अयोध्याउत्तर प्रदेशउत्तरप्रदेशगाज़ियाबादलखनऊ
Trending

मठ,माफिया और मठाधीश पर योगी और अखिलेश में जुबानी जंग

विधानसभा उपचुनाव से पहले कौन सा समीकरण सेट कर रहे योगी और अखिलेश

लखनऊ। उत्तर प्रदेश की सियासत में बीते दिनों से मठ, माफिया और मठाधीश इन तीन शब्दों की जबरदस्त गूंज सुनाई दे रही है।कारण इन तीन शब्दों के घेरे में दो बड़े चेहरे हैं। पहला चेहरा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का और दूसरा चेहरा पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव का है।

अखिलेश यादव एक तरफ मठ और मठाधीश के जरिए जहां मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को निशाने पर ले रहे हैं, तो वहीं पलटवार करते हुए योगी आदित्यनाथ पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश पर माफिया राज चलाने का आरोप लगा रहे हैं।दोनों बड़े नेताओं की यह लड़ाई तब शुरू हुई है, जब यूपी में विधानसभा की 10 सीटो पर उपचुनाव होने वाला है।योगी और अखिलेश जुबानी जंग के जरिए कौन सा समीकरण सेट कर रहे हैं।बता दें कि जुबानी जंग की शुरुआत बुलडोजर से हुई थी,जो मठ,माफिया और मठाधीश तक पहुंच गई है।योगी और अखिलेश की यह लड़ाई विधानसभा के उपचुनाव से पहले तक रुक जाए इसकी संभावना कम ही है।

ऐसे हुई जुबानी जंग की शुरुआत

4 सितंबर 2024 को बुलडोजर कार्रवाई के खिलाफ सपा कार्यालय में बोलते हुए अखिलेश यादव ने कहा कि बुलडोजर का आंख-कान नहीं होता है,सरकार बदलने में बुलडोजर गोरखपुर की तरफ भी मुड़ सकता है।इस पर जवाब देते हुए योगी आदित्यनाथ ने कहा कि बुलडोजर चलाने के लिए दिल और जिगर चाहिए।इसके बाद से ही योगी और अखिलेश में जुबानी जंग जारी है। 12 सितंबर को अयोध्या जमीन घोटाले का खुलासा करते हुए अखिलेश ने कहा कि माफिया और मठाधीश में ज्यादा फर्क नहीं होता है। 18 सितंबर को अयोध्या के मिल्कीपुर में एक रैली के दौरान योगी ने जमकर अखिलेश पर प्रहार किया ।योगी ने कहा कि सपा की सरकार माफिया चलाते थे,बबुआ माफियाओं के सामने नाक रगड़ते थे, इसलिए उन्हें माफिया और संतों में फर्क मालूम नहीं पड़ रहा है। 19 सितंबर को सपा कार्यालय में पत्रकारों ने जब इसको लेकर सवाल पूछा तो अखिलेश ने तंज कसते हुए कहा कि मेरी और मुख्यमंत्री की तस्वीर साथ रख लीजिए और बताइए कि कौन माफिया लग रहा है।अखिलेश ने 20 सितंबर शुक्रवार को एक्स पर एक पोस्ट करते हुए लिखा कि भाषा से पहचानिए संत, साधु वेश में धूर्त अनंत।

अखिलेश योगी पर क्यों हैं मुखर

पहली वजह 10 विधानसभा में प्रस्तावित उपचुनाव।लोकसभा चुनाव में सपा ने बड़ी बढ़त हासिल की है।सपा के नेतृत्व में इंडिया गठबंधन ने यूपी की 80 में से 43 सीटों पर जमाया है।इसे भाजपा के लिए बड़ा झटका माना गया।लोकसभा चुनाव के बाद अब 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होना है।कहा जा रहा है कि लोकसभा में मिली हार से उबरने के लिए भाजपा ने उपचुनाव में अच्छा प्रदर्शन करने की रणनीति तैयार की है।योगी के पास पूरे उपचुनाव की जिम्मेदारी है। 2 हॉट विधानसभा सीट मिल्कीपुर और कटेहरी के तो योगी खुद प्रभारी भी हैं।लोकसभा के बाद अगर विधानसभा के उपचुनाव में सपा को उम्मीद के मुताबिक जीत नहीं मिलती है तो पार्टी के मिशन-2027 पर सवाल उठेगा। इसलिए अखिलेश यादव के निशाने पर योगी हैं।

हिंदुत्व की छवि को एक समुदाय में समेटने की नीति

2017 में योगी आदित्यनाथ को जब भाजपा ने मुख्यमंत्री बनाया तब कहा गया कि भाजपा हिंदुत्व की रणनीति को साधना चाहती है। 2019 के लोकसभा चुनाव और 2022 के विधानसभा चुनाव ये रणनीति सफल रही,लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को उम्मीदों के मुताबिक परिणाम नहीं मिले। भाजपा फैजाबाद लोकसभा सीट भी हार गई।सपा से अवधेश प्रसाद ने जीत हासिल की।इससे गदगद अखिलेश अब योगी के हिंदुत्व वाली छवि को तोड़ने में जुटे हैं।अखिलेश योगी को एक समुदाय के नेता के तौर पर प्रोजेक्ट करना चाहते हैं।कहा जा रहा है कि यही कारण है कि अखिलेश मठ, माफिया और ठाकुर राजनीति के जरिए योगी पर निशाना साध रहे हैं।अखिलेश ने हाल ही में एसटीएफ को लेकर एक रिपोर्ट जारी की थी, जिसमें कहा गया था कि एसटीएफ में सिर्फ 10 प्रतिशत पीडीए के लोग हैं बाकी के 90 प्रतिशत अधिकारी सवर्ण समुदाय के हैं‌।मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर लंबे समय से ठाकुरवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगता रहता है, लेकिन लोकसभा चुनाव के बाद अखिलेश इसे हवा देकर योगी की हिंदुत्व वाली छवि को तोड़ने में जुटे हैं।

गुरु गोरखनाथ की विचारधारा और काम का सहारा

योगी आदित्यनाथ गोरक्षपीठाधीश्वर हैं।इसके पहले गुरु गोरखनाथजी नाथ संप्रदाय के थे।सपा प्रवक्ता आईपी सिंह के मुताबिक योगी आदित्यनाथ गोरक्षापीठ से आते हैं और वे मठ के प्रमुख हैं।इसलिए सपा मुखिया ने उन्हे मठाधीश कहा है।
अखिलेश ने भी सपा कार्यालय में एक कार्यक्रम के दौरान कहा कि जिसे गुस्सा आता हो, जो लोगों का दुख नहीं समझ पाता हो, वो कैसे संत और महंथ हो सकता है।विपक्ष की तरफ से लंबे समय से योगी पर उनके संप्रदाय के जरिए घेरने की कोशिश होती रही है। राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठान में योगी के शामिल होने पर आरजेडी सुप्रीमो लालू यादव ने एक लेख लिखा था।लालू के मुताबिक नाथ संप्रदाय के जो महात्मा रहे हैं, वो किसी भी मूर्ति और ब्राह्मणवाद को नहीं मानते थे, लेकिन योगी ऐसा करने से परहेज नहीं क रहे हैं।

कौन‌ सा समीकरण सेट कर रहे हैं योगी

माफिया पर बोलकर सीएम योगी अपने लॉ एंड ऑर्डर मेंटन करने वाली छवि को चुस्त-दुरुस्त करने में जुटे हैं। 2017 में सीएम बनने के बाद से योगी के रडार में माफिया हैं।इस दौरान कई माफिया सरकारी चंगुल में फंसकर नेस्तनाबूत हो चुके हैं तो क‌इयों ने खुद ही सरेंडर कर दिया है।

कहां जाकर रुकेगी ये जुबानी जंग

सीएम योगी और पूर्व सीएम अखिलेश यादव में शुरू हुई जुबानी जंग की रुकने की संभावना कम है।यूपी में 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला है। कहा जा रहा है कि अगर जिस तरह के हालात अभी है, वैसे ही हालात उपचुनाव के बाद रहे तो 2027 के विधानसभा चुनाव तक योगी और अखिलेश की जुबानी जंग शुरू रह सकती है।
जिन 10 विधानसभा सीटों पर उपचुनाव होने वाला हैं, उसमें मिल्कीपुर, कटेहरी, कुंदरकी, करहल, खैर, मीरापुर, फूलपुर, गाजियाबाद, सीसाम‌ऊ और मझवां विधानसभा सीट शामिल हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में इन 10 में से 5 सीटों पर सपा, 3 पर भाजपा और एक-एक पर आरएलडी-निषाद पार्टी को जीत मिली थी।

Related Articles

Back to top button