएगा सुरक्षा बल आते नहीं कोच कंडक्टर भी एक बार अपना कंबल डिब्बे के अंदर रखकर गायब हो जाएगा
ट्रेन में बिकने वाली चाय खाद्य और पेय और अन्य सामग्री और अन्य सामान इतने घटिया होते हैं कि समझदार लोगों ने उसे खाना ही छोड़ दिया है घर से ही समान लेकर चलते हैं फिर भी कभी न कभी कुछ ना कुछ घट जाने पर विवश होकर लेते ही हैं पांच-दस रुपए का पानी ₹20 में आराम से बेचा जाता है
और हालत इतनी खराब है की प्रथम श्रेणी के डिब्बो में भी खुलेआम स्लीपर के लोग, आम यात्री और वेंडर एवं अन्य रेलवे के कर्मचारी अधिकारी मलमूत्र त्याग करके चले जाते हैं और पैसा देकर यात्रा करने वाले देखते रहते हैं ट्रेन का जोड़ने वाले डिब्बे रात को भी खुले रहते हैं कोई कुछ भी करके आराम से जा सकता है चेन पुलिंग तो कहीं भी और किसी भी ट्रेन में हो सकती है
प्लेटफार्म की हालतें ऐसी हैं कि प्लेटफॉर्म तो निश्चित रूप से सुधर गए हैं लेकिन वहां पर भी 5 से 10 घंटे ट्रेन विलंबित होने पर ट्रेन की प्रतीक्षा करने वाले स्त्री पुरुषों को शौचालय नाम की कोई चीज दिखाई भी नहीं देती और अगर है भी एक दो तो इतनी गंदी है कि उसमें घुसने का हिम्मत नहीं होता है जितने भी प्रतीक्षालय हैं वातानुकूलित यात्रियों के लिए भी अलग से पैसा लिया जा रहा है कहने का अर्थ यह है कि सब कुछ बेच दिया गया है
काउंटर से या खुद अपने मोबाइल से टिकट मिलता ही नहीं जब 4 महीने पहले टिकट बुक होता था तब भी कंफर्म टिकट नहीं मिलता था अब तो दो महीने का हो गया है और वही बुकिंग दलाल और रेल के एजेंट पलक झपकते बुक कर देते हैं दलाल और रेलवे रेलवे की स्थिति इतनी खराब है कोई शिकायत भी नहीं कर सकते हैं 139 नंबर डायल करने पर इतना लंबा फोन उलझा कर रख देते हैं कि 10 मिनट बाद करने के बाद लाइन अचानक कट जाती है अन्य नंबर का तो कोई मतलब ही नहीं है
व्हाट्सएप फेसबुक इंस्टाग्राम पर लिखने का कोई अर्थ नहीं है प्रिंट इलेक्ट्रानिक मीडिया इस पर कभी कलम नहीं चलाती हैं शायद कोई डर होगा शौचालयसे डिब्बों और प्लेटफार्म तक गंदगी का आलम पसरा रहता है जिसमें यात्रीगण का भी बहुत कुछ हाथ होता है सही सूचना इंटरनेट से भी नहीं मिल पाती कभी-कभी इंटरनेट के भरोसे रहने वाले लोगों की ट्रेन भी छूट जाती है मैंने कई बार खुद देखा है कभी भी उद्घोषक द्वारा यह नहीं कहा जाता की यात्रीगण समय से ट्रेन आने और सही समय पर यात्रा करने के लिए रेलवे आपको बधाई और यात्रा की शुभकामनाएं दे रहा है
भारत में लगभग 3 करोड लोग वैध और एक करोड़ लोग अवैध रूप से बिना टिकट यात्रा करते हैं 4 करोड़ लोगों का 5 घंटे प्रतिदिन बर्बाद हो रहा है तो आप सोचो 20 करोड़ घंटे तो केवल एक दिन में रेलवे द्वारा बर्बाद किया जाते हैं इसकी कीमत अर्बन खरबन में होगी ऐसे में देश का कितना नुकसान हो रहा है आप स्वयं अनुमान लगा लीजिए और रेलवे को भी 5 घंटे अलग से बिजली पानी शौचालय की सुविधा यात्रियों को देनी पड़ती है
भारत की रेलवे सुधरने की जगह बिगड़ती चली जा रही है अब जब लोगों ने दुरंतो वंदे भारत राजधानी शताब्दी ट्रेनों में यात्रा करना शुरू किया है तो नेता अधिकारी दलाल माफिया धन कुबेर लोग बुलेट ट्रेन चलाने की योजना पर जी जान से झूठ हुए हैं आज से हम लोग आम जनता से अलग और विशिष्ट बने रहे इन बुलेट ट्रेनों में हवाई जहाज जितना दाम होगा और जिसका टिकट 99% भारतवासी खरीद ही नहीं पाएंगे कहने का तात्पर्य है यह है कि देश के सभी सरकारी तंत्र हर काम सामान्य जनता के लिए नहीं अपितु अपने लिए कर रहे हैं नियम के अनुसार 10:00 बजे रात के बाद सो रहे यात्री को जगाया नहीं जा सकता लेकिन टीटी लोग आधी आधी रात को भी सोए हुए लोगों को आराम से जगा कर नींद भी खराब कर देते हैं कभी-कभी सरकार अपनी योजना के तहत दो एक फर्जी शिकायत करके उसको पूरा करके इसीका ढिंढोरा प्रिंट इलेक्ट्रानिक और सोशल मीडिया पर पीटती रहती है उसे देश का विकास भला क्या होगा जिस देश की 99% रेलगाड़ियां विलंब से चल रही है यह कोई दुर्भावना पूर्वक लिखा गया लेख नहीं है बल्कि सच को उजागर करते हुए कुंभकरण की नींद में सो रहे हैं रेल तंत्र और सरकार को जगा कर देश को विकास की दिशा में ले जाने वाला एक लेख है जिसको प्रचारित प्रसारित किया जाना अत्यधिक आवश्यक है और इसमें जो छूट गया है उसको भी जोड़कर लिखा जाना बहुत आवश्यक है अब तो यही कहना होगा की गंगा स्नान से बड़ा गंगा स्नान रेलवे का कंफर्म टिकट का पा जाना है
हम लोगों ने ऐसे स्पेशल समर ट्रेनों में यात्रा किया है जिन्होंने 12 से 22 घंटे देर से पहुंचाया है और कभी-कभी इतनी खराब हालत हो जाती है कि शौचालय में पानी तक नहीं रह जाता है जाड़े के दिनों में एसी को बिना वजह चला कर सरकार का नुकसान करना और गर्मियों में एसी काट देना भी रेलवे में आम बात है पूछने पर यह पता चलता है कि सभी स्थाई अस्थाई और आउटसोर्सिंग नियुक्तियां अपवाद को छोड़कर रेलवे और सरकार से संबंधित लोगों की हुई है इसलिए कोई कार्यवाही भी नहीं होती और ना भारतीय रेलवे में 100 वर्ष आगे सुधार की कोई संभावना है और ध्यान दीजिएगा यह सारी परेशानी प्रथम श्रेणी के यात्रियों के लिए है जनरल कोच और स्लीपर की हालत लिखने लायक नहीं है वहां घुस कर पाएंगे कि इसमें मनुष्य नहीं जानवर यात्रा कर रहे हैं